धनबादः 22 अप्रैल यानी आज वर्ल्ड अर्थ डे है. विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर ईटीवी भारत ने धनबाद आईआईटी आईएसएम में एनवायरनमेंटल डिपार्टमेंट के एचओडी प्रोफेसर अंशुमाली से खास बातचीत की. प्रोफेसर ने कहा कि पर्यावरण बचाव को लेकर भारत बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहा है.
प्रोफेसर अंशुमाली ने कहा कि एनडीसी (नेशनल डीटरामाइन कंट्रीब्यूशन) में भारत ने भी अपना प्रस्ताव दिया है. भारत के द्वारा दिए गए प्रस्ताव में 2030 तक 2.5 मिलियन टन सीओपी को कम करने की बात कही गई है. यह भारत के लिए बहुत बड़ी बात है. इसके लिए बहुत बड़ा मिशन लॉन्च किया है, जिसे मिशन लाइफ के नाम से जाता है. लाइफ सेल्फ ऑफ एनवायरमेंट में हर व्यक्ति के कर्तव्य को निर्धारित किया गया है. पीएम मोदी ने कहा है कि पर्यावरण को बचाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की जरूरत है.
प्रोफेसर अंशुमाली ने कहा कि भारत जिस तरह से वैश्विक स्तर पर पर्यावरण के विषयों को लेकर चिंतित है और उसके समाधान को लेकर मुखर है, सभी देश उनके विचार को मानने के लिए राजी हैं. नदियों को बचाने और जंगल के आयाम को बढ़ाने की दिशा हम काम कर रहें हैं. किसानों की खेतों में ट्री आउट साइड मुहिम को बढ़ाना है, वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को विकसित करना है, कूनो इसका उदाहरण है, जहां नामीबिया से चीता लाया गया. लोकल और देश के साथ साथ वैश्विक स्तर पर भी पीएम मोदी के विचारों को आगे बढ़ाया जा रहा.
झारखंड में हो रहे खनन कार्यों पर आईआईटी आईएसएम के एनवायरनमेंटल डिपार्टमेंट एचओडी प्रोफेसर अंशुमाली ने कहा कि माइनिंग ऊर्जा के लिए बेहद जरूरी है, कोल इंडिया खनन करती है. खनन बेहतर तरीके से करें, पर्यावरण को नुकसान ना हो इसका ख्याल रखा जाना चाहिए. अवैध उत्खनन पर भी सवाल करते हुए कहा कि माइनिंग जरूरी है लेकिन स्टेक होल्डर को भी इस पर ध्यान देने की जरूरत है कि गलत तरीके से माइनिंग के कारण भूगर्भ जल खत्म हो जा रहें हैं और जंगल समाप्त होते जा रहें हैं.
कोल इंडिया के अधीन उत्खनन के लिए संचालित होने वाली आउटसोर्सिंग कंपनियां इलाके को पूरी से तहस नहस कर छोड़ देती है. जिससे वह जमीन किसी काम की नहीं रही जाती है. पत्थरों के बड़े-बड़े पहाड़ व जहां तहां गड्ढे छोड़ दिए जाते हैं. इस पर प्रोफेसर अंशुमाली ने कहा कि आउटसोर्सिंग कंपनियां अगर सही से माइनिंग नहीं करती है तो इसकी जिम्मेदारी कोल कंपनियों पर जानी चाहिए. यह हमारे पर्यावरण के हित के लिए नही हैं, एक तरफ ऊर्जा का दोहन दूसरी तरफ पर्यावरण को नुकसान भविष्य के लिए काफी घातक साबित हो सकता है.
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