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पोस्टर पॉलिटिक्स से नेताजी हुए दूर, चुनाव आचार संहिता बनी वजह - Poster Politics

Election code of conduct. आमतौर पर सरहुल या रामनवमी के दौरान पूरा शहर पोस्टर से पटा रहता है, इन पोस्टरों में अधिकतर पोस्टर राजनीतिक दलों और उनके नेताओं के रहते हैं, लेकिन इस बार का नजारा कुछ अलग है. क्योंकि चुनाव का माहौल और आचार संहिता लागू है.

Poster Politics
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 11, 2024, 9:42 PM IST

पोस्टर पॉलिटिक्स से नेताजी हुए दूर

रांची: राजनेताओं के लिए ईद, सरहुल और रामनवमी जैसे पर्व राजनीति की दृष्टि से काफी महत्व रखता है. इस अवसर पर अपनी उपस्थिति से राजनीति करने वाले लोग जनता के बीच छवि बनाने में लगे रहते हैं. इसके लिए बकायदे कई दिन पहले से बैनर-पोस्टर शहर में लगने शुरू हो जाते हैं. मगर इस बार वैसा कुछ नहीं दिखा.

जाहिर तौर पर चुनाव का वक्त है और आचार संहिता उल्लंघन के दायरे में नेताजी आना नहीं चाहते. होर्डिंग्स नहीं लगने से नेताजी मायूस जरूर हैं मगर प्रमुख स्थानों में अपनी उपस्थिति देकर ये डैमेज कंट्रोल करने में जरूर जुटे हैं. पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की मायूसी साफ दिख रही है. उन्होंने बकायदे कहा भी कि चुनाव की वजह से इस बार पोस्टर नहीं लगा मगर इसके बाबजूद त्योहार का मजा कुछ अलग तरह से भी उठाया जा सकता है जो दिल से दिल को जोड़ता है.

केन्द्रीय सरना समिति कार्यक्रम में सीएम का भी नहीं लगा फोटो

आम तौर पर सरहुल के मौके पर केंद्रीय सरना समिति सिरमटोली हो या राजधानी का हृदयस्थली अलवर्ट एक्का चौक नेताओं के होर्डिंग्स से पटा हुआ रहता था. इसी तरह किशोरगंज स्थित ईदगाह के समीप ईद के मौके पर सभी छोटे-बड़े नेताओं का शुभकामना संदेश के साथ बैनर लगे हुए रहते थे मगर इस बार आचार संहिता की वजह से नेताजी की तस्वीर इन स्थानों से गायब रही.

केंद्रीय सरना समिति सिरमटोली में सरहुल के मौके पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम के दौरान मंच पर मुख्यमंत्री की तस्वीर जरूर देखी जाती थी. इस बार मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन सरना स्थल आए जरूर और मंच से शुभकामना देने के अलावे एक शब्द भी नहीं कहा. केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की कहते हैं कि बैनर पोस्टर तो एक दिखावा होता है यदि आप दिल से शुभकामना देते हैं तो यह बड़ा मानवता का काम है.

सामाजिक कार्यकर्ता अनिल पन्ना कहते हैं कि ईद सरहुल जैसे त्योहार के मौके पर बैनर पोस्टर के जरिए जरूर राजनीति होती थी मगर आचार संहिता की वजह से इस बार वह देखने को जरूर नहीं मिल रहा है मगर त्योहार के बहाने राजनेता इसमें शामिल तो जरूर होते हैं जो अच्छी बात है.

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पोस्टर पॉलिटिक्स से नेताजी हुए दूर

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जाहिर तौर पर चुनाव का वक्त है और आचार संहिता उल्लंघन के दायरे में नेताजी आना नहीं चाहते. होर्डिंग्स नहीं लगने से नेताजी मायूस जरूर हैं मगर प्रमुख स्थानों में अपनी उपस्थिति देकर ये डैमेज कंट्रोल करने में जरूर जुटे हैं. पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की मायूसी साफ दिख रही है. उन्होंने बकायदे कहा भी कि चुनाव की वजह से इस बार पोस्टर नहीं लगा मगर इसके बाबजूद त्योहार का मजा कुछ अलग तरह से भी उठाया जा सकता है जो दिल से दिल को जोड़ता है.

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केंद्रीय सरना समिति सिरमटोली में सरहुल के मौके पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम के दौरान मंच पर मुख्यमंत्री की तस्वीर जरूर देखी जाती थी. इस बार मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन सरना स्थल आए जरूर और मंच से शुभकामना देने के अलावे एक शब्द भी नहीं कहा. केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की कहते हैं कि बैनर पोस्टर तो एक दिखावा होता है यदि आप दिल से शुभकामना देते हैं तो यह बड़ा मानवता का काम है.

सामाजिक कार्यकर्ता अनिल पन्ना कहते हैं कि ईद सरहुल जैसे त्योहार के मौके पर बैनर पोस्टर के जरिए जरूर राजनीति होती थी मगर आचार संहिता की वजह से इस बार वह देखने को जरूर नहीं मिल रहा है मगर त्योहार के बहाने राजनेता इसमें शामिल तो जरूर होते हैं जो अच्छी बात है.

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