ETV Bharat / state

ICHR अध्यक्ष राघवेंद्र तंवर बोले, संस्था बस सच्चाई सामने लाने का प्रयास कर रही, इतिहास बदलने का नहीं - ICHR President - ICHR PRESIDENT

पद्मश्री राघवेंद्र तंवर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 108वीं जयंती पर ICHR द्वारा आयोजित इतिहास से जुड़े अनछुए पहलुओं की संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करने आए थे. पं दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में कार्यक्रम के बाद उन्होंने ईटीवी भारत से यह खास बातचीत की.

Etv Bharat
ICHR के अध्यक्ष राघवेंद्र तंवर. (Photo Credit; ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 25, 2024, 5:51 PM IST

गोरखपुर: भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद यानी ICHR के अध्यक्ष, पद्मश्री राघवेंद्र तंवर ने कहा कि यह संस्था किसी एक इतिहास को हटाकर दूसरा इतिहास बनाने के प्रयास में नहीं है. उसके द्वारा तो बस सच्चाई को सामने लाने का प्रयास हो रहा है. ICHR का प्रयास है कि जो झूठ है उसे लोग नकारें और सच्चाई को स्वीकार करें. क्योंकि सच्चाई को लिखना जितना आसान है, झूठ की कल्पना करना बहुत ही मुश्किल होता है.

भारतीय अभिलेखागार में इतिहास से जुड़े जो तथ्य मौजूद हैं, उन्हीं को ICHR समाज के सामने लाने का प्रयास कर रहा है. क्योंकि भारतीय इतिहास में जो गलत तथ्य प्रस्तुत हो गए हैं, उसमें सुधार कार्य करने की बहुत जरूरत है, जिसे भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद कर रहा है. हमारी कोशिश है कि जिस सच्चाई को अब तक दबाकर रखा गया है, उसको हम सामने लाकर जनता को उससे रूबरू कराएं.

ICHR के अध्यक्ष राघवेंद्र तंवर से खास बातचीत. (Video Credit; ETV Bharat)

पद्मश्री तंवर बुधवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 108वीं जयंती पर ICHR द्वारा आयोजित इतिहास से जुड़े अनछुए पहलुओं की संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करने आए थे. पं दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में कार्यक्रम के बाद उन्होंने ईटीवी भारत से यह खास बातचीत की.

उन्होंने कहा कि भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद दिल्ली के बाहर बहुत कम ऐसे संगोष्ठी और सेमिनार का आयोजन करता है. कुछ समय पहले जम्मू-कश्मीर में आयोजन हुआ था. लेकिन, पूर्वांचल की धरती पर यह पहली बार हुआ है, जब इतिहास से जुड़े तथ्यों को लेकर बड़ा मंथन हो रहा है. उन्होंने संगोष्ठी में लोगों की मौजूदगी को इतिहास के प्रति रुचि का होना बताया और कहा कि भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद उस विषय को उठा रहा है जो छुपाया गया है.

हम किसी एक इतिहास को हटाकर दूसरा इतिहास बनाने के प्रयास में नहीं है. हमारा प्रयास है कि जो झूठ है उसे लोग नकारें और सच्चाई को स्वीकार करें. इसके लिए स्कूल, कॉलेज बड़ा माध्यम हो सकता है. जहां की पाठ्य पुस्तकों में इतिहास को सही रूप से प्रस्तुत करते हुए, भारतीय इतिहास की रूपरेखा प्रस्तुत की जा सकती है. छात्र और युवा पीढ़ी इससे परिचित होगी.

उन्होंने कहा कि एक अनपढ़ और आम आदमी भी इतिहास में रुचि रखता है. उसको गलत बताएंगे तो वह सही चीज नहीं जान पाएगा. भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद की यही कोशिश है कि सच को सामने लाया जाए. भारतीय इतिहास में बहुत ही रूढ़िता है. ऐसे में हम उसे दूर करने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि भारतीय अभिलेखागार में इतिहास से जुड़े तमाम वह तथ्य मौजूद हैं जो लोगों के सामने बहुत पहले आ जाने चाहिए थे लेकिन, वह नहीं आ पाए. यही वजह है कि कुछ गलत जानकारी और तथ्यों को इतिहास के पन्नों का हिस्सा बना दिया गया, जिसको पढ़ते-पढ़ाते हुए लोग भी गलत तथ्यों से ही अवगत हुए. मौजूदा समय में इतिहास अनुसंधान परिषद और इतिहास संकलन समिति सही तथ्यों को प्रस्तुत करने में जुटा है.

ये भी पढ़ेंः अयोध्या में बाबरी ढांचे की खोदाई करने वाले ASI के पूर्व रीजनल डायरेक्टर केके मोहम्मद बोले, ज्ञानवापी-कृष्ण जन्मभूमि पर दावा छोड़ें मुसलमान

गोरखपुर: भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद यानी ICHR के अध्यक्ष, पद्मश्री राघवेंद्र तंवर ने कहा कि यह संस्था किसी एक इतिहास को हटाकर दूसरा इतिहास बनाने के प्रयास में नहीं है. उसके द्वारा तो बस सच्चाई को सामने लाने का प्रयास हो रहा है. ICHR का प्रयास है कि जो झूठ है उसे लोग नकारें और सच्चाई को स्वीकार करें. क्योंकि सच्चाई को लिखना जितना आसान है, झूठ की कल्पना करना बहुत ही मुश्किल होता है.

भारतीय अभिलेखागार में इतिहास से जुड़े जो तथ्य मौजूद हैं, उन्हीं को ICHR समाज के सामने लाने का प्रयास कर रहा है. क्योंकि भारतीय इतिहास में जो गलत तथ्य प्रस्तुत हो गए हैं, उसमें सुधार कार्य करने की बहुत जरूरत है, जिसे भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद कर रहा है. हमारी कोशिश है कि जिस सच्चाई को अब तक दबाकर रखा गया है, उसको हम सामने लाकर जनता को उससे रूबरू कराएं.

ICHR के अध्यक्ष राघवेंद्र तंवर से खास बातचीत. (Video Credit; ETV Bharat)

पद्मश्री तंवर बुधवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 108वीं जयंती पर ICHR द्वारा आयोजित इतिहास से जुड़े अनछुए पहलुओं की संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करने आए थे. पं दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में कार्यक्रम के बाद उन्होंने ईटीवी भारत से यह खास बातचीत की.

उन्होंने कहा कि भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद दिल्ली के बाहर बहुत कम ऐसे संगोष्ठी और सेमिनार का आयोजन करता है. कुछ समय पहले जम्मू-कश्मीर में आयोजन हुआ था. लेकिन, पूर्वांचल की धरती पर यह पहली बार हुआ है, जब इतिहास से जुड़े तथ्यों को लेकर बड़ा मंथन हो रहा है. उन्होंने संगोष्ठी में लोगों की मौजूदगी को इतिहास के प्रति रुचि का होना बताया और कहा कि भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद उस विषय को उठा रहा है जो छुपाया गया है.

हम किसी एक इतिहास को हटाकर दूसरा इतिहास बनाने के प्रयास में नहीं है. हमारा प्रयास है कि जो झूठ है उसे लोग नकारें और सच्चाई को स्वीकार करें. इसके लिए स्कूल, कॉलेज बड़ा माध्यम हो सकता है. जहां की पाठ्य पुस्तकों में इतिहास को सही रूप से प्रस्तुत करते हुए, भारतीय इतिहास की रूपरेखा प्रस्तुत की जा सकती है. छात्र और युवा पीढ़ी इससे परिचित होगी.

उन्होंने कहा कि एक अनपढ़ और आम आदमी भी इतिहास में रुचि रखता है. उसको गलत बताएंगे तो वह सही चीज नहीं जान पाएगा. भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद की यही कोशिश है कि सच को सामने लाया जाए. भारतीय इतिहास में बहुत ही रूढ़िता है. ऐसे में हम उसे दूर करने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि भारतीय अभिलेखागार में इतिहास से जुड़े तमाम वह तथ्य मौजूद हैं जो लोगों के सामने बहुत पहले आ जाने चाहिए थे लेकिन, वह नहीं आ पाए. यही वजह है कि कुछ गलत जानकारी और तथ्यों को इतिहास के पन्नों का हिस्सा बना दिया गया, जिसको पढ़ते-पढ़ाते हुए लोग भी गलत तथ्यों से ही अवगत हुए. मौजूदा समय में इतिहास अनुसंधान परिषद और इतिहास संकलन समिति सही तथ्यों को प्रस्तुत करने में जुटा है.

ये भी पढ़ेंः अयोध्या में बाबरी ढांचे की खोदाई करने वाले ASI के पूर्व रीजनल डायरेक्टर केके मोहम्मद बोले, ज्ञानवापी-कृष्ण जन्मभूमि पर दावा छोड़ें मुसलमान

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.