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विष भंडारी के नाम से विख्यात हैं श्री देव माहूंनाग, बेहद रोचक है देवता से जुड़ी मान्यता - International Shivratri Festival

Dev Mahunag in Shivratri Mela: छोटी काशी मंडी में अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में देव दर्शन का सिलसिला जारी है. श्री देव माहूंनाग भी शिवरात्रि महोत्सव में पहुंचे हुए हैं. देवता को विष भंडारी के नाम से भी जाना जाता है. देव माहूंनाग से जुड़ी मान्यता बेहद अनूठी है. जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

Dev Mahunag in Shivratri Mela
Dev Mahunag in Shivratri Mela
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Mar 13, 2024, 11:36 AM IST

अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में पहुंचे देव माहूंनाग

मंडी: छोटी काशी मंडी में अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव जारी है. इस दौरान पड्डल मैदान में देव दर्शन का सिलसिला भी चला हुआ है. मंडी शिवरात्रि महोत्सव के दौरान शिरकत करने वाले देवी-देवताओं का अपना एक अलग इतिहास होता है, जिसको लेकर श्रद्धालुओं में आज भी उनकी मान्यता बरकरार है. इस महोत्सव में पहुंचने वाले कुछ देवी-देवताओं का राज परिवार से गहरा नाता रहा होता है. ऐसे ही एक देवता हैं, जो गोहर से हर साल शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करते हैं और इन देवता का नाम श्री देव माहूंनाग है.

देव माहूंनाग की मान्यता

मान्यता है कि देव माहूंनाग को मात्र छोटे से पत्थर का बांधा (मन्नत के रूप में रखा जाने वाला पत्थर) रखने से ही सर्प दंश का जहर उतर जाता है. मंडी जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर तरौर में देव माहूंनाग का भव्य मंदिर है. श्रद्धालु हर साल बांधा (मन्नत) कर रखे हुए पत्थर लेकर मंदिर पहुंचते हैं. यह सभी पत्थर मंदिर परिसर में ही मौजूद होते हैं.

Dev Mahunag in Shivratri Mela
विष भंडारी के नाम से जाने जाते हैं देव माहूंनाग

40 किलो का बांधा पत्थर

माहूंनाग देवता के पुजारी दीना नाथ ने बताया कि देव माहूंनाग के मंदिर में हिमाचल ही नहीं बल्कि देश-विदेश से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं. देवता सांप के अलावा कुत्ते व बिच्छू के काटने पर भी अपने भक्तों का दुख हर लेते हैं. किंवदंती के अनुसार श्री देव माहूंनाग को किसी व्यक्ति ने 40 किलों के पत्थर का बांधा रखा था, लेकिन वह बांधा पूरा नहीं किया. जिसके बाद देवता के बुलावे पर व्यक्ति को 40 किलो के पत्थर को कंधे पर उठाकर लाना पड़ा था. आज भी वह पत्थर श्री देव माहूंनाग के मंदिर परिसर में रखा हुआ है.

शिवरात्रि में श्रद्धालु लाते हैं बांधा पत्थर

पुजारी दीना नाथ ने बताया कि आज भी शिवरात्रि महोत्सव के दौरान देवता के पास सैंकड़ों श्रद्धालु अपना बांधा लेकर पहुंचते हैं. इन पत्थरों को यहां से हर साल देव माहूंनाग के मंदिर परिसर में ले जाया जाता है. हर साल वे 20 किलोग्राम तक बांधा पत्थर लेकर जाते हैं. विष उतारने के अलावा देवता की और भी मान्यता हैं. पुजारी दीना नाथ का कहना है कि जिन लोगों को संतान की प्राप्ति नहीं होती है, उन्हें भी देवता के आशीर्वाद से संतान सुख की प्राप्ति हुई है.

Dev Mahunag in Shivratri Mela
श्री देव माहूंनाग

राज परिवार से देवता का नाता

पुजारी दीना नाथ ने बताया कि श्री देव माहूंनाग का राज परिवार के साथ ही गहरा नाता रहा है. रियायत काल में देवता ने राजा को अपनी शक्ति व मान्यता का प्रमाण दिया था. जिसके बाद राज परिवार द्वारा देवता को राज बेहड़े में स्थान दिया गया. जिसे लेने के लिए देवता ने बिल्कुल मना कर दिया था और रूपेश्वरी यज्ञशाला को अपने ठहरने के लिए चुना.

पुलघराट में श्री देव मांहूनाग का स्वागत

अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत के करने के लिए जब श्री देव माहूंनाग मंडी जनपद के पुलघराट में पहुंचते हैं, तो राज माधव राज की छड़ी सहित जिला प्रशासन की ओर से तहसीलदार के द्वारा देवता का स्वागत किया जाता है. देवता माहूंनाग का मूल स्थान जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर गोहर के तरौर में जबराहट जंगल में है. इसी स्थान पर लकड़ी और पत्थर से देवता का मंदिर बनाया गया है. यहां से एक किलोमीटर की दूरी पर देवता का भंडार है. जहां देवता के रथ और करंडी की पूजा की जाती है.

ये भी पढ़ें: देश के इस राज्य में हैं सबसे ज्यादा Snow Leopard, हिमाचल में इनकी कितनी आबादी ?

अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में पहुंचे देव माहूंनाग

मंडी: छोटी काशी मंडी में अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव जारी है. इस दौरान पड्डल मैदान में देव दर्शन का सिलसिला भी चला हुआ है. मंडी शिवरात्रि महोत्सव के दौरान शिरकत करने वाले देवी-देवताओं का अपना एक अलग इतिहास होता है, जिसको लेकर श्रद्धालुओं में आज भी उनकी मान्यता बरकरार है. इस महोत्सव में पहुंचने वाले कुछ देवी-देवताओं का राज परिवार से गहरा नाता रहा होता है. ऐसे ही एक देवता हैं, जो गोहर से हर साल शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करते हैं और इन देवता का नाम श्री देव माहूंनाग है.

देव माहूंनाग की मान्यता

मान्यता है कि देव माहूंनाग को मात्र छोटे से पत्थर का बांधा (मन्नत के रूप में रखा जाने वाला पत्थर) रखने से ही सर्प दंश का जहर उतर जाता है. मंडी जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर तरौर में देव माहूंनाग का भव्य मंदिर है. श्रद्धालु हर साल बांधा (मन्नत) कर रखे हुए पत्थर लेकर मंदिर पहुंचते हैं. यह सभी पत्थर मंदिर परिसर में ही मौजूद होते हैं.

Dev Mahunag in Shivratri Mela
विष भंडारी के नाम से जाने जाते हैं देव माहूंनाग

40 किलो का बांधा पत्थर

माहूंनाग देवता के पुजारी दीना नाथ ने बताया कि देव माहूंनाग के मंदिर में हिमाचल ही नहीं बल्कि देश-विदेश से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं. देवता सांप के अलावा कुत्ते व बिच्छू के काटने पर भी अपने भक्तों का दुख हर लेते हैं. किंवदंती के अनुसार श्री देव माहूंनाग को किसी व्यक्ति ने 40 किलों के पत्थर का बांधा रखा था, लेकिन वह बांधा पूरा नहीं किया. जिसके बाद देवता के बुलावे पर व्यक्ति को 40 किलो के पत्थर को कंधे पर उठाकर लाना पड़ा था. आज भी वह पत्थर श्री देव माहूंनाग के मंदिर परिसर में रखा हुआ है.

शिवरात्रि में श्रद्धालु लाते हैं बांधा पत्थर

पुजारी दीना नाथ ने बताया कि आज भी शिवरात्रि महोत्सव के दौरान देवता के पास सैंकड़ों श्रद्धालु अपना बांधा लेकर पहुंचते हैं. इन पत्थरों को यहां से हर साल देव माहूंनाग के मंदिर परिसर में ले जाया जाता है. हर साल वे 20 किलोग्राम तक बांधा पत्थर लेकर जाते हैं. विष उतारने के अलावा देवता की और भी मान्यता हैं. पुजारी दीना नाथ का कहना है कि जिन लोगों को संतान की प्राप्ति नहीं होती है, उन्हें भी देवता के आशीर्वाद से संतान सुख की प्राप्ति हुई है.

Dev Mahunag in Shivratri Mela
श्री देव माहूंनाग

राज परिवार से देवता का नाता

पुजारी दीना नाथ ने बताया कि श्री देव माहूंनाग का राज परिवार के साथ ही गहरा नाता रहा है. रियायत काल में देवता ने राजा को अपनी शक्ति व मान्यता का प्रमाण दिया था. जिसके बाद राज परिवार द्वारा देवता को राज बेहड़े में स्थान दिया गया. जिसे लेने के लिए देवता ने बिल्कुल मना कर दिया था और रूपेश्वरी यज्ञशाला को अपने ठहरने के लिए चुना.

पुलघराट में श्री देव मांहूनाग का स्वागत

अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत के करने के लिए जब श्री देव माहूंनाग मंडी जनपद के पुलघराट में पहुंचते हैं, तो राज माधव राज की छड़ी सहित जिला प्रशासन की ओर से तहसीलदार के द्वारा देवता का स्वागत किया जाता है. देवता माहूंनाग का मूल स्थान जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर गोहर के तरौर में जबराहट जंगल में है. इसी स्थान पर लकड़ी और पत्थर से देवता का मंदिर बनाया गया है. यहां से एक किलोमीटर की दूरी पर देवता का भंडार है. जहां देवता के रथ और करंडी की पूजा की जाती है.

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