नई दिल्ली: दिल्ली में 1 अप्रैल से आगामी वर्ष के लिए स्कूल सत्र की शुरुआत होने वाली है. इस बार बच्चों की कॉपी-किताब और यूनिफॉर्म के दामों में भी इजाफा हो गया है. अभिभावकों पर महंगाई का बोझ बढ़ गया है. जनता के लिए घर चलाना पहले ही मुश्किल था, लेकिन अब बच्चों की शिक्षा महंगी होने से मध्यम वर्ग की कमर ही टूट रही है.
कृष्णा नगर स्थित स्कूल यूनिफॉर्म विक्रेता शिवांग ने बताया कि पिछले साल के मुकाबले स्कूल यूनिफॉर्म के रेट में 5 से 6 परसेंट का इजाफा हुआ है. यूनिफॉर्म विक्रेता का कहना है कि जब माल ऊपर से ही महंगा आएगा और मजदूरी बढ़ेंगी तो हमारी मजबूरी होगी कि हम उसी दाम में थोड़ा इजाफा करके बेचें.
अभिभावकों ने कही ये बातः स्कूल ड्रेस खरीदने आए लोकेश गुप्ता ने बताया कि उनकी बेटी सातवीं कक्षा में पढ़ती है. उसके लिए कॉपी-किताब और यूनिफॉर्म लेने आया हूं. इस बार सभी चीजें महंगी हो गईं है. एनसीईआरटी की किताबों का रेट भी बढ़ा है. बच्चों को पढ़ाना है तो मंहगी रेट होने के बाद भी मजबूरी है कि हमें सारी चीजें लेनी पढ़ेंगी.
अपनी बेटियों के लिए किताबें खरीदने आए भारत गौड़ ने बताया कि मेरी बेटियों ने अभी सीबीएसई बोर्ड से 10वीं कक्षा की परीक्षा दी है. अभी उनका रिजल्ट नहीं आया है. इसलिए 11वीं कक्षा में अभी प्रोविजनल दाखिला मिला है. अभी मैं उनके लिए 11वीं साइंस की किताबें खरीदने आया हूं. यहां आकर पता चला की किताबों के रेट पिछले साल के मुकाबले 10 से 15% बढ़ गए हैं. निजी प्रकाशको की किताबें काफी महंगी पड़ती हैं. नर्सरी या पहली, दूसरी और तीसरी क्लास की कक्षा की किताबें 7000 से लेकर 10000 रुपए तक में आती हैं, जो हर अभिभावक के लिए वहन करना आसान नहीं होता है.