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यूपी के इस शहर में 14 अगस्त की रात 12 बजे ही फहरा दिया गया तिरंगा, 1947 से चली आ रही अनोखी परंपरा अब भी कायम - flag hoisted in Kanpur at night

पूरे देश में 15 अगस्त के दिन स्वतंत्रता दिवस पूरे धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन, कानपुर में आजादी के इस पर्व को मनाने की एक अनोखी ही परंपरा चल रही है. यहां 14 अगस्त की रात को ही ठीक 12:00 बजते ही झंडा फहराया जाता है.

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14 अगस्त 1947 की रात फहराया गया झंडा (photo credit- Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 15, 2024, 1:07 PM IST

14 अगस्त 1947 की रात को यहां फहराया जाता है झंडा (video credit- Etv Bharat)

कानपुर: पूरे देश में 15 अगस्त बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार देश आजादी की 78वीं वर्षगांठ मना रहा है. कानपुर में आजादी के इस पर्व को मनाने की एक अनोखी और अलग ही परंपरा साल 1947 से चली आ रही है. यहां शहर के मिस्टर रोड पर 1 दिन पहले यानी 14 अगस्त की रात को ही ठीक 12:00 बजते ही झंडा फहराया जाता है. इस बार भी ठीक ऐसा ही किया गया.

वहीं, कांग्रेस कमेटी की ओर से भी यहां पर देर शाम से ही कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. आजादी के इस महापर्व में आधी रात से ही बच्चे, बूढ़े, युवाओं का हुजूम लगना शुरू हो जाता है. इन सभी के द्वारा एक स्वर में बोले गए भारत माता के जयकारे से पूरा आसमान गूंज उठता है. जश्ने आजादी की इस परंपरा को कांग्रेस ने आज तक जिंदा रखा हुआ है. हर वर्ष यहां पर इसी तरह आजादी का यह महापर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शंकर दत्त मिश्रा ने बताया कि देश को जब आजादी मिली थी तो कानपुर में इस बात को लेकर लोगों के बीच एक विशेष उत्साह था. उस उत्साह का यह परिणाम था कि कानपुर में 14 अगस्त को न सिर्फ रोशनी की गई थी. बल्कि पूरे शहर को एक दुल्हन की तरह सजा दिया गया था. इसके साथ ही यहां पर कव्वाली, कीर्तन, आल्हा, कवि सम्मेलन समेत कई अलग-अलग तरह के विशेष आयोजन भी किए गए थे. जिस समय आजादी की घोषणा होने वाली थी. उस समय न सिर्फ यहां पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, बल्कि यहां पर 14 अगस्त 1947 की रात में झंडा फहरा दिया गया. तभी से हर वर्ष यहां पर 14 अगस्त की रात 12 बजते ही झंडा फहराया जाता है. रात 12 बजे से ही स्वतंत्रता दिवस का जश्न शुरू हो जाता है.

इसे भी पढ़े-राजपूत रेजिमेंटल सेंटर में लहराया 108 फीट ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज, सांसद नवीन जिंदल और जनरल वीके सिंह ने किया ध्वजारोहण

जानिए, 1947 से चली आ रही इस परंपरा की कहानी: ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शंकर दत्त मिश्र ने बताया कि 14 अगस्त 1947 की रात को जब देश को आजादी मिलने की घोषणा होने वाली थी. तभी देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले पर झंडा फहरा कर आजादी का आह्वान किया था. उसी तर्ज पर कानपुर के जो स्वंत्रता संग्राम सेनानी थे, महापुरुष थे, सबने एक साथ एकत्र होकर मेस्टन रोड में बीच वाला मंदिर के पास झंडा फहराया था.उस वक्त यहां पर काफी बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम इकट्ठा था. बकायदा यहां बंदूकों से झंडे को सलामी दी गई थी.

साल 1947 से चली रही इस परंपरा का आज तक निर्वहन हो रहा है. उन्होंने बताया, कि हर वर्ष यहां पर वरिष्ठ नेताओं, बुजुर्ग, स्वतंत्रता सेनानी और जनता के साथ मिलकर आजादी के इस महापर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार भी यहां पर 14 अगस्त की रात को झंडा फहरा कर आजादी की 78 वी वर्षगांठ मनाई गई.

कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हर वर्ष फहराते हैं यहां झंडा: शंकर दत्त मिश्र ने बताया कि, विगत वर्षो के भांति जो परंपरा चली आ रही है कि यहां पर जो प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष होता था, उसी के द्वारा झंडा फहराया जाता था. सबसे पहले यहां पर शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शिवनारायण टंडन ने साल 1947 झंडा फहराया था. वही परंपरा आज तक यहां पर चली आ रही है. इस वर्ष भी 14 अगस्त की रात में की 12:00 बजे झंडा फहराया गया. उन्होंने बताया कि, रात्रि 9:00 से यहां पर सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू हो गए थे.

यह भी पढ़े-स्वतंत्रता दिवस पर लखनऊ में रहेगा रूट डायवर्जन; घर से निकलने से पहले देख लें ये रूट मैप - Independence Day Traffic Diversion

14 अगस्त 1947 की रात को यहां फहराया जाता है झंडा (video credit- Etv Bharat)

कानपुर: पूरे देश में 15 अगस्त बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार देश आजादी की 78वीं वर्षगांठ मना रहा है. कानपुर में आजादी के इस पर्व को मनाने की एक अनोखी और अलग ही परंपरा साल 1947 से चली आ रही है. यहां शहर के मिस्टर रोड पर 1 दिन पहले यानी 14 अगस्त की रात को ही ठीक 12:00 बजते ही झंडा फहराया जाता है. इस बार भी ठीक ऐसा ही किया गया.

वहीं, कांग्रेस कमेटी की ओर से भी यहां पर देर शाम से ही कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. आजादी के इस महापर्व में आधी रात से ही बच्चे, बूढ़े, युवाओं का हुजूम लगना शुरू हो जाता है. इन सभी के द्वारा एक स्वर में बोले गए भारत माता के जयकारे से पूरा आसमान गूंज उठता है. जश्ने आजादी की इस परंपरा को कांग्रेस ने आज तक जिंदा रखा हुआ है. हर वर्ष यहां पर इसी तरह आजादी का यह महापर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शंकर दत्त मिश्रा ने बताया कि देश को जब आजादी मिली थी तो कानपुर में इस बात को लेकर लोगों के बीच एक विशेष उत्साह था. उस उत्साह का यह परिणाम था कि कानपुर में 14 अगस्त को न सिर्फ रोशनी की गई थी. बल्कि पूरे शहर को एक दुल्हन की तरह सजा दिया गया था. इसके साथ ही यहां पर कव्वाली, कीर्तन, आल्हा, कवि सम्मेलन समेत कई अलग-अलग तरह के विशेष आयोजन भी किए गए थे. जिस समय आजादी की घोषणा होने वाली थी. उस समय न सिर्फ यहां पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, बल्कि यहां पर 14 अगस्त 1947 की रात में झंडा फहरा दिया गया. तभी से हर वर्ष यहां पर 14 अगस्त की रात 12 बजते ही झंडा फहराया जाता है. रात 12 बजे से ही स्वतंत्रता दिवस का जश्न शुरू हो जाता है.

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जानिए, 1947 से चली आ रही इस परंपरा की कहानी: ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शंकर दत्त मिश्र ने बताया कि 14 अगस्त 1947 की रात को जब देश को आजादी मिलने की घोषणा होने वाली थी. तभी देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले पर झंडा फहरा कर आजादी का आह्वान किया था. उसी तर्ज पर कानपुर के जो स्वंत्रता संग्राम सेनानी थे, महापुरुष थे, सबने एक साथ एकत्र होकर मेस्टन रोड में बीच वाला मंदिर के पास झंडा फहराया था.उस वक्त यहां पर काफी बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम इकट्ठा था. बकायदा यहां बंदूकों से झंडे को सलामी दी गई थी.

साल 1947 से चली रही इस परंपरा का आज तक निर्वहन हो रहा है. उन्होंने बताया, कि हर वर्ष यहां पर वरिष्ठ नेताओं, बुजुर्ग, स्वतंत्रता सेनानी और जनता के साथ मिलकर आजादी के इस महापर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार भी यहां पर 14 अगस्त की रात को झंडा फहरा कर आजादी की 78 वी वर्षगांठ मनाई गई.

कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हर वर्ष फहराते हैं यहां झंडा: शंकर दत्त मिश्र ने बताया कि, विगत वर्षो के भांति जो परंपरा चली आ रही है कि यहां पर जो प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष होता था, उसी के द्वारा झंडा फहराया जाता था. सबसे पहले यहां पर शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शिवनारायण टंडन ने साल 1947 झंडा फहराया था. वही परंपरा आज तक यहां पर चली आ रही है. इस वर्ष भी 14 अगस्त की रात में की 12:00 बजे झंडा फहराया गया. उन्होंने बताया कि, रात्रि 9:00 से यहां पर सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू हो गए थे.

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