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आदिवासी संगठनों के कोल्हान बंद का व्यापक असर, लोगों ने टायर जलाकर सभी मुख्य सड़कें की जाम - Kolhan Bandh

Kolhan Bandh by Tribals. आदिवासी संगठनों द्वारा आहूत कोल्हान बंद का चाईबासा में व्यापक असर देखने को मिल रहा है. लोगों ने टायर जलाकर सभी मुख्य सड़कों को जाम कर दिया है. आदिवासी संगठन पेसा कानून के साथ-साथ कई अन्य मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

Kolhan Bandh by Tribals
बंद के दौरान प्रदर्शन करते प्रदर्शनकारी (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 31, 2024, 12:18 PM IST

चाईबासा : आदिवासी समाज के लोगों द्वारा बुलाया गया कोल्हान बंद का व्यापक असर देखने को मिल रहा है. कोल्हान के सभी जिला के मुख्यालयों में लोगों ने जगह-जगह सड़क जाम कर दिया. आदिवासी समाज के लोग अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. बंद के कारण गाड़ियों का परिचालन पूरी तरह से बाधित रहा. जिसके कारण यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.

कोल्हान बंद का व्यापक असर (ईटीवी भारत)

विभिन्न आदिवासी सामाजिक संगठनों ने भूमि अधिग्रहण, पेसा कानून के क्रियान्वयन, शिक्षा व्यवस्था, तितरबिला गांव में जिला प्रशासन द्वारा जबरन भूमि अधिग्रहण, मुआवजा राशि का भुगतान नहीं होने, आदिवासियों के धार्मिक व सांस्कृतिक स्थलों से छेड़छाड़ समेत अन्य कई मुद्दों को लेकर बुधवार को पूरे कोल्हान में सड़क जाम कर दिया.

संगठन के लोग सुबह से ही पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला व पूर्वी सिंहभूम जिला मुख्यालय समेत अन्य प्रखंडों की मुख्य सड़कों पर उतर आए और टायर जलाकर सड़क जाम कर दिया. आदिवासी संगठन द्वारा चाईबासा शहर के बस स्टैंड, तांबो चौक आदि मुख्य सड़कों पर जगह-जगह टायर जलाकर वाहनों को रोका गया. कई जगहों पर भारी वाहन व ट्रैक्टर सड़क के बीचोंबीच खड़े कर सड़क जाम कर दिया गया. ईचा खरकाई बांध विरोधी संगठन के लोग तांबो चौक पर निकले और टायर जलाकर विरोध जताया. कोल्हान बंद के आह्वान के कारण बस स्टैंड से एक भी बस का परिचालन नहीं हुआ. जिससे यात्री परेशान रहे. बस स्टैंड की लगभग सभी दुकानें भी बंद रहीं.

बंद समर्थक माधव चंद्र कुंकल ने कहा कि आदिवासी समाज तितरबिला गांव में जिला प्रशासन द्वारा जबरन जमीन अधिग्रहण कर सड़क बनाने का पुरजोर विरोध करता है. विकास के नाम पर आदिवासियों की जमीन हड़पना नहीं चलेगा. झारखंड राज्य में जल्द से जल्द पेसा कानून लागू किया जाना चाहिए, जो 1996 में बना था. लेकिन लागू नहीं हुआ. पेसा आदिवासियों का सुरक्षा कवच है. आजादी के बाद से कई आदिवासी इलाकों में पांचवीं अनुसूची लागू है. उसके बावजूद केंद्र और राज्य सरकार इसे पूरी ताकत से लागू नहीं कर रही है.

उन्होंने कहा कि आदिवासियों की जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए पांचवीं अनुसूची को लागू करना जरूरी है, जबकि राज्य और केंद्र सरकार पेसा कानून को लागू नहीं कर रही है. तितरबिला गांव में जिला प्रशासन द्वारा जबरन जमीन अधिग्रहण कर ग्रामीणों पर हमला करने के विरोध में आज कोल्हान बंद बुलाया गया है.

यह भी पढ़ें:

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चाईबासा : आदिवासी समाज के लोगों द्वारा बुलाया गया कोल्हान बंद का व्यापक असर देखने को मिल रहा है. कोल्हान के सभी जिला के मुख्यालयों में लोगों ने जगह-जगह सड़क जाम कर दिया. आदिवासी समाज के लोग अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. बंद के कारण गाड़ियों का परिचालन पूरी तरह से बाधित रहा. जिसके कारण यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.

कोल्हान बंद का व्यापक असर (ईटीवी भारत)

विभिन्न आदिवासी सामाजिक संगठनों ने भूमि अधिग्रहण, पेसा कानून के क्रियान्वयन, शिक्षा व्यवस्था, तितरबिला गांव में जिला प्रशासन द्वारा जबरन भूमि अधिग्रहण, मुआवजा राशि का भुगतान नहीं होने, आदिवासियों के धार्मिक व सांस्कृतिक स्थलों से छेड़छाड़ समेत अन्य कई मुद्दों को लेकर बुधवार को पूरे कोल्हान में सड़क जाम कर दिया.

संगठन के लोग सुबह से ही पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला व पूर्वी सिंहभूम जिला मुख्यालय समेत अन्य प्रखंडों की मुख्य सड़कों पर उतर आए और टायर जलाकर सड़क जाम कर दिया. आदिवासी संगठन द्वारा चाईबासा शहर के बस स्टैंड, तांबो चौक आदि मुख्य सड़कों पर जगह-जगह टायर जलाकर वाहनों को रोका गया. कई जगहों पर भारी वाहन व ट्रैक्टर सड़क के बीचोंबीच खड़े कर सड़क जाम कर दिया गया. ईचा खरकाई बांध विरोधी संगठन के लोग तांबो चौक पर निकले और टायर जलाकर विरोध जताया. कोल्हान बंद के आह्वान के कारण बस स्टैंड से एक भी बस का परिचालन नहीं हुआ. जिससे यात्री परेशान रहे. बस स्टैंड की लगभग सभी दुकानें भी बंद रहीं.

बंद समर्थक माधव चंद्र कुंकल ने कहा कि आदिवासी समाज तितरबिला गांव में जिला प्रशासन द्वारा जबरन जमीन अधिग्रहण कर सड़क बनाने का पुरजोर विरोध करता है. विकास के नाम पर आदिवासियों की जमीन हड़पना नहीं चलेगा. झारखंड राज्य में जल्द से जल्द पेसा कानून लागू किया जाना चाहिए, जो 1996 में बना था. लेकिन लागू नहीं हुआ. पेसा आदिवासियों का सुरक्षा कवच है. आजादी के बाद से कई आदिवासी इलाकों में पांचवीं अनुसूची लागू है. उसके बावजूद केंद्र और राज्य सरकार इसे पूरी ताकत से लागू नहीं कर रही है.

उन्होंने कहा कि आदिवासियों की जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए पांचवीं अनुसूची को लागू करना जरूरी है, जबकि राज्य और केंद्र सरकार पेसा कानून को लागू नहीं कर रही है. तितरबिला गांव में जिला प्रशासन द्वारा जबरन जमीन अधिग्रहण कर ग्रामीणों पर हमला करने के विरोध में आज कोल्हान बंद बुलाया गया है.

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