सरगुजा: इंटरनेट के जरिये अपराध के मामले बढ़ते जा रहे हैं. इससे छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग, कोई भी अछूता नहीं रहा. अगर मोबाइल या गैजेट सुरक्षित नहीं हैं, तो छोटे बच्चों को इंटरनेट वो कंटेंट परोस सकता है, जो एडल्ड यूजर के लिये बनी है. इंटरनेट सुरक्षा दिवस पर आज हम इन विषयों पर आपका ध्यान लाना चाहते हैं. इस विषय पर ETV भारत ने कम्प्यूटर साइंस में पीएचडी कर चुके विशेषज्ञ राजेश कुशवाहा से खास बातचीत की है. न
साइबर सिक्योरिटी क्या है : जिस तरह से इंटरनेट की सुविधाएं बढ़ी हैं, आपके मोबाइल पर एक क्लिक से सरकारी योजना, बैंकिंग सेवा, कोई फॉर्म भरना हो या कोई भी अपडेट हो आप हासिल कर सकते हैं. यह सुविधाएं आपके लिये काफी लाभदायक है. लेकिन एक खतरा भी है कि सात समंदर दूर बैठा आदमी भी आप तक सीधे पहुंच सकता है. किसी तरह के साइबर क्राइम को अंजाम दे सकता है. इससे बचने के लिए और इंटरनेट को लेकर जागरूकता के लिये हम इंटरनेट सिक्योरिटी दिवस मनाते हैं. आम भाषा में इंटरनेट से सुरक्षा को हम साइबर सिक्योरिटी कहते हैं.
साइबर सिक्योरिटी कैसे होता है ब्रेक: राजेश कुशवाहा बताते हैं कि पहले लाखों करोड़ों की चोरी के लिये गुट बनता था, लोग बैंको को लूटते थे, लोगों के घर डाका डालते थे. लेकिन अब हजारों किलोमीटर दूर बैठा आदमी किसी के खाते से रुपये गायब कर देता है. उसे पता भी नहीं चलता कि उसका पैसा कहां गया. एक फ्रॉड पहले होता था कि लोग फोन करके मोबाइल पर आया ओटीपी पूछते थे और पैसे पार करते थे. लेकिन अब यह सब तरीका पुराना हो गया है. अब क्या होता है कि एक बार ब्राउजर का एक्सेस दे देने से ही फ्रॉड करने वाले को आपके इंटरनेट डिवाइस का सारा एक्सेस मिल जाता है.
जब से एचटीएमएल 5 आया है, अब एप्लिकेशन भी आपको मोबाइल में इंस्टॉल करने की जरूरत नहीं है. अगर आपने सिर्फ अपने ब्राउजर का एक्सेस दे दिया, तो आपके फोन का कम्प्लीट एक्सेस उनको मिल जाता है. फिर चाहे आपका डेटा या ओटीपी या कैमरा ही क्यों ना हो, हर चीज का उपयोग वह कर सकता है. इन्हीं चीजों से हमको प्रीवेंशन करना है. एक कहावत है 'प्रीवेंशन इस बेटर देन क्योर' जो चीज आपके समझ में नहीं आती है, आप उससे दूर ही रहें. - राजेश कुशवाहा, साइबर एक्सपर्ट
बच्चों को इससे कैसे रखें दूर: राजेश कुशवाहा बताते हैं, "सबसे जरूरी ये है कि हम अपने बच्चों को इससे दूर कैसे रखें. ये जो हमारी समस्या है, यही बड़ी बड़ी बिलेनियर कंपनी की भी समस्या है. उन्होंने इसका एक समाधानम डिजिटल वेलबिंग नाम से बनाकर रखा है. तो जब भी आप अपने बच्चों को मोबाइल देते हैं, उस डिवाइस को डिजटल वेबलिंग से कनेक्ट कर दीजिए. अगर आप चाहते हैं तो सोशल नेटवर्किंग साइइट का टाईम इसमें लिमिटेड कर सकते हैं. इसमें आप बच्चे की उम्र डाल देंगे, तो वो ऐसे ही कंटेंट सर्व करेंगे, जो उस उम्र के बच्चे के लिये बना है.
कई बार क्या होता है की हम जो कंटेंट देखते हैं और बच्चों को डिवाइस दे देते हैं, तो वो हमारी उम्र के लोगों के इंटरेस्ट का कंटेंट सर्व कर देता है. डिजिटल वेलबिंग से अगर आप एक्सेस करके फोन देते हैं, तो बच्चे कोई भी चीज अपनी मर्जी से नहीं कर सकते हैं. उसके लिए आपके पास सीधे परमीशन आती है. - राजेश कुशवाहा, साइबर एक्सपर्ट
बड़े बैंक फ्रॉड से इस तरह बचें: आज कल लोग मोबाइल बैंकिंग और यूपीआई फोन पर रखते हैं. ये जितना पैसा ईजी टू यूज हुआ है, उतना ही आसानी से ये पेनिट्रेट भी हो सकता है. आप इसके लिए अनवॉन्टेड या प्ले स्टोर के बाहर का एप्लिकेशन डाउनलोड ना करें. वो देखने में आपको ठीक लगेगा, लेकिन जैसे ही आप इसको डाउनलोड करते हैं, बैकेण्ड में आपका सारा चीज एक्सेस कर लेगा. आपका माइक और मैसेज तक एक्सेस कर लेगा. आप जो टाइप करते हैं, वो तक उनको पता चल जाता है. फोन आपकी जेब में होता है और सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठा आदमी आपका मोबाइल चलाता है. एक तरीका और है कि आप अपना मेन एकाउंट अलग रखिये, फोन बैंकिंग और यूपीआई वाले अकाउंट में आवश्यकता के अनुसार पैसा रखिये. इससे भी आप इंटरनेट फ्रॉड से सुरक्षित रह सकते हैं.