लखनऊ : लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं, उसी गति से राजनीतिक दलों की सक्रियता भी बढ़ती जा रही है. भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन कर रही है. हालांकि बिहार, पश्चिम बंगाल और पंजाब से गठबंधन के लिए अच्छी खबरें नहीं आ रही हैं. वहीं, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर रही है. यहां भी सपा व कांग्रेस में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है. पहले तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस को एकतरफा 11 सीटें देने की बात कहकर असहज कह दिया और फिर 16 सीटों पर बिना कांग्रेस से चर्चा के अपने प्रत्याशी उतार कर यह संदेश देने का काम किया है कि यह गठबंधन यदि चला, तो कांग्रेस को सपा की शर्तों पर ही काम करना होगा. इन्हीं सब विषयों को लेकर हमने बात की कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश के प्रभारी अविनाश पांडेय से. देखिए पूरा साक्षात्कार....
प्रश्न : आपकी पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है, लेकिन गठबंधन धर्म का पालन होता दिखाई नहीं देता. कभी आपकी पार्टी से बिना चर्चा समाजवादी पार्टी सीटों की घोषणा कर देती है, तो कभी कांग्रेस को 11 सीटें दिए जाने की बात कही जाती है. कैसे चलेगा यह गठबंधन?
उत्तर : देखिए आपने खुद ही कहा कि सपा गठबंधन धर्म का पालन नहीं कर रही है. इसका बेहतर जवाब सपा और उसके सम्मानित नेता ही दे पाएंगे. जहां तक इंडिया गठबंधन और कांग्रेस का सवाल है, हम इसके बारे में बहुत स्पष्ट हैं कि हर तरह से सहयोग और सकारात्मक चर्चाएं जो हो रही हैं, वह पूरी ईमानदारी से हों. हम सब पूरी ताकत से भाजपा का मुकाबला करेंगे. इसके लिए जरूरी है कि गलतफहमियां और असमंजस दूर कर हम आगे बढ़ें.
प्रश्न : अखिलेश यादव ने जो सीटें अभी घोषित की हैं, उनमें वह सीटें भी हैं, जिन पर कांग्रेस अपने प्रत्याशी उतारना चाहती है. जैसे लखीमपुर खीरी की सीट है. इस मामले को आप लोग कैसे सुलझाएंगे?
उत्तर : चर्चा तो जारी ही है. मुझे लगता है कि उन्हें भी इस बात का एहसास है. ऐसे तो कांग्रेस भी कुछ सीटों पर नाम घोषित कर देगी. यदि मैं करता हूं, तो मैं उसके लिए जवाबदेह रहूंगा. बाकी आपके प्रश्न का उत्तर समाजवादी पार्टी ही दे तो बेहतर होगा.
प्रश्न : उत्तर प्रदेश आपके लिए नया नहीं है. 2012 में भी आप प्रदेश के सह प्रभारी रहे हैं. सपा से भी आपका पहले से तालमेल रहा है. दोनों दलों की कमेटियां बनी हुई हैं. फिर इस तरह की बातें क्यों आती हैं सामने?
उत्तर : अब इसका जवाब मैं कैसे दे सकता हूं. आप भी समझते हैं कि पूरी ईमानदारी के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बहुत अहम भूमिका अदा कर रहे हैं. अशोक गहलोत जी, भूपेश बघेल जी, मुकुल वासनिक जी, मोहन प्रकाश जी और सलमान खुर्शीद जी की पांच सदस्यीय कमेटी है. इस कमेटी के संपर्क में सपा के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव जी सहित अन्य वरिष्ठ नेता हैं. चर्चा बहुत ही ईमानदारी से हो रही है. गठबंधन में कोई भी निर्णय सामंजस्य से होता है. उसी को घोषणा की जा सकती है. अभी तक सीटों को लेकर कोई सहमति बनी है, इसे लेकर मैं अनभिज्ञ हूं.
प्रश्न : कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. लोकसभा में एक और विधानसभा में सिर्फ दो सीटें हैं. लोगों ने 2019 और 2022 में देखा है कि कांग्रेस पार्टी चुनाव के समय ही सक्रिय रहती है. चुनाव के बाद पार्टी के बड़े नेता दिखाई नहीं देते हैं. जैसे प्रियंका गांधी पार्टी की प्रदेश प्रभारी रहीं. चुनाव भी लोगों ने उनकी सक्रियता देखा और बाद में वह नदारद हो गईं. क्या आपको लगता है कि पार्टी को पीछे ले जाने में यह कारण रहा है?
उत्तर : देखिए चाहे शरीर हो या पार्टी निरंतरता तो रहनी ही चाहिए. कार्यकर्ताओं में अपेक्षित परिणाम न आने से एक तरह की शिथिलता जरूर आ गई थी. पार्टी निष्क्रिय रही, यह मैं नहीं मानूंगा. प्रियंका गांधी जी ने संगठन को मजबूत करने में अपना अहम योगदान जरूर दिया है. उन्होंने सरकार की हर गलत नीति के खिलाफ संघर्ष किया है. इसके चलते वह पार्टी और अवाम में जागरूकता लाई है. राहुल गांधी जी ने देशव्यापी यात्रा की, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों का समर्थन मिला.
प्रश्न : राहुल गांधी की यात्रा उत्तर प्रदेश में नहीं थी. बस एक-दो जिलों को छूकर निकली थी. 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद पार्टी में खास सक्रियता नहीं दिखी. क्यों?
उत्तर : मैं आपकी इस बात से सहमत हूं कि पार्टी को मजबूती के साथ हमेशा तैयार रहना चाहिए. आपने देखा होगा कि प्रदेश की 840 ब्लॉक इकाइयों से यात्रा ही नहीं निकली, बल्कि जितने हमारे जिला मुख्यालय हैं, उन पर कांग्रेसियों की यात्राएं निकाली गईं. पार्टी पूरी तरह से सजग है. हमें पूरी उम्मीद है कि आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी बहुत अच्छा प्रदर्शन करेगी.
प्रश्न : पिछले चुनाव में जब अमेठी से राहुल गांधी की पराजय हुई, तो कहा गया कि जिले के लोगों ने इस बात की नाराजगी थी कि राहुल दो जगह से चुनाव क्यों लड़े? इसका मतलब उन्हें अमेठी की जनता पर विश्वास नहीं था? इस चुनाव में वह कहां से चुनाव लड़ेंगे?
उत्तर : राहुल गांधी जी हमारे राष्ट्रीय नेता हैं. हमारे शीर्ष नेता हैं. इसके विषय में निर्णय तो वह स्वयं लेंगे. एक चीज मैं कह सकता हूं कि प्रदेश की जनता की हार्दिक इच्छा है कि वह उत्तर प्रदेश से भी चुनाव लड़ें. यह सभी कार्यकर्ताओं की भी इच्छा है.
प्रश्न : क्या प्रियंका गांधी भी उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने वाली हैं?
उत्तर : मैंने कहा कि प्रियंका जी या राहुल गांधी जी हमारे राष्ट्रीय नेता हैं. उन्हें कहां से लड़ना है, यह वह खुद तय करेंगे. हां, पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता की इच्छा है कि वह प्रदेश से ही चुनाव लड़ें.
प्रश्न : आपकी कितनी सीटें चाहतें कि गठबंधन से मिलें कांग्रेस पार्टी को?
उत्तर : गठबंधन में कहीं पर भी संख्या की कोई बात अभी तक नहीं तय हुई है. हमारी बातचीत जारी है. सभी की सहमति से जो भी निर्णय लिया जाएगा, उसके विषय में जानकारी दी जाएगी.
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