रायपुर: गुढ़ियारी पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के क्षेत्रीय भंडार गृह में चार महीने पहले आगजनी की घटना सामने आई थी. घटना की जांच रिपोर्ट अब सामने आई है. जांच रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. जांच रिपोर्ट में साफ-साफ कहा गया कि ''भंडार गृह के अफसर और कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से आग लगी.'' यह भी कहा गया कि ''आग बुझाने के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किए गए इसलिए बड़ी घटना घटित हुई''. जांच रिपोर्ट के आधार पर आठ अफसर और कर्मियों को नोटिस भी जारी किया गया है.
जांच रिपोर्ट में हुए खुलासे मची खलबली: गुढ़ियारी में पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के क्षेत्रीय भंडार गृह में 5 अप्रैल को आग लगी थी. आग से 7251 ट्रांसफार्मर और स्क्रैप का सामान जलकर खाक गया था. आग लगने की इस घटना में 50 करोड़ 22 लाख का नुकसान हुआ. आग इतनी भयंकर थी कि आस पास के कई इलाके इसकी चपेट में आ सकते थे. आग से पूरे इलाके की बिजली व्यवस्था बंद पड़ सकती थी. घटना के बाद सीएम ने इस आगजनी की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए. वरिष्ठ अधिकारियों की कमेटी गठित की गई जिसमें मौजूदा एमडी (तत्कालीन ईडी) भीम सिंह कंवर, ईडी संदीप वर्मा, एडिशनल सीई यशवंत शिलेदार, एजीएम गोपाल मूर्ति, मुख्य सुरक्षा अधिकारी एश्रीनिवास राव और एसई डीडी चौधरी जांच कमेटी के सदस्य थे.
पांच बिंदुओं पर मांगी गई थी जांच रिपोर्ट: इस जांच कमेटी को 5 विन्दुओं पर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था. पांच बिंदुओं में आग लगने का कारण, दुर्घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारी, कर्मचारी - एजेंसी, कंपनी को हुई वित्तीय हानि और भंडार गृह के संचालन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था जैसे मुद्दों पर बताना था. इस जांच कमेटी ने गुढ़ियारी पुलिस से सीसीटीवी के फुटेज लिए और इसकी बारीकी पड़ताल की.
सीसीटीवी से बताई हकीकत: जांच में यह बताया गया कि ''आग संभवतः 33 केवी के एलआईसी फीडर में हुए फाल्ट से एलटी पोल में उत्पन्न त्पन्न स्पार्किंग में में गिरी चिंगारी से लगी, जो कि एलटी खंभे के नजदीक की सूखी और हरी घास, झाड़ियों से प्रारंभ हुई. ऑयली जमीन और स्टोर परिसर में रखे केबल ड्रमों, पुराने और नए ट्रांसफॉर्मर में तेजी से फैली. सीसीटीवी में स्पष्ट तौर पर स्पार्किंग होने के एक से दो मिनट के बाद एलटी पोल के पास जमीन से धुंआ उठते दिखा जो कि कुछ समय बाद आग की ज्वाला में तब्दील हो गया. फिर आग धीरे-धीरे बाउंड्रीवाल, और रोड साइड की बाउंड्रीवाल की तरफ बढ़ी, और तेजी से फैलने लगी.''
नप गए कर्मचारी और अफसर: इस जांच रिपोर्ट में बताया गया कि ''आग लगने के समय स्टोर का कोई भी नियमित कर्मचारी उपस्थित नहीं था. घटना के दिन सुबह 6 बजे से 2 बजे तक ही शिफ्ट ड्यूटी में नियमित कर्मचारी अभिषेक अवधिया की ड्यूटी थी, लेकिन वह भी किसी को सूचित किए बिना अनुपस्थित रहा. अफसरों-कर्मियों के बयानों से पता चलता है कि स्टोर परिसर में उगी हुई घास, झाड़ियों की नियमित कटाई नहीं हुई जिससे आग भड़की.''
आग बुझाने के संसाधानों का नहीं हुआ इस्तेमाल: इस जांच रिपोर्ट में बताया गया कि ''सुरक्षा सैनिकों को प्रारंभिक समय में सजक रहते हुए आग बुझाने के लिए उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करना चाहिए था, लेकिन उनके द्वारा कोई प्रयास नहीं किया गया.'' यह कहा गया कि ''आग लगने के प्रारंभिक समय पर आग बुझाने के उचित प्रयास नहीं होने से आग फैली और आग बुझाने के लिए उपलब्ध संसाधनों का तुरंत उपयोग नहीं करने पर आग अनियंत्रित हो गई. कार्यपालन यंत्री स्टोर, स्टोर कीपर, नियमित कर्मचारी अवधिया के अलावा सुरक्षा सैनिक और सुरक्षा एजेंसी घटना की जिम्मेदार हैं.''
अफसरों पर आरोप: जिन अफसरों को नोटिस जारी की गई है उनमें कार्यपालन यंत्री अजय कुमार गुप्ता, स्टोर कीपर, बंसत कुमार देवांगन, परिचायक अभिषेक अवधिया, कार्यपालन यंत्री अमित कुमार, सहायक यंत्री दिनेश कुमार सेन, कनिष्ठ यंत्री अभिषेक गहरवार, सहायक यंत्री नवीन एक्का, कनिष्ठ यंत्री नरेश बघमार शामिल हैं.
जांच समिति ने दिए सुझाव: इस जांच समिति ने भंडार गृह संचालन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने का भी सुझाव दिया है. यह कहा है कि स्टोर के पुर्नसंचालन किसी फायर प्रोटेक्शन विशेषज्ञ, एजेंसी से ड्राइंग डिजाइन और फायर प्रोटेक्शन प्रणाली संबंधी सलाह और अनुशंसा के आधार पर किया जाना चाहिए. आकाशीय बिजली से सुरक्षा के लिए समुचित रेंज के मेटल ऑक्साइट लाइटिंग अरेस्टर लगाया जाए. क्षेत्रीय भंडार गृह निश्चित अवधि के अंतराल में फायर आडिट कराया जाना चाहिए.