नई दिल्ली: आज से 171 साल पहले 16 अप्रैल 1853 को भारत में पहली बार मुंबई से ठाणे के बीच ट्रेन चली थी. इस ट्रेन में सिंध, साहिब और सुल्तान नाम के तीन इंजन लगे थे. 14 डिब्बों की ट्रेन के चलने पर 21 तोपों की सलामी दी गई थी. ट्रेन 400 यात्रियों को लेकर चली थी. 34 किमी की दूरी 1 घंटे 15 मिनट में तय की थी. लोग ट्रेन को देख सकें इसके लिए अंग्रेजी हुकूमत ने अवकाश घोषित किया था. अंग्रेजों ने रेल नेटवर्क की शुरुआत लोगों की जरूरत के लिए नहीं बल्कि माल ढुलाई के लिए की थी लेकिन आज अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारतीय रेलवे विश्व की चौथी सबसे बड़ी रेल सेवा है. रोजाना करीब 2.31 करोड़ यात्रियों औ 33 लाख टन माल ढोती है.
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक भारतीय रेलवे की कुल लंबाई 1,15,000 किलोमीटर है. भारतीय रेलवे में रोजाना करीब 2 करोड़ 31 लाख यात्री सफर करते हैं. इतनी तो कई देशों का आबादी भी नहीं है. भारतीय रेलवे में 12,147 से अधिक लोकोमोटिव (इंजन) हैं. 74,003 से अधिक यात्री कोच और 289185 से अधिक वैगन (माल ढुलाई वाले कोच) हैं. 8702 यात्री ट्रेनों के साथ 13,523 ट्रेनें चलती हैं. भारतीय रेलवे में 300 रेलवे यार्ड, 2300 माल ढुलाई और 700 मरम्मत के केंद्र हैं. भारतीय रेलवे दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेलवे सेवा है. भारतीय रेलवे 12.27 लाख कर्मचारियों के साथ विश्व की आठवीं सबसे बड़ी व्यावसायिक इकाई है. भारतीय रेलवे को 17 जोनों में बांटा गया है, जिसके अधीन कुल 70 मंडल हैं. आज भारत में कुल 7216 रेलवे स्टेशन हैं.
आज 130 की रफ्तार से चल रहीं ट्रेने: सबसे पहली ट्रेन भाप से चलने वाले तीन इंजन से 34 किमी का सफर 1 घंटे 15 मिनट में तय की थी. लेकिन आज देश में वंदे भारत जैसी ट्रेनें 130 किमी प्रति घंटे तक की रफ्तार से चल रही हैं. देश के विभिन्न राज्यों के बीच अभी तक कुल 51 वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं. भारतीय रेलवे ट्रेनों की रफ्तार 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हैं. भारतीय रेलवे हाईस्पीड बुलेट ट्रेन भी चलाने की दिशा में काम कर रहा है.
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94 प्रतिशत रेल लाइनों का इलेक्ट्रिफिकेशन: पहले भाप के इंजन से देश में ट्रेनें चलती थीं. 3 फरवरी 1925 को भारत में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाई गई थी. यह ट्रेन विक्टोरिया टर्मिनस (छत्रपति शिवाजी महाराज स्टेशन मुंबई) और कुर्ला हार्बर रेलवे स्टेशन के बीच चलाई गई थी. 99 साल में भारतीय रेलवे 94 प्रतिशत रेल लाइनों का इलेक्ट्रिफिकेशन कर चुका है. इस वर्ष के अंत तक 100 प्रतिशत रेल लाइनों का इलेक्ट्रीफिकेशन हो जाएगा. बिजली से ट्रेनों के चलने से रफ्तार बढ़ती है. साथ ही कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है.
रेवाड़ी लोको शेड में रखे हैं भाप के इंजन: रेलवे अधिकारियों के मुताबिक रेलवे के दिल्ली मंडल के हरियाणा स्थित रेवाड़ी में देश का एकमात्र लोको शेड है. जहां पर भाप के इंजनों को संरक्षित किया गया है. सिंध, साहिब और सुल्तान इंजन का भी मॉडल यहां पर है, जो वर्किंग है. इसके अतिरिक्त अन्य ऐतिहासिक भाप के इंजन है, जिन्हें समय समय पर चलाया जाता है. जिससे वह काम करते रहे.
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