मेरठ: जिले में देश का ऐसा स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय है, जो की 1857 की क्रांति से लेकर देश की आजादी तक की हर छोटी से बड़ी जानकारी मौजूद है. खासतौर पर इतिहास विषय में रुचि रखने वालों और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए तो यह स्थान किसी अनमोल खजाने से कम नहीं है.
इतिहास की हर जानकारी यहां है मौजूद: यूपी में क्रांतिधरा के नाम से प्रसिद्ध मेरठ में स्थित खास राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय बेहद ही खास है. इस संग्रहालय में आजादी मिलने के 90 साल पहले जो क्रांति की चिंगारी क्रांतिवीरों के दिल में धधकनी शुरु हुई थी, उस दिन से लेकर देश की आजादी के दिन यानी 1947 तक की हर तथ्यपरक जानकारी मेरठ के इस म्यूजियम में मौजूद है. इतना ही नहीं, इस संग्रहालय में खास पुस्तकालय भी है, जिसमें इतिहास की जानकारी से जुड़ी हर जानकारी उपलब्ध है.
यह संग्रहालय कितना विशेष है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि यहां पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम भी आ चुके थे. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं यहां आ चुके हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो दो बार यहां आए हैं. उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी संग्रहालय का विजिट कर चुकी हैं.
क्रांति की मेरठ से हुई थी शुरुआत: संग्रहालय में केयरटेकर की भूमिका निभा रहे हरिओम शुक्ला बताते हैं, कि यहां अलग अलग गैलरी के माध्यम से क्रांति की शुरुआत से लेकर आजादी के संघर्ष को समझा जा सकता है. पहली गैलरी की बात करें तो, उसमें मेरठ की घटनाओं का वर्णन है, कि किस तरह से क्रांति की मेरठ में शुरुआत हुई थी. वहीं, दूसरी गैलरी में मेरठ के आसपास के जिलों में उस वक्त कैसे क्रांति का जन्म हो रहा था, उसके बारे में सचित्र वर्णन है. उस वक्त किस प्रकार से अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने को कोशिशें हुई, किस तरह से अंग्रेजी हुकूमत से लोहा क्रान्तिकारीयों ने लिया, ऐसी हर जानकारी इस म्यूजियम में मौजूद है.
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प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों के लिए उपयोगी: इसी प्रकार तीसरी गैलरी में उस वक्त क्रांति की चिंगारी के बाद जब दिल्ली, कानपुर और अवध तक देश में क्रांति के प्रति चेतना आई, वो हर घटना यहां वर्णित है. चौथी गैलरी में खासतौर पर बुंदेलखंड, रूहेलखंड और पूर्वांचल की घटनाओं को दिखाया गया है. वहीं पांचवीं गैलरी में स्वतंत्रता संग्राम के बारे में बेहद ही खास ढंग से दर्शाया गया है. इतिहासकार डॉक्टर अमित पाठक कहते हैं, कि यह बेहद ही खास स्थान है, जहां इतिहास की नॉलेज मिलती है. वह मानते हैं, कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले बेटे बेटियों के लिए तो यह बेहद ही उपयोगी है. वहीं जो भी देश के उस काल खंड के बारे में जानना चाहते हैं, तो उन्हें यहां अवश्य एक बार आना चाहिए.
संग्रहालय केयर टेकर हरिओम शुक्ला बताते हैं, कि देश भर से यहां लोग आते हैं. वहीं, देश के बाहर से भी समय समय पर लोग आकर जानकारी जुटाते हैं. वह बताते हैं, कि स्कूल कॉलेजों के बच्चे तो, यहां हर दिन आते रहते हैं. हर पीढ़ी के लोगों को जहां एक तरफ क्रांतिवीरों की गौरवगाथा पढ़कर सुनकर उन्हें प्रेरणा मिलती है. वहीं इतिहास भी जानने को मिलता है. खास बात यह भी है, कि यहां न सिर्फ म्यूजियम के बारे में हर जानकारी सचित्र उपलब्ध है, बल्कि इसके साथ ही ध्वनि के माध्यम से सुनने को भी मिलती है. फिलहाल, जिम्मेदारों का दावा है कि 90 साल के देश के इतिहास को संजोकर रखने वाला अपने तरह का यह अकेला संग्रहालय है.
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