इंदौर: गुरु पूर्णिमा के मौके पर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में गुरुओं के सम्मान को लेकर गुरु पूर्णिमा महोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इंदौर आए. इस दौरान विश्वविद्यालय में मंत्री तुलसी सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव सहित कई विधायक व बड़ी संख्या में छात्र और शिक्षक मौजूद रहे. कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति मिथिला प्रसाद त्रिपाठी भी शामिल हुए.
सेवानिवृत शिक्षकों का किया गया सम्मान
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मिथिला प्रसाद त्रिपाठी ने गुरू के महत्व और गुरू शिष्य परंपरा को लेकर बात की. कार्यक्रम में सीएम ने जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के पूर्व कुलपति पीवी सक्सेना, मान सिंह परमार, आशुतोष मिश्रा, अशोक शर्मा, पीएन मिश्रा, प्रो मंदिरा बनर्जी, प्रो अनूप व्यास, प्रो सुमित्रा वास्केल सहित अन्य प्रोफेसर व गुरुजनों को सम्मानित किया.
बच्चों को दिए गए पुरस्कार
गुरु पूर्णिमा महोत्सव कार्यक्रम के दौरान सीएम ने गुरु पूर्णिमा विषय पर आयोजित हुई निबंध प्रतियोगिता के विजेता स्कूली छात्र छात्राओं का सम्मान किया. साथ ही मोड़ी लिपि के दस्तावेजों के ट्रांसलेशन कार्य के लिए अंशिका जैन को भी सम्मानित किया
गुरू शिष्य के जीवन को बदल देता है: मोहन यादव
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि "एक गुरु अपने व्यक्तिगत जीवन को अलग रखकर शिष्य को शिक्षा दीक्षा देने का काम करते हैं, इसलिए गुरु पूजनीय है. गुरु में ही शिष्य के जीवन को बदलकर रखने की क्षमता है. गुरु के प्रति सम्मान के इसी भाव को जागृत करने और बनाए रखने के लिए पूरे प्रदेश में गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया जा रहा है और यह इसी तरह हर वर्ष मनाया जाएगा.''
गुड़ी पड़वा मकर संक्रांति की तरह मनाया जाएगा गुरु पूर्णिमा पर्व
सीएम डॉ. मोहन यादव ने भगवान श्री राम और भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के बारे में बताते हुए गुरु के महत्व को बताया. उन्होंने कहा कि, ''एक गुरु में ही अपने शिष्य के जीवन को बदलने की क्षमता है. उन्होंने कहा कि चाहे कोई कुछ भी कहे लेकिन प्रदेश में हर वर्ष इसी तरह गुढ़ी पड़वा और मकर संक्रांति की तरह गुरु पूर्णिमा भी समारोहपूर्वक मनाया जाएगा.''
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डीएवीवी से शुरू हुई कुलपति को कुलगुरु करने की प्रक्रिया
कार्यक्रम में अपने संबोधन में सीएम डॉ. मोहन यादव ने गुरु पूर्णिमा और गुरू के महत्व पर प्रकाश डाला. साथ ही उन्होंने बताया कि, ''कुलपति से कुलगुरु शब्द करने के विचार और प्रस्ताव की शुरुआत डीएवीवी के कार्यक्रम में हुई थी. उस समय डॉ. यादव उच्च शिक्षा मंत्री थे, लेकिन अब जब कुलगुरु शब्द नोटिफाई हुआ है तो इस समय में वे प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं.''