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संथाल में दिलचस्प हुआ मुकाबला, क्या बीजेपी बचा पाएगी अपनी सीट? या झामुमो पड़ेगा भारी - Lok Sabha Election 2024

झारखंड में तीसरे चरण के चुनाव खत्म होने के बाद अब सबकी नजरें संथाल पर हैं. यहां मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है. निर्दलीय उम्मीदवारों ने बीजेपी और झामुमो का गणित खराब कर दिया है, ऐसे में कौन किसपर भारी पड़ेगा ये कहना मुश्किल हो रहा है.

INTERESTING CONTEST IN SANTHAL
डिजाइन इमेज (फोटो- ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 25, 2024, 6:43 PM IST

गोड्डा: झारखंड में तीसरे चरण का मतदान खत्म हो चुका है. अब सबकी नजरें चौथे और आखिरी चरण में होने वाली सीटों पर हैं. इसमें राजमहल, दुमका और गोड्डा की सीट है जहां कहीं विरासत बचाने की चुनौती है, तो कही बदलाव की बयार.

छठे चरण की समाप्ति के बाद अब सबका झारखंड के संथाल परगना की 3 सीट राजमहल, गोड्डा, दुमका पर होगा. इन तीनों सीटों में राजमहल और दुमका अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित सीट है, तो गोड्डा सामान्य सीट है. इन तीनों सीट पर अंतिम चरण में 1 जून को मतदान होना है. जहां अब सभी दलों के दिग्गजों की जोर आजमाइश होगी.

राजमहल में झामुमो के लिए प्रतिष्ठा की बात

जहां तक मुकाबले की बात है तो राजमहल की सीट झामुमो की प्रतिष्ठा की सीट है, जो पहले से उनके कब्जे में है. विजय हांसदा में मोदी लहर में लगातार दोनों बार जीत दर्ज की और झामुमो के इकलौते सांसद बनकर झारखंड से विपक्ष की आवाज बनते रहे. इस बार फिर झामुमो ने विजय हांसदा को चुनावी मैदान में उतारा है. यहां उनके सामने भाजपा को ओर से पूर्व बोरियो से विधायक ताला मरांडी हैं. ये भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे, फिर अपने बेटे की नाबालिग लड़की से शादी मामले में विवादों रहे, जिसके बाद इन्हें प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी गंवानी पड़ी. इसके बाद ये कई दलों में गए, इन्होंने आजसू से भी चुनाव लड़ा फिर कुछ दिन पूर्व भाजपा में लौटे और मुकाबले में हैं.

वहीं, राजमहल सीट से ही लोबिन हेंब्रम निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. ये झामुमो से विधायक हैं, लेकिन पार्टी लाइन से अलग जाकर निर्दलीय चुनाव लड़ने के कारण इनपर एक्शन लिया गया और पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. निर्दलीय के रूप में ताल ठोंक रहे लोबिन विजय हांसदा का खेल बिगड़ सकते हैं. कुल मिला कर राजमहल में त्रिकोणीय मुकाबला है.

INTERESTING CONTEST IN SANTHAL
नलिन सोरेन और सीता सोरेन (फोटो- ईटीवी भारत)

दुमका में आमने सामने झामुमो और बीजेपी

दुमका में मुकाबला आमने सामने का है. एक तरफ जहां सोरेन परिवार की विरासत वाली सीट दुमका पर भाजपा की ओर से शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन हैं, तो दूसरी तरफ गुरुजी के सबसे चेहते और पुराने दिग्गज सात बार के विधायक नलिन सोरेन चुनावी अखाड़े में हैं. भाजपा इसे जीत कर बड़ा सन्देश देना चाहेगी, तो झामुमो अपने गढ़ को हर हाल में बचाना चाहेगी.

INTERESTING CONTEST IN SANTHAL
निशिकांत दुबे और प्रदीप यादव (फोटो- ईटीवी भारत)

सामान्य सीट गोड्डा पर सबकी नजर

संथाल की एक मात्र सामान्य सीट गोड्डा पर सबकी नजर हैं. यहां भाजपा के तीन बार के सांसद निशिकांत दुबे भाजपा से चौथी बार उम्मीदवार हैं, जो विकास के दावे करते हैं मगर वे अपने बयानों और राहुल गांधी से लेकर सोरेन परिवार पर जुबानी हमलों के लिए सुर्खियों में रहे हैं. उनका मुकाबला कांग्रेस के दिग्गज प्रदीप यादव से जो लगातार पांच बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं. यहां सीधा मुकाबला होने के आसार हैं, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री बिहार के विनोदानंद झा के प्रपौत्र अभिषेक आनंद झा ने अंतिम समय में निर्दलीय उम्मीदवारी कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. अभिषेक झा के नामांकन में सैकड़ो वाहनों का काफिला और उसकी हनक इस ओर इशारा है. अगर मुकाबला त्रिकोणीय हुआ तो परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं. जिसकी संभावना बन रही है. 2019 में संथाल में भाजपा 2-1 से जीती थी, इस बार कहानी क्या होगी देखना दिलचस्प है.

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छठे चरण की समाप्ति के बाद अब सबका झारखंड के संथाल परगना की 3 सीट राजमहल, गोड्डा, दुमका पर होगा. इन तीनों सीटों में राजमहल और दुमका अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित सीट है, तो गोड्डा सामान्य सीट है. इन तीनों सीट पर अंतिम चरण में 1 जून को मतदान होना है. जहां अब सभी दलों के दिग्गजों की जोर आजमाइश होगी.

राजमहल में झामुमो के लिए प्रतिष्ठा की बात

जहां तक मुकाबले की बात है तो राजमहल की सीट झामुमो की प्रतिष्ठा की सीट है, जो पहले से उनके कब्जे में है. विजय हांसदा में मोदी लहर में लगातार दोनों बार जीत दर्ज की और झामुमो के इकलौते सांसद बनकर झारखंड से विपक्ष की आवाज बनते रहे. इस बार फिर झामुमो ने विजय हांसदा को चुनावी मैदान में उतारा है. यहां उनके सामने भाजपा को ओर से पूर्व बोरियो से विधायक ताला मरांडी हैं. ये भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे, फिर अपने बेटे की नाबालिग लड़की से शादी मामले में विवादों रहे, जिसके बाद इन्हें प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी गंवानी पड़ी. इसके बाद ये कई दलों में गए, इन्होंने आजसू से भी चुनाव लड़ा फिर कुछ दिन पूर्व भाजपा में लौटे और मुकाबले में हैं.

वहीं, राजमहल सीट से ही लोबिन हेंब्रम निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. ये झामुमो से विधायक हैं, लेकिन पार्टी लाइन से अलग जाकर निर्दलीय चुनाव लड़ने के कारण इनपर एक्शन लिया गया और पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. निर्दलीय के रूप में ताल ठोंक रहे लोबिन विजय हांसदा का खेल बिगड़ सकते हैं. कुल मिला कर राजमहल में त्रिकोणीय मुकाबला है.

INTERESTING CONTEST IN SANTHAL
नलिन सोरेन और सीता सोरेन (फोटो- ईटीवी भारत)

दुमका में आमने सामने झामुमो और बीजेपी

दुमका में मुकाबला आमने सामने का है. एक तरफ जहां सोरेन परिवार की विरासत वाली सीट दुमका पर भाजपा की ओर से शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन हैं, तो दूसरी तरफ गुरुजी के सबसे चेहते और पुराने दिग्गज सात बार के विधायक नलिन सोरेन चुनावी अखाड़े में हैं. भाजपा इसे जीत कर बड़ा सन्देश देना चाहेगी, तो झामुमो अपने गढ़ को हर हाल में बचाना चाहेगी.

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निशिकांत दुबे और प्रदीप यादव (फोटो- ईटीवी भारत)

सामान्य सीट गोड्डा पर सबकी नजर

संथाल की एक मात्र सामान्य सीट गोड्डा पर सबकी नजर हैं. यहां भाजपा के तीन बार के सांसद निशिकांत दुबे भाजपा से चौथी बार उम्मीदवार हैं, जो विकास के दावे करते हैं मगर वे अपने बयानों और राहुल गांधी से लेकर सोरेन परिवार पर जुबानी हमलों के लिए सुर्खियों में रहे हैं. उनका मुकाबला कांग्रेस के दिग्गज प्रदीप यादव से जो लगातार पांच बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं. यहां सीधा मुकाबला होने के आसार हैं, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री बिहार के विनोदानंद झा के प्रपौत्र अभिषेक आनंद झा ने अंतिम समय में निर्दलीय उम्मीदवारी कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. अभिषेक झा के नामांकन में सैकड़ो वाहनों का काफिला और उसकी हनक इस ओर इशारा है. अगर मुकाबला त्रिकोणीय हुआ तो परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं. जिसकी संभावना बन रही है. 2019 में संथाल में भाजपा 2-1 से जीती थी, इस बार कहानी क्या होगी देखना दिलचस्प है.

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