पटना: नीट यूजी 2024 के रिजल्ट से सभी और नाराजगी है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भी अब रिजल्ट की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह खड़े कर रहा है. नीट परीक्षा में भारी गड़बड़ी होने का चिकित्सक आरोप लगा रहे हैं और कह रहे है कि यदि इस रिजल्ट के आधार पर मेडिकल कॉलेज में दाखिला होते हैं तो देश में चिकित्सा जगत के भविष्य का बंटाधार हो जाएगा. इससे पहले जूनियर डॉक्टर नेटवर्क ने भी नीट के रिजल्ट पर प्रश्न चिन्ह खड़े किए हैं. सभी हैरान है कि 67 छात्र कैसे 720 में 720 अंक हासिल कर पाए हैं और वह भी एक सेंटर से 7 से 8 बच्चे 720 में 720 अंक हासिल किए हैं.
परीक्षा के परिणाम पर सवाल: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बिहार के एक्शन कमेटी के कन्वीनर सह पूर्व अध्यक्ष आईएमए बिहार डॉ अजय कुमार ने भी नीट यूजी की परीक्षा के परिणाम पर प्रश्न चिन्ह खड़ा किया है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बिहार की ओर से पक्ष रखते हुए डॉक्टर अजय कुमार ने ईटीवी से कहा कि यह रिजल्ट किसी को पच नहीं रहा है. इस प्रकार का अब तक कभी रिजल्ट नहीं हुआ है. पेपर लीक और थोड़ी बहुत गड़बड़ी नीट की परीक्षा में पहले भी होती रही है. लेकिन इतनी गड़बड़ी नहीं होती थी कि पूरा सिस्टम खराब हो जाए.
पूरा सिस्टम हो जाएगा खराब: डॉ अजय कुमार ने कहा कि इस बार का जो रिजल्ट है वह पूरा का पूरा सिस्टम खराब करने के लिए काफी है. अगर इस रिजल्ट से बच्चे मेडिकल फील्ड में आते हैं तो मेडिकल प्रोफेशन गर्त में जाएगा और देश की भविष्य के लिए यह खतरनाक होगा. उन्होंने कहा कि उन्होंने कई छात्रों से बात किया है जिन्होंने इस बार मेडिकल का एंट्रेंस दिया है, जो मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं उनसे बात की है और जो मेडिकल की पढ़ाई करते हैं उन फैकल्टी मेंबर से भी बात किया है. सभी से बात के बाद वह यही समझे हैं कि इस बार परीक्षा में भारी गड़बड़ी हुई है.
14 की जगह 4 को प्रकाशित किया रिजल्ट: डॉ अजय कुमार ने बताया कि नीट की परीक्षा में जो पहले गड़बड़ी होती थी उसे दूर करने के लिए एनटीए बनाया गया था. लेकिन इस बार यह देखने को मिल रहा है कि जो गड़बड़ी हुई है परीक्षा में उसे छिपाने की एनटीए कोशिश कर रहा है. जो साक्ष्य है उसे मिटाने की कोशिश कर रहा है. बिहार पुलिस ने नीट परीक्षा के पेपर लिखकर साक्ष्य जुटाए लेकिन एनटीए ने सहयोग नहीं किया. 14 जून को रिजल्ट प्रकाशित करना था लेकिन 4 जून को ही रिजल्ट प्रकाशित कर दिया गया.
"जिस दिन लोकसभा चुनाव के नतीजे आ रहे थे उसी दिन एनटीए ने रिजल्ट से ध्यान भटकाने की कोशिश की है. जो मेडिकल फील्ड के फैकल्टी है, खासकर एम्स और पीजीआई जैसे संस्थानों के, वह इस रिजल्ट से अपने यहां छात्रों का एडमिशन लेना नहीं चाहते हैं और वह अपनी जगह सही भी है." - डॉ अजय कुमार, पूर्व अध्यक्ष, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, बिहार
सुप्रीम कोर्ट ने किया इंकार: डॉ अजय कुमार ने कहा की परीक्षा को कैंसिल करना चाहिए, हालांकि सुप्रीम कोर्ट में परीक्षा कैंसिल करने और काउंसलिंग पर से रोक लगाने से इनकार कर दिया है. आज से काउंसलिंग भी शुरू हो गई है, लेकिन जो सेंटर फॉर एक्सीलेंस संस्थान है खासकर एम्स और पीजीआई, उन्हें इस बात का प्रयास करना चाहिए कि वह अपने यहां के लिए अलग से एंट्रेंस टेस्ट ले और उसके आधार पर बच्चों का दाखिला लें. पूर्व में भी यह होते रही है.
साल 2015 में भी हुआ था लीक: बता दें कि इससे पहले साल 2015 में मेडिकल एंट्रेंस के लिए हुई एआईपीएमटी परीक्षा पेपर लीक के कारण रद्द हो गई थी. वहीं, इस बार भी पेपर लीक का मामला सामने आया है. लेकिन जांच में एनटीए ने सहयोग नहीं किया है. बिहार पुलिस ने इस बात के पर्याप्त साक्ष्य जुटा लिया है. परीक्षा से एक दिन पहले पेपर आउट हो चुका था और लॉज में बैठकर छात्र परीक्षा की तैयारी कर रहे थे.
35 दिनों से अटकी है जांच: बता दें कि पुलिस ने लीक हुए पेपर से मिलान के लिए एनटीए से मूल प्रश्न पत्र मांगे है. लेकिन 35 दिनों से यह जांच अटका हुआ है और एनटीए मूल प्रश्न नहीं दे रहा है. सोमवार को बिहार पुलिस ने मूल प्रश्न पत्र उपलब्ध कराने के लिए एक बार फिर से एनटीए को रिमाइंडर भेजा है.