जबलपुर : अपराधियों के नए आंकड़े आने के बाद जबलपुर अब संस्कारधानी से 'अपराधधानी' नजर आने लगा है. ये हम नहीं कह रहे बल्कि जबलपुर पुलिस के ताजा आंकड़े कह रहे हैं, जिसके अनुसार 8500 ऐसे अपराधी चिन्हित किए गए हैं जिन्होंने बीते 5 सालों में दो या दो से ज्यादा अपराध किए हैं. 1000 से ज्यादा अपराधी तो ऐसे हैं जिन्होंने 8 से ज्यादा अपराधों को अंजाम दिया है. जबलपुर पुलिस के सामने अपराधों पर लगाम लगाना अब बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. गौरतलब है कि आईपीएस संपत उपाध्याय को जबलपुर का नया पुलिस अधीक्षक बनाया गया है. जबलपुर पहुंचने के बाद एसपी ने सभी थानों को आदेश दिया कि वे अपने इलाके के दो या दो से अधिक अपराध कर चुके अपराधियों की सूची बनाएं.
जबलपुर के हैरान करने वाले आंकड़े
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जबलपुर में बीते 5 सालों में ऐसे लगभग 8500 अपराधी सामने आए, जिन्होंने दो या दो से अधिक अपराध किए हैं. 1220 अपराधी ऐसे थे जिन्होंने 5 बार से ज्यादा अपराध किया और 933 ऐसे अपराधी हैं जो आठ बार से ज्यादा अपराध कर चुके हैं. जबलपुर पुलिस को 135 अपराधियों को तड़ीपार या जिला बदर करना पड़ा है. वहीं 15 ऐसे अपराधी हैं जिनके खिलाफ एनएसए लगाकर उन्हें जेल भेजा गया है क्योंकि उनके अपराध राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आते हैं.
कहां गए जबलपुर के संस्कार?
पूरे देश में जबलपुर संस्कारधानी के रूप में जाना जाता है, ऐसे में लोगों को लगता होगा कि जबलपुर बहुत ही संस्कारी शहर है. जबकि वास्तव में स्थिति कुछ और हो चली है. बीते दिनों ट्रेन से उतरे एक यात्री से शराब के लिए पैसे मांगे गए और जब उसने पैसे नहीं दिए तो उसकी हत्या कर दी गई. इसी तरह जबलपुर के विजयनगर क्षेत्र में मेडिकल मशीनों को सुधरने वाले एक इंजीनियर ने किसी से अस्पताल का रास्ता पूछ लिया तो उसे चाकू मार कर लूट लिया गया. जबलपुर के बुजुर्गों को भी लगभग रोज लूटा जा रहा है.
बिना अपराधों के यहां दिन नहीं ढलता
ऐसा शायद ही कोई दिन जाता होगा जब शहर में चाकूबाजी की घटना ना होती हो. सूत्रों के हवाले से खबर है कि जबलपुर के घमापुर इलाके में सबसे ज्यादा चीनी चाकू की ऑनलाइन डिलीवरी हुई. यह जानकारी भी जबलपुर पुलिस के पास है. शराब के अलावा ड्रग्स सट्टा जुआ जैसे कई अपराध संगठित गिरोह द्वारा किए जा रहे हैं. जबलपुर के एडिशनल एसपी सूर्यकांत शर्मा ने बताया, '' बढ़ते अपराध को देखते हुए जबलपुर में स्पेशल कांबिंग ऑपरेशन चल रहा है. इसके तहत सभी 8500 निगरानीशुदा बदमाशों की रोज रात जानकारी ली जाती है कि वह अपने घर में है या नहीं है. इसके साथ ही यह भी पता लगाया जाता है कि वे जीवन यापन के लिए क्या कर रहे हैं. थानों में अलग-अलग बीट बांटी गई है और लगभग हर अपराधी के पीछे पुलिस की कोई ना कोई टीम काम कर रही है.''