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बनारस के स्ट्रीट डॉग मोती-जया की तो निकल पड़ी; महंगी कारों में सैर, बीच पर फोटो और बर्थडे सेलिब्रेशन... घाटों-गलियों में भटकते थे, पहुंचे विदेश - International Dog Day 2024

बनारस के घाटों पर घूमने वाले दो स्ट्रीट डॉग अब विदेश में आलीशान जीवन जी रहे हैं. आखिर उनका जीवन कैसे बदला चलिए जानते हैं इस खबर के जरिए. पेश है इंटरनेशनल डॉग डे पर खास खबर.

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बनारस के स्ट्रीट डॉग की विदेश में कट रही जिंदगी (photo credit-Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 26, 2024, 11:08 AM IST

Updated : Aug 26, 2024, 1:27 PM IST

बनारस की घाटों पर घूमने वाली स्ट्रीट डॉग पहुंची विदेश (video credit- etv bharat)

वाराणसी: बनारस की मोती और जया की किस्मत 10 महीने पहले ऐसे बदली, कि आज वह सड़क से उठकर आलीशान घर में रह रही हैं. यही नहीं वह महंगी गाड़ियों में भी घूमती है, समंदर के किनारे बीच का आनंद लेती हैं. इंपोर्टेड बिस्कुट खाती हैं, अपना जन्मदिन भी मानती हैं.

दरअसल, यह दोनों बनारस की घाटों पर घूमने वाली दो स्ट्रीट डॉग है, जो कभी घाट पर घायल अवस्था में घूमती थी,लेकिन आज उनकी जिंदगी पूरी तरीके से बदल गई है. और इसे बदलने का काम इटली और नीदरलैंड की विदेशी महिलाओं ने किया है, जिन्होंने इन दोनों डॉग को अडॉप्ट कर उन्हें नई जिंदगी दी हैं.

बीते 10 महीने पहले यह दोनों डॉग बनारस के घाट पर घायल अवस्था में घूम रहे थी. विदेशी महिलाओं ने इन्हें देखा और बनारस में डॉग की मदद करने वाली संस्था से मदद मांगी. जिसके बाद संस्था के जरिए इन डॉग का रेस्क्यू कर सुरक्षित रखा गया. बाकायदा पासपोर्ट बनवाने के बाद मेडिकल टेस्ट के साथ इन्हें एरोप्लेन से सात समंदर पार उनके घर भिजवा दिया गया.


2020 में शुरू हुई थी संस्था: आज इंटरनेशनल डॉग डे है. इसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा डॉग को अडॉप्ट कर उनका जीवन बेहतर बनाना है. ऐसे में हम आपको बनारस की उस संस्था के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने सिर्फ दो ही नहीं बल्कि अब तक हजारों सड़क पर घूमने वाले आवारा कुत्तों का जीवन पूरी तरीके से बदल दिया है. और उनके लिए संजीवनी बनने का काम कर रहे हैं. दरअसल, यह संस्था एनीमोटल डॉग केयर है, जो 2020 में कोविड के समय सड़क पर घूम रहे बेसहारा डॉग के लिए शुरू हुई थी. अब तक इस संस्था ने 10,000 से ज्यादा डॉग का रेस्कयू किया है, यही नहीं 100 से ज्यादा डॉग को फैमिली में अडॉप्ट भी कराया गया है.

इसे भी पढ़े-गली के कुत्ते पहुंचे विदेश, अब ऐशो-आराम में कटेगी जिंदगी, जानिए कैसे मिला पासपोर्ट?

लागतार विदेशों से आ रही एडॉप्शन की क्वेरी: इस बारे में एनीमोटल डॉग केयर के कोऑर्डिनेटर संदलीप सेन बताते हैं, कि इस संसार को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य बेसहारा कुत्तों को सुरक्षित रखना है, जो हादसे का शिकार हो जाते हैं. अब तक हमने हजारों डॉग का रेस्क्यू किया है. उन्ही में से दो डॉग जया और मोती भी थी. विदेशी महिला ने अडॉप्ट कर उन्हें नया जीवन दिया है. उनके एडॉप्शन के बाद से हमारे पास विदेश से लगातार क्वेरी आ रही है. उन्होंने बताया कि, वर्तमान में मोती और जया काफी खुश हैं, इनका जन्मदिन मनाया जाता है. हमें हर दिन इनकी अपडेट सोशल मीडिया के जरिए प्राप्त होती है.

घायल डॉग हो तो करें सम्पर्क: कोऑर्डिनेटर संदलीप सेन ने लोगों से अपील करते हुए कहा, कि यदि उन्हें सड़क पर कहीं भी बेसहारा जानवर मिले तो वह एनीमोटल डॉग केयर को इन्फॉर्म करें. हम उन जानवरों का रेस्कयू कर अपने सेंचुरी में लेकर आएंगे.हमने अपनी सेंचुरी बनारस के हरहुआ इलाके में बनाई है. जहां पर वर्तमान में हजार की संख्या में ज्यादा डॉग मौजूद है. यहां पर ओटी से लेकर डॉग के ओपीडी तक की सुविधा है. यहां इनका इलाज अच्छे से किया जाता है.

यह भी पढ़े-बनारस घूमने आए हैं तो ये 7 खूबसूरत झरने जरूर देखिए, मन खुश हो जाएगा; बाबा विश्वनाथ-सारनाथ के साथ-साथ और भी है बहुत कुछ - waterfalls in Varanasi

बनारस की घाटों पर घूमने वाली स्ट्रीट डॉग पहुंची विदेश (video credit- etv bharat)

वाराणसी: बनारस की मोती और जया की किस्मत 10 महीने पहले ऐसे बदली, कि आज वह सड़क से उठकर आलीशान घर में रह रही हैं. यही नहीं वह महंगी गाड़ियों में भी घूमती है, समंदर के किनारे बीच का आनंद लेती हैं. इंपोर्टेड बिस्कुट खाती हैं, अपना जन्मदिन भी मानती हैं.

दरअसल, यह दोनों बनारस की घाटों पर घूमने वाली दो स्ट्रीट डॉग है, जो कभी घाट पर घायल अवस्था में घूमती थी,लेकिन आज उनकी जिंदगी पूरी तरीके से बदल गई है. और इसे बदलने का काम इटली और नीदरलैंड की विदेशी महिलाओं ने किया है, जिन्होंने इन दोनों डॉग को अडॉप्ट कर उन्हें नई जिंदगी दी हैं.

बीते 10 महीने पहले यह दोनों डॉग बनारस के घाट पर घायल अवस्था में घूम रहे थी. विदेशी महिलाओं ने इन्हें देखा और बनारस में डॉग की मदद करने वाली संस्था से मदद मांगी. जिसके बाद संस्था के जरिए इन डॉग का रेस्क्यू कर सुरक्षित रखा गया. बाकायदा पासपोर्ट बनवाने के बाद मेडिकल टेस्ट के साथ इन्हें एरोप्लेन से सात समंदर पार उनके घर भिजवा दिया गया.


2020 में शुरू हुई थी संस्था: आज इंटरनेशनल डॉग डे है. इसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा डॉग को अडॉप्ट कर उनका जीवन बेहतर बनाना है. ऐसे में हम आपको बनारस की उस संस्था के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने सिर्फ दो ही नहीं बल्कि अब तक हजारों सड़क पर घूमने वाले आवारा कुत्तों का जीवन पूरी तरीके से बदल दिया है. और उनके लिए संजीवनी बनने का काम कर रहे हैं. दरअसल, यह संस्था एनीमोटल डॉग केयर है, जो 2020 में कोविड के समय सड़क पर घूम रहे बेसहारा डॉग के लिए शुरू हुई थी. अब तक इस संस्था ने 10,000 से ज्यादा डॉग का रेस्कयू किया है, यही नहीं 100 से ज्यादा डॉग को फैमिली में अडॉप्ट भी कराया गया है.

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लागतार विदेशों से आ रही एडॉप्शन की क्वेरी: इस बारे में एनीमोटल डॉग केयर के कोऑर्डिनेटर संदलीप सेन बताते हैं, कि इस संसार को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य बेसहारा कुत्तों को सुरक्षित रखना है, जो हादसे का शिकार हो जाते हैं. अब तक हमने हजारों डॉग का रेस्क्यू किया है. उन्ही में से दो डॉग जया और मोती भी थी. विदेशी महिला ने अडॉप्ट कर उन्हें नया जीवन दिया है. उनके एडॉप्शन के बाद से हमारे पास विदेश से लगातार क्वेरी आ रही है. उन्होंने बताया कि, वर्तमान में मोती और जया काफी खुश हैं, इनका जन्मदिन मनाया जाता है. हमें हर दिन इनकी अपडेट सोशल मीडिया के जरिए प्राप्त होती है.

घायल डॉग हो तो करें सम्पर्क: कोऑर्डिनेटर संदलीप सेन ने लोगों से अपील करते हुए कहा, कि यदि उन्हें सड़क पर कहीं भी बेसहारा जानवर मिले तो वह एनीमोटल डॉग केयर को इन्फॉर्म करें. हम उन जानवरों का रेस्कयू कर अपने सेंचुरी में लेकर आएंगे.हमने अपनी सेंचुरी बनारस के हरहुआ इलाके में बनाई है. जहां पर वर्तमान में हजार की संख्या में ज्यादा डॉग मौजूद है. यहां पर ओटी से लेकर डॉग के ओपीडी तक की सुविधा है. यहां इनका इलाज अच्छे से किया जाता है.

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Last Updated : Aug 26, 2024, 1:27 PM IST
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