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इस मछली को खाने से होता है कैंसर, इंदौर में नष्ट की गई 6 क्विंटल थाईलैंड मांगुर - Thailand mangur fish destroy

थाईलैंड की मांगुर मछली कितनी घातक होती है इसका अंदाजा आप इसी से लगाइए कि इसे खाने से कैंसर होता है. बावजूद इसके देश में यह कई जगह धड़ल्ले से बिक रही है. इंदौर में 6 क्विंटल मांगुर मछली को नष्ट किया गया.

THAILAND MANGUR FISH DESTROY
6 क्विंटल मांगुर मछली जब्त
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 27, 2024, 10:32 PM IST

इंदौर। मानव शरीर और पर्यावरण के लिए घातक थाईलैंड की मांगुर मछली का अब मध्य प्रदेश में चोरी छुपे परिवहन हो रहा है. हाल ही में इंदौर में चोरी छिपे लाई गई 6 क्विंटल मछली को मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने जब्त करके नष्ट किया. इसके पहले भी इंदौर में मांगुर मछली जब्त की गई थी. जिसके बीज चोरी छुपे थाईलैंड से लाए गए हैं. जिसका अब मध्य प्रदेश में चोरी छिपे उत्पादन करके बाजार में बेचा जा रहा है.

6 क्विंटल मांगुर मछली जब्त

इंदौर के सदर बाजार क्षेत्र में मत्स्य विभाग के सहायक संचालक एमके पानखेड़े ने प्राप्त सूचना के आधार पर जब यहां एक वाहन क्रमांक एमपी 09 -एलआर-6264 की जांच की तो संबंधित गाड़ी में दो टंकियां में करीब 6 क्विंटल थाईलैंड की मांगुर मछली पाई गई. इसके बाद मत्स्य विभाग की टीम ने गाड़ी और संबंधित मछली को जब्त कर लिया. इस मामले में वाहन चालक के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है. मछली को शहर के बिलावली तालाब परिसर के पास नष्ट किया गया.

Thailand mangur fish destroy
इंदौर में नष्ट की गई 6 क्विंटल थाईलैंड मांगूर

घातक है थाईलैंड की मांगुर मछली

दुनिया भर में यह इकलौती ऐसी मछली की किस्म है जो सड़ा हुआ मांस और गंदगी आसानी से खाती है. इस मछली को थाईलैंड में विकसित किया गया है जो मानव शरीर और पर्यावरण दोनों के लिए घातक है. इस मछली का वजन 1 किलो से लेकर 10 किलो तक होता है. जो वॉकिंग कैटफिश के नाम से भी जानी जाती है. बताया जाता है कि तालाब के सूखने पर यह दूसरे तालाब में सांप की तरह चलकर भी जा सकती है.

भारत सरकार ने उत्पादन पर लगाया है प्रतिबंध

दरअसल भारत में इसके बीज को चोरी छुपे थाईलैंड से लाया गया है. यह मछली ₹100 से लेकर 150 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक जाती है. कुछ ही दिनों में यह विकसित होकर कई किलो तक वजनी हो जाती है. यही वजह है कि मछली पालन करने वाले मछुआरे कम लागत में अधिक मुनाफे के चलते अब इस मछली का चोरी छुपे उत्पादन कर रहे हैं. भारत सरकार ने वर्ष 2000 में इस मछली के उत्पादन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा रखा है. दरअसल इसकी वजह मछली में पाया जाने वाला आयरन और लैड है जो मांगुर मछली के शरीर में 80% तक पाया जाता है.

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कैंसर समेत होती हैं कई बीमारियां

इस मछली को खाने से कैंसर, चर्मरोग, शुगर एवं अन्य घातक बीमारियां होने की आशंका रहती है. इसके अलावा लैड की मात्रा शरीर में पहुंचते ही यह कैंसर पैदा करता है. देखने में यह भारतीय मांगुर मछली की तरह ही दिखती है, इसलिए इसे पहचानना थोड़ा मुश्किल होता है. यही वजह है कि थाईलैंड की मांगुर मछली को भारतीय मीठे पानी की मांगुर मछली बताकर बाजार में चोरी छुपे बेचा जा रहा है. जिसके चलते अब मत्स्य पालन विभाग को इस मछली को पकड़ने के लिए बाकायदा टीम गठित करनी पड़ रही है.

इंदौर। मानव शरीर और पर्यावरण के लिए घातक थाईलैंड की मांगुर मछली का अब मध्य प्रदेश में चोरी छुपे परिवहन हो रहा है. हाल ही में इंदौर में चोरी छिपे लाई गई 6 क्विंटल मछली को मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने जब्त करके नष्ट किया. इसके पहले भी इंदौर में मांगुर मछली जब्त की गई थी. जिसके बीज चोरी छुपे थाईलैंड से लाए गए हैं. जिसका अब मध्य प्रदेश में चोरी छिपे उत्पादन करके बाजार में बेचा जा रहा है.

6 क्विंटल मांगुर मछली जब्त

इंदौर के सदर बाजार क्षेत्र में मत्स्य विभाग के सहायक संचालक एमके पानखेड़े ने प्राप्त सूचना के आधार पर जब यहां एक वाहन क्रमांक एमपी 09 -एलआर-6264 की जांच की तो संबंधित गाड़ी में दो टंकियां में करीब 6 क्विंटल थाईलैंड की मांगुर मछली पाई गई. इसके बाद मत्स्य विभाग की टीम ने गाड़ी और संबंधित मछली को जब्त कर लिया. इस मामले में वाहन चालक के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है. मछली को शहर के बिलावली तालाब परिसर के पास नष्ट किया गया.

Thailand mangur fish destroy
इंदौर में नष्ट की गई 6 क्विंटल थाईलैंड मांगूर

घातक है थाईलैंड की मांगुर मछली

दुनिया भर में यह इकलौती ऐसी मछली की किस्म है जो सड़ा हुआ मांस और गंदगी आसानी से खाती है. इस मछली को थाईलैंड में विकसित किया गया है जो मानव शरीर और पर्यावरण दोनों के लिए घातक है. इस मछली का वजन 1 किलो से लेकर 10 किलो तक होता है. जो वॉकिंग कैटफिश के नाम से भी जानी जाती है. बताया जाता है कि तालाब के सूखने पर यह दूसरे तालाब में सांप की तरह चलकर भी जा सकती है.

भारत सरकार ने उत्पादन पर लगाया है प्रतिबंध

दरअसल भारत में इसके बीज को चोरी छुपे थाईलैंड से लाया गया है. यह मछली ₹100 से लेकर 150 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक जाती है. कुछ ही दिनों में यह विकसित होकर कई किलो तक वजनी हो जाती है. यही वजह है कि मछली पालन करने वाले मछुआरे कम लागत में अधिक मुनाफे के चलते अब इस मछली का चोरी छुपे उत्पादन कर रहे हैं. भारत सरकार ने वर्ष 2000 में इस मछली के उत्पादन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा रखा है. दरअसल इसकी वजह मछली में पाया जाने वाला आयरन और लैड है जो मांगुर मछली के शरीर में 80% तक पाया जाता है.

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कैंसर समेत होती हैं कई बीमारियां

इस मछली को खाने से कैंसर, चर्मरोग, शुगर एवं अन्य घातक बीमारियां होने की आशंका रहती है. इसके अलावा लैड की मात्रा शरीर में पहुंचते ही यह कैंसर पैदा करता है. देखने में यह भारतीय मांगुर मछली की तरह ही दिखती है, इसलिए इसे पहचानना थोड़ा मुश्किल होता है. यही वजह है कि थाईलैंड की मांगुर मछली को भारतीय मीठे पानी की मांगुर मछली बताकर बाजार में चोरी छुपे बेचा जा रहा है. जिसके चलते अब मत्स्य पालन विभाग को इस मछली को पकड़ने के लिए बाकायदा टीम गठित करनी पड़ रही है.

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