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अपोलो के डॉक्टरों ने एक बच्चे को दिया नया जीवनदान, तीन जटिल बीमारियों से दिलाई मुक्ति - indraprastha apollo Hospital

दिल्ली के इंद्रप्रस्था अपोलो के डॉक्टरों ने एक 15 साल के बच्चे को नया जीवनदान दिया है. बच्चे में बिकरस्टाफ ब्रेनस्टेम एन्सेफलाइटिस, मिलर फिशर सिंड्रोम और एक्सोनल न्यूरोपैथी जैसे पाई गई जटिल बीमारी का इलाज कर एक सामान्य जिंदगी दे दी है.

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 17, 2024, 1:07 PM IST

Updated : Apr 17, 2024, 1:23 PM IST

नई दिल्ली : देश भर से कई लोग अपनी बीमारी को ठीक करने की उम्मीद से अक्सर एम्स, सफदरगंज या गंगा राम जैसे बड़े-बड़े अस्पताल में आते रहते है. ऐसे ही उम्मीद से एक 15 साल के मासूम बच्चे को इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां बच्चे में एक नहीं बल्कि तीन जटिल बीमारियों का पता चला. बच्चे, बिकरस्टाफ का ब्रेनस्टेम एन्सेफलाइटिस, मिलर फिशर सिंड्रोम और एक्सोनल न्यूरोपैथी बीमारी से जूझ रहा था, जिसका ठीक होना नामुमकिन था. लेकिन यहां के डाक्टरों ने हार नहीं मानी और बच्चे को एक नया जीवनदान मिल गया.

डॉक्टर ने बताया कि कुछ समय पहले हरियाणा के करनाल जिले से एक 15 वर्षीय मरीज असंतुलन, बोलने में कठिनाई, दोहरी दृष्टि, खाना खाने में कठिनाई और कई तरह के लक्षण होने के साथ इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती हुआ. मरीज की हालत तेजी से बिगड़ने लगा और उसके चेहरे का विचलन, लार टपकना और दाहिनी आंख बंद करने में कठिनाई जैसे गंभीर लक्षण भी दिखाई देने लगे. इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पीएन रेनजेन की निगरानी में मरीज की जांच शुरू की गई.

डॉक्टरों ने आईवीआईजी से शुरू किया इलाज

एमआरआई जांच में पता चला कि मरीज को बिकरस्टाफ ब्रेनस्टेम एन्सेफलाइटिस, मिलर फिशर सिंड्रोम और एक्सोनल न्यूरोपैथी बीमारी है, जो दुर्लभ बीमारी की श्रेणी में आता है. डॉक्टरों ने बताया कि बिकरस्टाफ का ब्रेनस्टेम एन्सेफलाइटिस (बीबीई) एक दुर्लभ, ऑटोइम्यून बीमारी है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है. वहीं, मिलर फिशर सिंड्रोम (एमएफएस) मरीज की नसों पर अटैक करता है. जबकि एक्सोनल न्यूरोपैथी केंद्रीय और परिधीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकती है. अस्पताल में मरीज को करीब पांच दिन तक इंट्रावेनस इम्युनोग्लोबुलिन (आईवीआईजी) के साथ इलाज किया गया, जिससे बच्चे ने अपनी स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार महसूस करने लगा. इसके बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है.

अपोलो हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पीएन रेनजेन ने कहा कि यह मामला दुर्लभ और जटिल न्यूरोलॉजिकल स्थितियों के प्रबंधन में से एक है. उच्च प्रौद्योगिकी वाले उपकरणों के साथ संपूर्ण नैदानिक मूल्यांकन से न सिर्फ हम मरीज की परेशानियों का पता लगा सकते हैं, बल्कि बिकरस्टाफ एन्सेफलाइटिस, मिलर फिशर सिंड्रोम और एक्सोनल न्यूरोपैथी जैसी बीमारियों की समय रहते पहचान और इलाज कर सकते हैं. हमारी बहु-विषयक टीम की विशेषज्ञता के साथ इंट्रावेनस इम्युनोग्लोबुलिन (आईवीआईजी) के जरिए मरीज को तुरंत आराम मिला.

ये भी पढ़ें : एम्स में मुफ्त जेनरिक दवा मिलने का संकट गहराया, हर दिन इलाज के लिए आते है 20 हजार मरीज

इंट्रावेनस इम्युनोग्लोबुलिन (आईवीआईजी) एक एकत्रित एंटीबॉडी है और एक जैविक एजेंट है, जिसका उपयोग विभिन्न इम्युनोडेफिशिएंसी स्थितियों और ऑटोइम्यून, संक्रामक और सूजन वाली स्थितियों सहित कई अन्य स्थितियों को प्रबंधित करने के लिए किया जाता है. इस थेरेपी का अंतिम लक्ष्य कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली को सामान्य बनाना है.

ये भी पढ़ें : लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में शुरू हुई रेडिएशन थेरेपी, कैंसर के मरीजों का होगा इलाज

नई दिल्ली : देश भर से कई लोग अपनी बीमारी को ठीक करने की उम्मीद से अक्सर एम्स, सफदरगंज या गंगा राम जैसे बड़े-बड़े अस्पताल में आते रहते है. ऐसे ही उम्मीद से एक 15 साल के मासूम बच्चे को इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां बच्चे में एक नहीं बल्कि तीन जटिल बीमारियों का पता चला. बच्चे, बिकरस्टाफ का ब्रेनस्टेम एन्सेफलाइटिस, मिलर फिशर सिंड्रोम और एक्सोनल न्यूरोपैथी बीमारी से जूझ रहा था, जिसका ठीक होना नामुमकिन था. लेकिन यहां के डाक्टरों ने हार नहीं मानी और बच्चे को एक नया जीवनदान मिल गया.

डॉक्टर ने बताया कि कुछ समय पहले हरियाणा के करनाल जिले से एक 15 वर्षीय मरीज असंतुलन, बोलने में कठिनाई, दोहरी दृष्टि, खाना खाने में कठिनाई और कई तरह के लक्षण होने के साथ इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती हुआ. मरीज की हालत तेजी से बिगड़ने लगा और उसके चेहरे का विचलन, लार टपकना और दाहिनी आंख बंद करने में कठिनाई जैसे गंभीर लक्षण भी दिखाई देने लगे. इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पीएन रेनजेन की निगरानी में मरीज की जांच शुरू की गई.

डॉक्टरों ने आईवीआईजी से शुरू किया इलाज

एमआरआई जांच में पता चला कि मरीज को बिकरस्टाफ ब्रेनस्टेम एन्सेफलाइटिस, मिलर फिशर सिंड्रोम और एक्सोनल न्यूरोपैथी बीमारी है, जो दुर्लभ बीमारी की श्रेणी में आता है. डॉक्टरों ने बताया कि बिकरस्टाफ का ब्रेनस्टेम एन्सेफलाइटिस (बीबीई) एक दुर्लभ, ऑटोइम्यून बीमारी है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है. वहीं, मिलर फिशर सिंड्रोम (एमएफएस) मरीज की नसों पर अटैक करता है. जबकि एक्सोनल न्यूरोपैथी केंद्रीय और परिधीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकती है. अस्पताल में मरीज को करीब पांच दिन तक इंट्रावेनस इम्युनोग्लोबुलिन (आईवीआईजी) के साथ इलाज किया गया, जिससे बच्चे ने अपनी स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार महसूस करने लगा. इसके बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है.

अपोलो हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पीएन रेनजेन ने कहा कि यह मामला दुर्लभ और जटिल न्यूरोलॉजिकल स्थितियों के प्रबंधन में से एक है. उच्च प्रौद्योगिकी वाले उपकरणों के साथ संपूर्ण नैदानिक मूल्यांकन से न सिर्फ हम मरीज की परेशानियों का पता लगा सकते हैं, बल्कि बिकरस्टाफ एन्सेफलाइटिस, मिलर फिशर सिंड्रोम और एक्सोनल न्यूरोपैथी जैसी बीमारियों की समय रहते पहचान और इलाज कर सकते हैं. हमारी बहु-विषयक टीम की विशेषज्ञता के साथ इंट्रावेनस इम्युनोग्लोबुलिन (आईवीआईजी) के जरिए मरीज को तुरंत आराम मिला.

ये भी पढ़ें : एम्स में मुफ्त जेनरिक दवा मिलने का संकट गहराया, हर दिन इलाज के लिए आते है 20 हजार मरीज

इंट्रावेनस इम्युनोग्लोबुलिन (आईवीआईजी) एक एकत्रित एंटीबॉडी है और एक जैविक एजेंट है, जिसका उपयोग विभिन्न इम्युनोडेफिशिएंसी स्थितियों और ऑटोइम्यून, संक्रामक और सूजन वाली स्थितियों सहित कई अन्य स्थितियों को प्रबंधित करने के लिए किया जाता है. इस थेरेपी का अंतिम लक्ष्य कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली को सामान्य बनाना है.

ये भी पढ़ें : लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में शुरू हुई रेडिएशन थेरेपी, कैंसर के मरीजों का होगा इलाज

Last Updated : Apr 17, 2024, 1:23 PM IST
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