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अब ब्लड जांच रिपोर्ट बताएगी आपकी आंत सड़ रही है या नहीं, बीआरडी के शोध में हुआ खुलासा

गोरखपुर में स्थित बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज (BRD) के डॉक्टर्स ने इंटेसटाइनल गैंगरीन को पहचानने के लिए शोध किया है.

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बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 4 hours ago

Updated : 4 hours ago

गोरखपुरः पेट के भीतर आंतों की सड़न की पनप रही बड़ी बीमारी का पता, अब अल्ट्रा साउंड और सिटी स्कैन से नहीं बल्कि खून की जांच रिपोर्ट से ही चल जाएगा. आंतों के सड़न की इस परेशानी को "इंटेसटाइनल गैंगरीन" भी कहा जाता है. बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज (BRD) गोरखपुर के जनरल सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अशोक यादव और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर राहुल जायसवाल के मिश्रित शोध से यह पता चला है कि अगर खून की जांच में एलडीएच और सीपीके एमबी एंजाइम बढ़ने लगते हैं तो समझ लिजिए कि आंतों की सड़न प्रारंभ हो गई है. डॉक्टर के इस शोध और रिसर्च को इंटरनेशनल जनरल ऑफ सर्जरी ने स्वीकृति भी दे दिया है. जिस पर अब एडवांस रिसर्च के लिए आईसीएमआर इंट्रा म्यूरल रिसर्च प्रोजेक्ट में भी इसे शामिल करने जा रहा है.

डॉ. अशोक यादव कहते हैं कि आंतों की सड़न से जूझ रहे 50 मरीजों को आधार बनाकर रिसर्च आगे बढ़ाया गया. जिसमें 30 पुरुष और 20 महिलाएं शामिल रहीं. करीब एक वर्ष से अधिक समय में अपनी सत्यता को स्थापित करने में लगा. जो वर्ष 2021 से 2022 के बीच सर्जरी विभाग में भर्ती हुए मरीजों पर आधारित था. इसकी वास्तविकता पर अब जाकर मुहर लगी है. अब इसे इंटरनेशनल जनरल ऑफ सर्जरी ने स्वीकृति दिया है और एडवांस रिसर्च के लिए आईसीएमआर इंट्रा म्यूरल रिसर्च प्रोजेक्ट में भी इसे शामिल करने जा रहा है.

उन्होंने बताया कि इन मरीजों में खून की जांच के दौरान चार प्रकार के एंजाइम की जांच विशेष तौर पर कराई गई. जिसमें लैक्तेड डिहाईड्रोजिनेज (एलडीएच), क्रिएटीनीन फास्फोकाईनेज (सीपीके एमबी), सीरम ग्लूटामिका आक्जेलो एसिटिक ट्रांस एनीनेज(एसजीओटी) और एल्काइन फास्फटेज(एलएपी) की जांच कराई गई. जिसमें यह पाया गया कि आंतों की सड़न वाले मरीजों में एलडीएच और सीपीके एमबी का स्तर 3 गुना अधिक मिला. सीपीकेएबी की औसत वैल्यू अधिकतम 40 इंटरनेशनल यूनिट प्रति लीटर होती है. लेकिन आंतों की सदन के मरीजों में यह 82 तक पाई गई. वहीं, जब एलडीएच की रिपोर्ट देखी गई तो पाया गया कि इसका मानक 240 से 300 मिली इंटरनेशनल यूनिट प्रति लीटर है. जबकि आंतों के मरीज में यह 800 मिली तक पाया गया.

डॉ अशोक यादव कहते हैं कि शरीर ऊतक से बने होते हैं. ऊतक सेल से बना होता है।. सेल को ताकत देने वाला एंजाइम एलडीए और सीपीके होता है. यह सेल के साइटोप्लाज्म के अंदर मौजूद होता है. सेल के सड़ने पर इस एंजाइम का रिसाव शुरू हो जाता है. यह एंजाइम खून में मिल जाता है. इसी वजह से इसका खून में स्तर बढ़ जाता है. उन्होंने बताया कि यह रिसर्च 92 फ़ीसदी मरीज में सटीक रिजल्ट दे रहा है. चिकित्सकों को सर्जरी से पहले ही आंतों की सड़न की जानकारी हो जा रही है. जिससे मरीज के अंदर के इंफेक्शन को नियंत्रित करने का प्रक्रिया सर्जरी से पहले ही शुरू कर दी जा रही है. अभी तक आंतों की स्थिति की जानकारी के लिए अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन बताया और कराया जाता है. जिससे भी दोनों आतों की सड़न का पता नहीं चलता. लेकिन खून की इस जांच ने आंतों की सड़न को पुष्ट करने का बड़ा प्रमाणिक रहस्य उजागर किया है.

इसे भी पढ़ें-खुशखबरी ; गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों के टेढ़े मेढ़े हाथ पैरों का इलाज शुरू


गोरखपुरः पेट के भीतर आंतों की सड़न की पनप रही बड़ी बीमारी का पता, अब अल्ट्रा साउंड और सिटी स्कैन से नहीं बल्कि खून की जांच रिपोर्ट से ही चल जाएगा. आंतों के सड़न की इस परेशानी को "इंटेसटाइनल गैंगरीन" भी कहा जाता है. बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज (BRD) गोरखपुर के जनरल सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अशोक यादव और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर राहुल जायसवाल के मिश्रित शोध से यह पता चला है कि अगर खून की जांच में एलडीएच और सीपीके एमबी एंजाइम बढ़ने लगते हैं तो समझ लिजिए कि आंतों की सड़न प्रारंभ हो गई है. डॉक्टर के इस शोध और रिसर्च को इंटरनेशनल जनरल ऑफ सर्जरी ने स्वीकृति भी दे दिया है. जिस पर अब एडवांस रिसर्च के लिए आईसीएमआर इंट्रा म्यूरल रिसर्च प्रोजेक्ट में भी इसे शामिल करने जा रहा है.

डॉ. अशोक यादव कहते हैं कि आंतों की सड़न से जूझ रहे 50 मरीजों को आधार बनाकर रिसर्च आगे बढ़ाया गया. जिसमें 30 पुरुष और 20 महिलाएं शामिल रहीं. करीब एक वर्ष से अधिक समय में अपनी सत्यता को स्थापित करने में लगा. जो वर्ष 2021 से 2022 के बीच सर्जरी विभाग में भर्ती हुए मरीजों पर आधारित था. इसकी वास्तविकता पर अब जाकर मुहर लगी है. अब इसे इंटरनेशनल जनरल ऑफ सर्जरी ने स्वीकृति दिया है और एडवांस रिसर्च के लिए आईसीएमआर इंट्रा म्यूरल रिसर्च प्रोजेक्ट में भी इसे शामिल करने जा रहा है.

उन्होंने बताया कि इन मरीजों में खून की जांच के दौरान चार प्रकार के एंजाइम की जांच विशेष तौर पर कराई गई. जिसमें लैक्तेड डिहाईड्रोजिनेज (एलडीएच), क्रिएटीनीन फास्फोकाईनेज (सीपीके एमबी), सीरम ग्लूटामिका आक्जेलो एसिटिक ट्रांस एनीनेज(एसजीओटी) और एल्काइन फास्फटेज(एलएपी) की जांच कराई गई. जिसमें यह पाया गया कि आंतों की सड़न वाले मरीजों में एलडीएच और सीपीके एमबी का स्तर 3 गुना अधिक मिला. सीपीकेएबी की औसत वैल्यू अधिकतम 40 इंटरनेशनल यूनिट प्रति लीटर होती है. लेकिन आंतों की सदन के मरीजों में यह 82 तक पाई गई. वहीं, जब एलडीएच की रिपोर्ट देखी गई तो पाया गया कि इसका मानक 240 से 300 मिली इंटरनेशनल यूनिट प्रति लीटर है. जबकि आंतों के मरीज में यह 800 मिली तक पाया गया.

डॉ अशोक यादव कहते हैं कि शरीर ऊतक से बने होते हैं. ऊतक सेल से बना होता है।. सेल को ताकत देने वाला एंजाइम एलडीए और सीपीके होता है. यह सेल के साइटोप्लाज्म के अंदर मौजूद होता है. सेल के सड़ने पर इस एंजाइम का रिसाव शुरू हो जाता है. यह एंजाइम खून में मिल जाता है. इसी वजह से इसका खून में स्तर बढ़ जाता है. उन्होंने बताया कि यह रिसर्च 92 फ़ीसदी मरीज में सटीक रिजल्ट दे रहा है. चिकित्सकों को सर्जरी से पहले ही आंतों की सड़न की जानकारी हो जा रही है. जिससे मरीज के अंदर के इंफेक्शन को नियंत्रित करने का प्रक्रिया सर्जरी से पहले ही शुरू कर दी जा रही है. अभी तक आंतों की स्थिति की जानकारी के लिए अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन बताया और कराया जाता है. जिससे भी दोनों आतों की सड़न का पता नहीं चलता. लेकिन खून की इस जांच ने आंतों की सड़न को पुष्ट करने का बड़ा प्रमाणिक रहस्य उजागर किया है.

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