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जानें कब है इंदिरा एकादशी, इसके महत्व, मुहूर्त, पारण समय पर भी एक नजर - Indira Ekadashi 2024

Indira Ekadashi 2024: इंदिरा एकादशी का व्रत अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. यह सितंबर की अंतिम एकादशी है. इस दिन उपवास रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और इंदिरा एकादशी की व्रत कथा सुनते हैं. यह व्रत पितृ पक्ष में आता है और यह पितरों के लिए विशेष माना जाता है. तो आईए जानते हैं कि इंदिरा एकादशी कब है और क्या इसका महत्व है ? पूजा का विधि विधान भी इस रिपोर्ट के जरिए समझते हैं.

Indira Ekadashi 2024
Indira Ekadashi 2024 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Sep 21, 2024, 12:45 PM IST

करनाल: सनातन धर्म में एकादशी का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. वहीं, आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस एकादशी का सभी एकादशियों में से ज्यादा महत्व बताया गया है. क्योंकि इस एकादशी के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा अर्चना, पिंडदान ,तर्पण किए जाते हैं. ऐसा करने से उनके पितरों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

वहीं, कुछ लोग इस एकादशी के दिन व्रत भी रखते हैं. जिसका विशेष महत्व होता है. माना जाता है कि यह व्रत करने से जहां पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. तो वहीं जन्मों-जन्मों के पापों से मुक्ति भी मिल जाती है. इस एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा जातक पर बनी रहती है. उसके घर में खुशहाली आती है.

कब है इंदिरा एकादशी : पंडित पवन शर्मा ने बताया कि इंदिरा एकादशी का महत्व सभी एकादशियों में से ज्यादा माना जाता है. क्योंकि इस दिन विशेष तौर पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा अर्चना की जाती है. इंदिरा एकादशी का आरंभ 27 सितंबर को दोपहर 1:19 से हो रहा है. जबकि इसका समापन 28 सितंबर दोपहर बाद 2:50 पर हो रहा है. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है. इसीलिए इंदिरा एकादशी को 28 सितंबर के दिन मनाया जाएगा.

पूजा का शुभ मुहूर्त: इंदिरा एकादशी के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त का समय चौघड़िया शुभ मुहूर्त 28 सितंबर को सुबह 7:42 से शुरू होकर 9:12 तक रहेगा. अमृत चौघड़िया शुभ मुहूर्त का समय दोपहर 3:11 से शुरू होकर 4:30 तक रहेगा. जिसको भी अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा अर्चना पिंडदान अनुष्ठान करने हैं. यह शुभ मुहूर्त उनके लिए सबसे अच्छे हैं.

पूजा का विधि विधान: इंदिरा एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके मंदिर में भगवान विष्णु के आगे देसी घी का दीपक जलाएं और उनकी पूजा अर्चना करें. इस दौरान जो भी इंसान व्रत रखना चाहता है. वह व्रत रखने का प्रण लें. पूजा के दौरान भगवान विष्णु के आगे पीले रंग के फल फूल वस्त्र मिठाई अर्पित करें. दिन में एकादशी की कथा करें. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने के बाद गरीबों को भोजन कराएं. अपनी इच्छा अनुसार उनका दान करें.

वहीं, जो लोग अपने पितरों के लिए पूजा अर्चना करना चाहते हैं. वह शुभ मुहूर्त के समय अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा अर्चना, पिंडदान, तर्पण और अनुष्ठान करें. कुछ लोग इस एकादशी के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी व्रत रखते हैं. उसके व्रत का नियम भी अन्य एकादशी की तरह ही होता है. उसमें विशेष तौर पर अलग से पितरों की पूजा अर्चना की जाती है. पारण के समय अपने व्रत का पारण करें. गाय जरूरतमंद और ब्राह्मणों को भोजन कराएं.

व्रत का पारण का समय: उन्होंने बताया कि जो भी इंसान इस एकादशी के दिन व्रत रखना चाहते हैं, उनके व्रत के पारण का समय 29 सितंबर को सुबह 6:13 से लेकर 8:36 तक रहेगा. इस दौरान वह अपने व्रत का पारण कर सकते हैं. इंदिरा एकादशी के दिन दो शुभ योग भी बनते हुए दिखाई दे रहे हैं. 28 सितंबर को सिद्धि योग सुबह 11: 51 बजे बजे तक रहेगा. उसके उपरांत साध्य योग सुबह अगले दिन तक रहेगा.

इंदिरा एकादशी का महत्व : पंडित ने बताया कि इंदिरा एकादशी का महत्व सबसे ज्यादा होता है. विष्णु पुराण में इसके बारे में वर्णन किया गया है कि इस एकादशी का व्रत करने से इंसान को पृथ्वी लोक पर सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है. उसके घर में सुख समृद्धि बनी रहती है. वहीं, मृत्यु उपरांत इंसान को उच्च लोक की प्राप्ति होती है. यह श्राद्ध पक्ष के दौरान आती है, इसलिए इस एकादशी के दिन विशेष तौर पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए धार्मिक अनुष्ठान पूजा पाठ पिंडदान तर्पण किए जाते हैं.

वहीं, कुछ जातक इस एकादशी के दिन अपने पितरों के लिए व्रत भी रखते हैं. जिसे उनकी आत्मा को शांति मिलती है. इस एकादशी के दिन विशेष तौर पर भगवान विष्णु की भी पूजा अर्चना की जाती है. व्रत रखा जाता है माना जाता है कि जो भी इंसान इस दिन व्रत रखता है. उनके ऊपर पितरों के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी कृपा बनी रहती है. घर में सुख समृद्धि आती है. पितरों के लिए पिंडदान करने से उनके पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनको उच्च लोक की प्राप्ति होती है.

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करनाल: सनातन धर्म में एकादशी का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. वहीं, आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस एकादशी का सभी एकादशियों में से ज्यादा महत्व बताया गया है. क्योंकि इस एकादशी के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा अर्चना, पिंडदान ,तर्पण किए जाते हैं. ऐसा करने से उनके पितरों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

वहीं, कुछ लोग इस एकादशी के दिन व्रत भी रखते हैं. जिसका विशेष महत्व होता है. माना जाता है कि यह व्रत करने से जहां पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. तो वहीं जन्मों-जन्मों के पापों से मुक्ति भी मिल जाती है. इस एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा जातक पर बनी रहती है. उसके घर में खुशहाली आती है.

कब है इंदिरा एकादशी : पंडित पवन शर्मा ने बताया कि इंदिरा एकादशी का महत्व सभी एकादशियों में से ज्यादा माना जाता है. क्योंकि इस दिन विशेष तौर पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा अर्चना की जाती है. इंदिरा एकादशी का आरंभ 27 सितंबर को दोपहर 1:19 से हो रहा है. जबकि इसका समापन 28 सितंबर दोपहर बाद 2:50 पर हो रहा है. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है. इसीलिए इंदिरा एकादशी को 28 सितंबर के दिन मनाया जाएगा.

पूजा का शुभ मुहूर्त: इंदिरा एकादशी के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त का समय चौघड़िया शुभ मुहूर्त 28 सितंबर को सुबह 7:42 से शुरू होकर 9:12 तक रहेगा. अमृत चौघड़िया शुभ मुहूर्त का समय दोपहर 3:11 से शुरू होकर 4:30 तक रहेगा. जिसको भी अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा अर्चना पिंडदान अनुष्ठान करने हैं. यह शुभ मुहूर्त उनके लिए सबसे अच्छे हैं.

पूजा का विधि विधान: इंदिरा एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके मंदिर में भगवान विष्णु के आगे देसी घी का दीपक जलाएं और उनकी पूजा अर्चना करें. इस दौरान जो भी इंसान व्रत रखना चाहता है. वह व्रत रखने का प्रण लें. पूजा के दौरान भगवान विष्णु के आगे पीले रंग के फल फूल वस्त्र मिठाई अर्पित करें. दिन में एकादशी की कथा करें. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने के बाद गरीबों को भोजन कराएं. अपनी इच्छा अनुसार उनका दान करें.

वहीं, जो लोग अपने पितरों के लिए पूजा अर्चना करना चाहते हैं. वह शुभ मुहूर्त के समय अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा अर्चना, पिंडदान, तर्पण और अनुष्ठान करें. कुछ लोग इस एकादशी के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी व्रत रखते हैं. उसके व्रत का नियम भी अन्य एकादशी की तरह ही होता है. उसमें विशेष तौर पर अलग से पितरों की पूजा अर्चना की जाती है. पारण के समय अपने व्रत का पारण करें. गाय जरूरतमंद और ब्राह्मणों को भोजन कराएं.

व्रत का पारण का समय: उन्होंने बताया कि जो भी इंसान इस एकादशी के दिन व्रत रखना चाहते हैं, उनके व्रत के पारण का समय 29 सितंबर को सुबह 6:13 से लेकर 8:36 तक रहेगा. इस दौरान वह अपने व्रत का पारण कर सकते हैं. इंदिरा एकादशी के दिन दो शुभ योग भी बनते हुए दिखाई दे रहे हैं. 28 सितंबर को सिद्धि योग सुबह 11: 51 बजे बजे तक रहेगा. उसके उपरांत साध्य योग सुबह अगले दिन तक रहेगा.

इंदिरा एकादशी का महत्व : पंडित ने बताया कि इंदिरा एकादशी का महत्व सबसे ज्यादा होता है. विष्णु पुराण में इसके बारे में वर्णन किया गया है कि इस एकादशी का व्रत करने से इंसान को पृथ्वी लोक पर सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है. उसके घर में सुख समृद्धि बनी रहती है. वहीं, मृत्यु उपरांत इंसान को उच्च लोक की प्राप्ति होती है. यह श्राद्ध पक्ष के दौरान आती है, इसलिए इस एकादशी के दिन विशेष तौर पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए धार्मिक अनुष्ठान पूजा पाठ पिंडदान तर्पण किए जाते हैं.

वहीं, कुछ जातक इस एकादशी के दिन अपने पितरों के लिए व्रत भी रखते हैं. जिसे उनकी आत्मा को शांति मिलती है. इस एकादशी के दिन विशेष तौर पर भगवान विष्णु की भी पूजा अर्चना की जाती है. व्रत रखा जाता है माना जाता है कि जो भी इंसान इस दिन व्रत रखता है. उनके ऊपर पितरों के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी कृपा बनी रहती है. घर में सुख समृद्धि आती है. पितरों के लिए पिंडदान करने से उनके पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनको उच्च लोक की प्राप्ति होती है.

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