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'शिक्षकों के अटेंडेंस सिस्टम को गिनीज बुक में अप्लाई करने की तैयारी', GTRI इनोवेशन समिट 3.0 में बोले शिक्षा विभाग के ACS - GTRI INNOVATION SUMMIT 3

पटना में जीटीआरआई ने 'एन आइडियाज फॉर बिहार' थीम पर इनोवेशन समिट 3.0 आयोजित किया. जिसमें उद्योगों और स्टार्टअप इकोसिस्टम को पुनर्जीवित करने की पहल.

GTRI Innovation Summit 3
ग्रैंड ट्रंक रोड इनीशिएटिव (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 20, 2024, 2:14 PM IST

पटना: ग्रैंड ट्रंक रोड इनीशिएटिव की ओर से 'एन आइडियाज फॉर बिहार' की थीम पर इनोवेशन समिट 3.0 का आयोजन हुआ. तकनीकी विशेषज्ञों और इनोवेशन लीडर्स द्वारा बिहार के उद्योगों और स्टार्टअप इकोसिस्टम को पुनर्जीवित करने पर मंथन किया गया. इनोवेशन लीडर्स ने स्टार्टअप इकोसिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल और उसकी चुनौतियों पर सरकार के प्रतिनिधियों के समक्ष चर्चा की. कार्यक्रम में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने शिक्षा विभाग में किए जा रहे नवीनतम तकनीक के इस्तेमाल पर भी बात की.

तकनीक से शिक्षकों की मॉनिटरिंग: कार्यक्रम में तकनीक को अपनाने में अलग-अलग उम्र के लोगों के बीच आने वाली चुनौतियों पर चर्चा हुई. जहां डॉ इस सिद्धार्थ ने कहा कि नई तकनीक सीखने के लिए उम्र कोई बाधा नहीं होती है. उन्होंने बताया कि बिहार में बहुत कम शिक्षक हैं जो 1995 बैच के हैं. अधिकांश शिक्षक पिछले 1-2 साल में चयनित हुए हैं और काफी शिक्षक 2006 से बाद के जॉइनिंग के हैं. लोगों को आश्चर्य होगा कि पूरा विभाग शिक्षकों की मॉनिटरिंग के लिए ई-शिक्षाकोष ऐप का इस्तेमाल कर रहा है. इस ऐप के जरिए शिक्षकों का बायोमेट्रिक अटेंडेंस है. ऐप पर जब शिक्षक अटेंडेंस बनाते हैं, उसके बाद ही उनकी सैलरी बनती है. यह इस वर्ष जून के आखिरी से शुरू किया गया.

ग्रैंड ट्रंक रोड इनीशिएटिव (ETV Bharat)

शिक्षक बना रहे हैं ऑनलाइन अटेंडेंस: डॉ एस सिद्धार्थ ने बताया कि शुरू में शिक्षकों को ऐप खेलने के लिए दिया गया कि ऐप में कुछ करके वह शिक्षा विभाग के बारे में जाने. फिर हर विद्यालय से कम से कम एक शिक्षक को ऐप पर अटेंडेंस बनाने के लिए कहा गया. ऐसा हुआ और इससे पता चल गया कि सभी विद्यालयों की जियो लोकेशन अच्छी है और वहां नेटवर्क की कोई दिक्कत नहीं है.

6 लाख शिक्षक करते हैं ऑनलाइन अटेंडेंस मार्क: वहीं इसके बाद वह विद्यालय में पूछने लगें कि जब एक शिक्षक अटेंडेंस डाल सकते हैं तो बाकी शिक्षकों ने ऐप पर अटेंडेंस क्यों नहीं डाला. इसके बाद जो शिक्षक ऐप पर अटेंडेंस डालते थे, उनसे बाकी शिक्षकों ने सीखा और ऐप पर अटेंडेंस डालना शुरू किया. इसके बाद 1 अक्टूबर से प्रदेश के लगभग 6 लाख शिक्षक सुबह में स्कूल आने समय ऐप पर अटेंडेंस मार्क करते हैं और शाम में स्कूल से लौटते समय अटेंडेंस मार्क करते हैं.

अटेंडेंस सिस्टम को गिनीज बुक में दर्ज कराने की तैयारी: डॉ एस सिद्धार्थ ने कहा कि शिक्षकों का अटेंडेंस आज के समय दुनिया का लार्जेस्ट अटेंडेंस सिस्टम बन चुका है. ऐप पर प्रतिदिन 12 लाख अटेंडेंस मार्क हो रहे हैं. वह अब इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अप्लाई कराने की तैयारी में है. इतना बड़ा अटेंडेंस सिस्टम कहीं नहीं है जिस पर एप्लीकेशन के इन -आउट के 12 लाख अटेंडेंस मार्क हो. उन्होंने कहा कि कोई भी तकनीक का अचानक इंट्रोडक्शन करना कठिन है और उनका पीएचडी का विषय भी इंट्रोड्यूजिंग टेक्नोलॉजी एंड एक्सेप्टेंस ऑफ टेक्नोलॉजी ही है.

"सीखने का जो कौशल होता है उसमें लोग अपने सहकर्मी से अधिक सीखते हैं. एक आदमी दूसरे आदमी से सीखता है और जब मजबूरी की स्थिति आ जाती है तो उस तकनीक को सब सीख लेते हैं."- डॉ. एस सिद्धार्थ, अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग,

एआई का सकारात्मक इस्तेमाल जरूरी: कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने कहा कि बिहार में तकनीक आधारित नवाचार को बढ़ावा देने में परसेप्शन चेंज महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. हमारी सरकार राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और सर्वांगीण विकास के लिए लगातार काम कर रही है, लेकिन इस अहम कार्य में दूसरों का सहयोग भी बहुत जरूरी है. अच्छी बात है कि बिहार के बारे में लोगों की अवधारणा बदल रही है.

"आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल हो रहा है, तो इस बात पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि कहीं हम एआई का गलत इस्तेमाल कर मानसिक गुलामी की तरफ तो नहीं जा रहे हैं. एआई के जो सकारात्मक पहलू है, उस पर सभी को काम करना होगा तभी हम विकसित राष्ट्र के निर्माण की तरफ मजबूती से आगे बढ़ेंगे."-विजय सिन्हा, उपमुख्यमंत्री

टेक्नोलॉजिकल इंडस्ट्री को लाने का प्रयास: जीटीआरआई के क्यूरेटर अदिति नंदन ने कहा कि आईडियाज फॉर बिहार एन इनोवेशन समिट का यह तीसरा संस्करण है. बिहार में हर सेक्टर में काफी काम करने की जरूरत है. लेकिन अभी के समय जितनी भी चुनौतियां हैं उसमें टेक्नोलॉजी एक ऐसा सेक्टर है, जो गैप को भरने में मदद करता है. तकनीक की बेहतर जानकारी से अपने आइडिया का इस्तेमाल कर बिहार के सुदूर क्षेत्र में भी बैठा व्यक्ति जीवन में बड़ा नाम कमा सकता है.

"बिहार में टेक्नोलॉजी में डीपटेक पर कोई बात नहीं कर रहा, टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम करने वाले बड़े लोग बिहार नहीं आ रहे हैं. इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रयास यही है कि एक ईको सिस्टम तैयार किया जाए जहां यह लोग यहां आए और उनके ऑफिस हो ताकि बिहार के लोगों को यहां काम करने का मौका मिले."-अदिति नंदन, क्यूरेटर, जीटीआरआई

पढ़ें-क्रिप्टो मुद्दे से निपटने के लिए रेगुलेटरी सैंडबॉक्स रुख की जरूरत- GTRI

पटना: ग्रैंड ट्रंक रोड इनीशिएटिव की ओर से 'एन आइडियाज फॉर बिहार' की थीम पर इनोवेशन समिट 3.0 का आयोजन हुआ. तकनीकी विशेषज्ञों और इनोवेशन लीडर्स द्वारा बिहार के उद्योगों और स्टार्टअप इकोसिस्टम को पुनर्जीवित करने पर मंथन किया गया. इनोवेशन लीडर्स ने स्टार्टअप इकोसिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल और उसकी चुनौतियों पर सरकार के प्रतिनिधियों के समक्ष चर्चा की. कार्यक्रम में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने शिक्षा विभाग में किए जा रहे नवीनतम तकनीक के इस्तेमाल पर भी बात की.

तकनीक से शिक्षकों की मॉनिटरिंग: कार्यक्रम में तकनीक को अपनाने में अलग-अलग उम्र के लोगों के बीच आने वाली चुनौतियों पर चर्चा हुई. जहां डॉ इस सिद्धार्थ ने कहा कि नई तकनीक सीखने के लिए उम्र कोई बाधा नहीं होती है. उन्होंने बताया कि बिहार में बहुत कम शिक्षक हैं जो 1995 बैच के हैं. अधिकांश शिक्षक पिछले 1-2 साल में चयनित हुए हैं और काफी शिक्षक 2006 से बाद के जॉइनिंग के हैं. लोगों को आश्चर्य होगा कि पूरा विभाग शिक्षकों की मॉनिटरिंग के लिए ई-शिक्षाकोष ऐप का इस्तेमाल कर रहा है. इस ऐप के जरिए शिक्षकों का बायोमेट्रिक अटेंडेंस है. ऐप पर जब शिक्षक अटेंडेंस बनाते हैं, उसके बाद ही उनकी सैलरी बनती है. यह इस वर्ष जून के आखिरी से शुरू किया गया.

ग्रैंड ट्रंक रोड इनीशिएटिव (ETV Bharat)

शिक्षक बना रहे हैं ऑनलाइन अटेंडेंस: डॉ एस सिद्धार्थ ने बताया कि शुरू में शिक्षकों को ऐप खेलने के लिए दिया गया कि ऐप में कुछ करके वह शिक्षा विभाग के बारे में जाने. फिर हर विद्यालय से कम से कम एक शिक्षक को ऐप पर अटेंडेंस बनाने के लिए कहा गया. ऐसा हुआ और इससे पता चल गया कि सभी विद्यालयों की जियो लोकेशन अच्छी है और वहां नेटवर्क की कोई दिक्कत नहीं है.

6 लाख शिक्षक करते हैं ऑनलाइन अटेंडेंस मार्क: वहीं इसके बाद वह विद्यालय में पूछने लगें कि जब एक शिक्षक अटेंडेंस डाल सकते हैं तो बाकी शिक्षकों ने ऐप पर अटेंडेंस क्यों नहीं डाला. इसके बाद जो शिक्षक ऐप पर अटेंडेंस डालते थे, उनसे बाकी शिक्षकों ने सीखा और ऐप पर अटेंडेंस डालना शुरू किया. इसके बाद 1 अक्टूबर से प्रदेश के लगभग 6 लाख शिक्षक सुबह में स्कूल आने समय ऐप पर अटेंडेंस मार्क करते हैं और शाम में स्कूल से लौटते समय अटेंडेंस मार्क करते हैं.

अटेंडेंस सिस्टम को गिनीज बुक में दर्ज कराने की तैयारी: डॉ एस सिद्धार्थ ने कहा कि शिक्षकों का अटेंडेंस आज के समय दुनिया का लार्जेस्ट अटेंडेंस सिस्टम बन चुका है. ऐप पर प्रतिदिन 12 लाख अटेंडेंस मार्क हो रहे हैं. वह अब इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अप्लाई कराने की तैयारी में है. इतना बड़ा अटेंडेंस सिस्टम कहीं नहीं है जिस पर एप्लीकेशन के इन -आउट के 12 लाख अटेंडेंस मार्क हो. उन्होंने कहा कि कोई भी तकनीक का अचानक इंट्रोडक्शन करना कठिन है और उनका पीएचडी का विषय भी इंट्रोड्यूजिंग टेक्नोलॉजी एंड एक्सेप्टेंस ऑफ टेक्नोलॉजी ही है.

"सीखने का जो कौशल होता है उसमें लोग अपने सहकर्मी से अधिक सीखते हैं. एक आदमी दूसरे आदमी से सीखता है और जब मजबूरी की स्थिति आ जाती है तो उस तकनीक को सब सीख लेते हैं."- डॉ. एस सिद्धार्थ, अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग,

एआई का सकारात्मक इस्तेमाल जरूरी: कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने कहा कि बिहार में तकनीक आधारित नवाचार को बढ़ावा देने में परसेप्शन चेंज महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. हमारी सरकार राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और सर्वांगीण विकास के लिए लगातार काम कर रही है, लेकिन इस अहम कार्य में दूसरों का सहयोग भी बहुत जरूरी है. अच्छी बात है कि बिहार के बारे में लोगों की अवधारणा बदल रही है.

"आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल हो रहा है, तो इस बात पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि कहीं हम एआई का गलत इस्तेमाल कर मानसिक गुलामी की तरफ तो नहीं जा रहे हैं. एआई के जो सकारात्मक पहलू है, उस पर सभी को काम करना होगा तभी हम विकसित राष्ट्र के निर्माण की तरफ मजबूती से आगे बढ़ेंगे."-विजय सिन्हा, उपमुख्यमंत्री

टेक्नोलॉजिकल इंडस्ट्री को लाने का प्रयास: जीटीआरआई के क्यूरेटर अदिति नंदन ने कहा कि आईडियाज फॉर बिहार एन इनोवेशन समिट का यह तीसरा संस्करण है. बिहार में हर सेक्टर में काफी काम करने की जरूरत है. लेकिन अभी के समय जितनी भी चुनौतियां हैं उसमें टेक्नोलॉजी एक ऐसा सेक्टर है, जो गैप को भरने में मदद करता है. तकनीक की बेहतर जानकारी से अपने आइडिया का इस्तेमाल कर बिहार के सुदूर क्षेत्र में भी बैठा व्यक्ति जीवन में बड़ा नाम कमा सकता है.

"बिहार में टेक्नोलॉजी में डीपटेक पर कोई बात नहीं कर रहा, टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम करने वाले बड़े लोग बिहार नहीं आ रहे हैं. इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रयास यही है कि एक ईको सिस्टम तैयार किया जाए जहां यह लोग यहां आए और उनके ऑफिस हो ताकि बिहार के लोगों को यहां काम करने का मौका मिले."-अदिति नंदन, क्यूरेटर, जीटीआरआई

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