इंदौर: दुनियाभर के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र इंदौर के खजराना गणेश मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा आज के दिन हुई थी. आज तिल चतुर्थी मनाई जा रही है. 10वीं शताब्दी में लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के विशेष प्रयासों से तैयार इस मंदिर में तिल चतुर्थी पर मेला और पूजन की मान्यता आज भी निभाई जा रही है. तिल चतुर्थी पर शुक्रवार को खजराना गणेश मंदिर में ध्वजा अर्पण करने के साथ ही भगवान गणेश को सवा लाख लड्डुओं का भोग लगता है.
औरंगजेब के डर से मूर्ति को बावड़ी में छिपाया
दरअसल, परमारकालीन प्राचीन खजराना गणेश मंदिर भी मुगल आक्रांता औरंगजेब के हमले का शिकार हुआ था. उस दौरान मूर्ति को बचाने के लिए इसे पास में ही मौजूद बावड़ी में छिपा दिया गया था. कालांतर में मंदिर के पुजारी रहे मंगल भट्ट को स्वप्न आया कि मंदिर की मूर्ति बावड़ी में मौजूद है. इसकी जानकारी तत्कालीन होलकर वंश की शासिका अहिल्याबाई होल्कर को दी गई. इसके बाद अहिल्याबाई होल्कर ने तिल चतुर्थी के दिन ही मंदिर में मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा कराई थी. तभी से मंदिर में एक दिवसीय मेला और तिल चतुर्थी पर ध्वजा अर्पण करने के साथ विशेष पूजा की परंपरा है.
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खजराना में अगले साल से एक माह लगेगा मेला
तिल चतुर्थी पर शुक्रवार को खजराना मंदिर प्रशासन समिति के प्रमुख इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने यहां परंपरा अनुसार ध्वज अर्पित की. वहीं भगवान गणेश से अहिल्याबाई होलकर के शहर इंदौर की प्रगति समृद्धि और कुशलता की कामना की. मंदिर के प्रमुख पुजारी अशोक भट्ट बताते हैं "प्राचीन काल से ही यहां तिल चतुर्थी पर एक दिवसीय मेला लगता रहा है, लेकिन इस बार प्रबंध समिति ने तय किया है कि अगले साल से यह मेला पूरे एक माह तक चलेगा. आज के दिन यहां सवा लाख लड्डुओं का भोग भगवान श्री गणेश को अर्पित किया गया. इसके अलावा भगवान श्री गणेश के मंदिर में विशेष सजावट और श्रृंगार किया गया. वही भगवान को स्वर्ण आभूषणों से सुशोभित भी किया गया."