जबलपुर। जबलपुर की एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. इसमें कहा गया है कि एयर कनेक्टिविटी के मामले में जबलपुर मध्य प्रदेश के दूसरे शहरों से काफी पीछे हो गया है. जबलपुर के लोगों ने आंदोलन किया. आंदोलन के बाद अभी मुंबई के लिए एक विमान सेवा मिली लेकिन अभी भी जबलपुर की जरूरत के हिसाब से विमान सेवाएं नहीं मिली हैं. जबलपुर की संस्था नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका लगाई है.
जबलपुर में केवल 5 फ्लाइट आती हैं
हाई कोर्ट ने तुरंत संज्ञान लेते हुए निजी विमान कंपनियों को याचिका में शामिल करने का आदेश दिया है. जनहित याचिका की पैरवी करते हुए एडवोकेट दिनेश उपाध्याय ने कहा "जबलपुर में रक्षा मंत्रालय के 5 बड़े संस्थान हैं. 5 विश्वविद्यालय हैं. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की मुख्य पीठ है, लेकिन मध्य प्रदेश के दूसरे शहर इंदौर, भोपाल और ग्वालियर की अपेक्षा जबलपुर में सुविधाएं बहुत कम हैं. फिलहाल जबलपुर से मात्र 5 विमान सेवाएं ही संचालित हो रही हैं." याचिका में कहा गया है कि यह जबलपुर के आम नागरिकों की मूलभूत सुविधाओं का हनन है.
जबलपुर में वायु सेवा संघर्ष समिति
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की याचिका में डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन केन्द्रीय उड्डयन विभाग और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को भी अनावेदक बनाया गया है. याचिका में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि जबलपुर में वायु सेवा संघर्ष समिति बनाई गई है, जो लगातार जबलपुर में हवाई सेवाएं बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रही है. ये लोग लगातार आंदोलन कर रहे हैं.
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जबलपुर से कई बड़े शहरों के लिए विमान सेवा नहीं
याचिका में कहा गया है कि कभी जबलपुर में 15 फ्लाइट आती-जाती थीं, जिनकी संख्या घटकर 5 रह गई है. इसका असर जबलपुर के विकास पर पड़ रहा है. जबलपुर की एयर कनेक्टिविटी बेंगलुरु, हैदराबाद, कोलकाता जैसे बड़े शहरों के लिए नहीं है. इसलिए कोर्ट इसमें दखल दे. इस जनहित याचिका पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय शराफ की पीठ में सुनवाई हुई.