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गीता महोत्सव में हरियाणा पवेलियन में लगा पगड़ी बांधने का स्टाल, युवाओं के आकर्षण का केंद्र बना - INTERNATIONAL GITA FESTIVAL 2024

कुरुक्षेत्र इंटरनेशनल गीता महोत्सव में हरियाणा पवेलियन में पगड़ी बांधने के लिए हर वर्ग के लोग आकर्षित हो रहे हैं.

International Gita Festival 2024
International Gita Festival 2024 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 7, 2024, 1:10 PM IST

Updated : Dec 7, 2024, 1:58 PM IST

कुरुक्षेत्र: कुरुक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन हो रहा है. जहां पर कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के द्वारा हरियाणा पवेलियन बनाया गया है. हरियाणा पवेलियन में हरियाणा की संस्कृति को दर्शाया गया है, ताकि जो हमारी आज से कई दशक पहले की संस्कृति लुप्त होती जा रही थी. हमारी युवा पीढ़ी उनके बारे में जान सके और इसका प्रचार प्रसार हो सके. हरियाणा पवेलियन में एक मिनी हरियाणा दर्शाया गया है. जहां पर पहले गांव में जो चीज होती थी और एक गांव में क्या-क्या होता था. वह सब दर्शाया गया है. वहीं, हरियाणवी पगड़ी का स्टाल भी बनाया गया है जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

हमारी संस्कृति की पहचान: पगड़ी को हरियाणा का मान कहा जाता है. वहीं, बड़े बुजुर्गों का भी मान और सम्मान पगड़ी को कहा जाता है. जहां पगड़ी इज्जत का प्रतीक माना जाता है. तो वही हरियाणा और बड़े चौधरी की पहचान भी पगड़ी होती है. इसी के चलते अपनी पुरानी विरासत को बरकरार रखने के लिए अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में बने हरियाणा पवेलियन में पगड़ी का स्टाल विशेष तौर पर लगाया गया है. जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है. सबसे ज्यादा यहां पर युवा आ रहे हैं. जो पगड़ी बंधवा रहे हैं और उसमें फोटो और सेल्फी ले रहे हैं.

International Gita Festival 2024 (Etv Bharat)

युवा सीख रहे पगड़ी बांधना: हरियाणवी पगड़ी स्टॉल के कोऑर्डिनेटर हरिकेश पापोसा ने बताया कि पगड़ी हरियाणा की पहचान है. हरियाणा का मान होता है. हमारे बड़े बुजुर्ग पगड़ी बांधते आए हैं. लेकिन आजकल के नए फैशन के दौर में हमारे युवा पगड़ी से दूर होते जा रहे हैं. उनको हमारी पगड़ी की संस्कृति से जोड़ने के लिए विशेष तौर पर हरियाणा पवेलियन में पगड़ी का स्टॉल लगाया गया है. जहां पर युवा भारी संख्या में पहुंच कर पगड़ी बंधवा रहे हैं और बांधना भी सीख रहे हैं.

देश से विदेश तक पगड़ी संस्कृति पहुंचाने का प्रयास: हरिकेश पापोसा का परिवार पगड़ी बांधने वाली स्टॉल पर युवाओं को पगड़ी बांध रहा है. इसके साथ-साथ महिलाएं और उम्रदराज लोग भी बंधवा रहे हैं. हरिकेश पापोसा एक ऐसे इंसान है. जिन्होंने पगड़ी बांधने में महारत हासिल है और वह पूरे भारत में सबसे कम समय में पगड़ी बांध देते हैं. हरियाणा सहित अन्य राज्यों में भी जो बड़े हरियाणवी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. उनमें विशेष तौर पर हरिकेश पापोसा को पगड़ी बांधने के लिए आमंत्रित किया जाता है. अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में भी जितने बड़े वीआईपी लोग पहुंचते हैं और विदेशों से अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के सहयोगी देश पहुंचते हैं. उनके डेलिगेट्स को भी वह पगड़ी बांधते हैं. ताकि हरियाणा की संस्कृति को देश ही नहीं विदेशों में भी पहुंचाया जा सके.

पगड़ी संस्कृति का प्रचार-प्रसार: हरियाणा दिवस के अवसर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के द्वारा कुरुक्षेत्र में रत्नावली का आयोजन किया जाता है. जहां पर पगड़ी को बढ़ावा दिया गया था. उसके बाद इसको अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में भी शामिल किया गया और हरियाणा पवेलियन में अब पगड़ी का स्टाल हर वर्ग के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है. यहां से हमारी संस्कृति का प्रचार प्रसार हो रहा है.

ये भी पढ़ें: गीता महोत्सव में कश्मीर से आई 2 लाख 30 हजार की ये पश्मीना शॉल, ओढ़ने पर सर्दी में छूटे पसीना!

ये भी पढ़ें: अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024: उत्तराखंड की अनीता का स्टॉल बना आकर्षण का केन्द्र, दिव्यांगों की कला के मुरीद हुए लोग

कुरुक्षेत्र: कुरुक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन हो रहा है. जहां पर कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के द्वारा हरियाणा पवेलियन बनाया गया है. हरियाणा पवेलियन में हरियाणा की संस्कृति को दर्शाया गया है, ताकि जो हमारी आज से कई दशक पहले की संस्कृति लुप्त होती जा रही थी. हमारी युवा पीढ़ी उनके बारे में जान सके और इसका प्रचार प्रसार हो सके. हरियाणा पवेलियन में एक मिनी हरियाणा दर्शाया गया है. जहां पर पहले गांव में जो चीज होती थी और एक गांव में क्या-क्या होता था. वह सब दर्शाया गया है. वहीं, हरियाणवी पगड़ी का स्टाल भी बनाया गया है जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

हमारी संस्कृति की पहचान: पगड़ी को हरियाणा का मान कहा जाता है. वहीं, बड़े बुजुर्गों का भी मान और सम्मान पगड़ी को कहा जाता है. जहां पगड़ी इज्जत का प्रतीक माना जाता है. तो वही हरियाणा और बड़े चौधरी की पहचान भी पगड़ी होती है. इसी के चलते अपनी पुरानी विरासत को बरकरार रखने के लिए अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में बने हरियाणा पवेलियन में पगड़ी का स्टाल विशेष तौर पर लगाया गया है. जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है. सबसे ज्यादा यहां पर युवा आ रहे हैं. जो पगड़ी बंधवा रहे हैं और उसमें फोटो और सेल्फी ले रहे हैं.

International Gita Festival 2024 (Etv Bharat)

युवा सीख रहे पगड़ी बांधना: हरियाणवी पगड़ी स्टॉल के कोऑर्डिनेटर हरिकेश पापोसा ने बताया कि पगड़ी हरियाणा की पहचान है. हरियाणा का मान होता है. हमारे बड़े बुजुर्ग पगड़ी बांधते आए हैं. लेकिन आजकल के नए फैशन के दौर में हमारे युवा पगड़ी से दूर होते जा रहे हैं. उनको हमारी पगड़ी की संस्कृति से जोड़ने के लिए विशेष तौर पर हरियाणा पवेलियन में पगड़ी का स्टॉल लगाया गया है. जहां पर युवा भारी संख्या में पहुंच कर पगड़ी बंधवा रहे हैं और बांधना भी सीख रहे हैं.

देश से विदेश तक पगड़ी संस्कृति पहुंचाने का प्रयास: हरिकेश पापोसा का परिवार पगड़ी बांधने वाली स्टॉल पर युवाओं को पगड़ी बांध रहा है. इसके साथ-साथ महिलाएं और उम्रदराज लोग भी बंधवा रहे हैं. हरिकेश पापोसा एक ऐसे इंसान है. जिन्होंने पगड़ी बांधने में महारत हासिल है और वह पूरे भारत में सबसे कम समय में पगड़ी बांध देते हैं. हरियाणा सहित अन्य राज्यों में भी जो बड़े हरियाणवी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. उनमें विशेष तौर पर हरिकेश पापोसा को पगड़ी बांधने के लिए आमंत्रित किया जाता है. अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में भी जितने बड़े वीआईपी लोग पहुंचते हैं और विदेशों से अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के सहयोगी देश पहुंचते हैं. उनके डेलिगेट्स को भी वह पगड़ी बांधते हैं. ताकि हरियाणा की संस्कृति को देश ही नहीं विदेशों में भी पहुंचाया जा सके.

पगड़ी संस्कृति का प्रचार-प्रसार: हरियाणा दिवस के अवसर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के द्वारा कुरुक्षेत्र में रत्नावली का आयोजन किया जाता है. जहां पर पगड़ी को बढ़ावा दिया गया था. उसके बाद इसको अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में भी शामिल किया गया और हरियाणा पवेलियन में अब पगड़ी का स्टाल हर वर्ग के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है. यहां से हमारी संस्कृति का प्रचार प्रसार हो रहा है.

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Last Updated : Dec 7, 2024, 1:58 PM IST
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