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कैनोपी मैनेजमेंट से किसान हो जाएंगे मालामाल, जानिए किन फसलों के लिए हैं वरदान - canopy management

canopy management in Farming किसानों के लिए कैनोपी मैनेटमेंट फसल की उत्पादकता अधिक करने का एक जरिया है. कैनोपी के जरिए किसान ज्यादा उत्पादन का लाभ ले सकते हैं.आज हम आपको बताएंगे कि कैनोपी मैनेजमेंट किन फसलों में की जा सकती है.

canopy management in Farming
कैनोपी मैनेजमेंट से किसान हो जाएंगे मालामाल (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 24, 2024, 4:41 PM IST

रायपुर : केनोपी मैनेजमेंट या छत्र प्रबंधन पौधों की कटाई छटाई को कहा जाता है. जिसमें पौधे को उचित साइज, आकार और शेप दिया जा सकता है. केनोपी मैनेजमेंट या छत्र प्रबंधन के दो पार्ट हैं. जिसमें पहला ट्रेनिंग और दूसरा टुनिंग कहलाता है. टुनिंग एक ऐसी पद्धति है, जो शुरू की अवस्था में फल आने के पहले साइज देने के लिए ट्रेनिंग करते हैं. टुनिंग वह पद्धति होती है जिसमें पौधों में रोग ग्रस्त शाखा टेढा मेढ़े शाखा को कटिंग छटिंग के माध्यम से उसे अलग किया जाता है. अमरूद के साथ ही कई ट्रॉपिकल फ्रूट्स को जून के महीने में छत्र प्रबंधन किया जा सकता है.

canopy management in Farming
कैनोपी मैनेजमेंट के जरिए फसलों की उत्पादकता में बढ़ोतरी (ETV Bharat Chhattisgarh)
कैसे करें कैनोपी मैनजमेंट ?: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ घनश्याम दास साहू ने बताया कि "फल और फूलों के ऐसी शाखाएं जो जमीन से लगी हुई हो या जमीन में झूल रहे हो. ऐसी सभी शाखाओं को काट देना चाहिए. प्रदेश के किसानों को छत्र प्रबंधन करते समय इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिस समय पौधारोपण किए हो तो 2 फीट की ऊंचाई में हेडिंग बेड करते हैं तो हेडिंग बेड करने के बाद जो 4 से 6 शाखाएं निकलती है. उसे चारों दिशाओं में रखा जाता है. 3 महीना बढ़ने के बाद लंबाई के आधार पर इसकी कटिंग की जाती है. फिर चार से आठ, आठ से 16, 16 से 32 और 32 से 64 शाखाएं हो जाती है. ऐसा करने से पौधे की रूपरेखा और सुंदरता बढ़ जाती है.
कैनोपी मैनेजमेंट से किसान हो जाएंगे मालामाल (ETV Bharat Chhattisgarh)

''फलों के साथ ही दूसरे अन्य पौधों में छत्र प्रबंधन करके प्रदेश के किसान अच्छा उत्पादन भी प्राप्त कर सकते हैं. जिन शाखाओं में फल लगे होते हैं. उन शाखाओं को कटिंग छटिंग की जाती हैं. तो उन शाखाओं में और भी अधिक फल लगने लगते हैं. फल लगे हुए शाखाओं को अगर छोड़ देते हैं. तो ऐसी शाखाएं वेस्टेज हो जाती है. अंगूर, अनार, मलबेरी शहतूत जैसे पौधों में जून के महीने में छत्र प्रबंधन किया जा सकता है. इसके साथ ही केले की पत्तियां गर्मी आने की मई के महीने में कट और फट जाती है. नीचे की उन पत्तियों को जो कट और फट गया है.ऐसी पत्तियों का भी छत्र प्रबंधन किया जा सकता है.'' डॉक्टर घनश्याम दास साहू, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, IGKVV

डॉक्टर घनश्याम दास साहू के मुताबिक पाइनएप्पल या पपीते की पत्तियां जो सूख रही है या पीली पड़ गई है. ऐसे पत्तियों का भी छत्र प्रबंधन करना आवश्यक होता है. किसान अगर इन्हीं फलों को सघन बागवानी के रूप में लगाते हैं, तो साल में दो बार छत्र प्रबंधन करना चाहिए. जिस तरह से प्रदेश के किसान खेत की सफाई और जुताई का काम जून के महीने में करते हैं. इसी प्रकार इन फलों के पौधों के लिए भी जून का महीना उपयुक्त माना गया. छत्र प्रबंधन करने के साथ ही किसानों को बोडो पेस्टिंग करना भी जरूरी है.

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कैनोपी मैनेजमेंट के जरिए फसलों की उत्पादकता में बढ़ोतरी (ETV Bharat Chhattisgarh)
कैसे करें कैनोपी मैनजमेंट ?: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ घनश्याम दास साहू ने बताया कि "फल और फूलों के ऐसी शाखाएं जो जमीन से लगी हुई हो या जमीन में झूल रहे हो. ऐसी सभी शाखाओं को काट देना चाहिए. प्रदेश के किसानों को छत्र प्रबंधन करते समय इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिस समय पौधारोपण किए हो तो 2 फीट की ऊंचाई में हेडिंग बेड करते हैं तो हेडिंग बेड करने के बाद जो 4 से 6 शाखाएं निकलती है. उसे चारों दिशाओं में रखा जाता है. 3 महीना बढ़ने के बाद लंबाई के आधार पर इसकी कटिंग की जाती है. फिर चार से आठ, आठ से 16, 16 से 32 और 32 से 64 शाखाएं हो जाती है. ऐसा करने से पौधे की रूपरेखा और सुंदरता बढ़ जाती है.
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''फलों के साथ ही दूसरे अन्य पौधों में छत्र प्रबंधन करके प्रदेश के किसान अच्छा उत्पादन भी प्राप्त कर सकते हैं. जिन शाखाओं में फल लगे होते हैं. उन शाखाओं को कटिंग छटिंग की जाती हैं. तो उन शाखाओं में और भी अधिक फल लगने लगते हैं. फल लगे हुए शाखाओं को अगर छोड़ देते हैं. तो ऐसी शाखाएं वेस्टेज हो जाती है. अंगूर, अनार, मलबेरी शहतूत जैसे पौधों में जून के महीने में छत्र प्रबंधन किया जा सकता है. इसके साथ ही केले की पत्तियां गर्मी आने की मई के महीने में कट और फट जाती है. नीचे की उन पत्तियों को जो कट और फट गया है.ऐसी पत्तियों का भी छत्र प्रबंधन किया जा सकता है.'' डॉक्टर घनश्याम दास साहू, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, IGKVV

डॉक्टर घनश्याम दास साहू के मुताबिक पाइनएप्पल या पपीते की पत्तियां जो सूख रही है या पीली पड़ गई है. ऐसे पत्तियों का भी छत्र प्रबंधन करना आवश्यक होता है. किसान अगर इन्हीं फलों को सघन बागवानी के रूप में लगाते हैं, तो साल में दो बार छत्र प्रबंधन करना चाहिए. जिस तरह से प्रदेश के किसान खेत की सफाई और जुताई का काम जून के महीने में करते हैं. इसी प्रकार इन फलों के पौधों के लिए भी जून का महीना उपयुक्त माना गया. छत्र प्रबंधन करने के साथ ही किसानों को बोडो पेस्टिंग करना भी जरूरी है.

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