मंडी: अब वातावण में मौजूद वेस्ट एनर्जी को बिजली में कनवर्ट किया जा सकेगा. जिससे न सिर्फ बिजली उप्पादन में सहयोग मिलेगा, बल्कि ग्लोबल वार्मिंग को भी रोकने में मदद मिलेगी. हिमाचल प्रदेश में आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने ऐसे एडवांस्ड थर्मोइलेक्ट्रिक मटेरियल का निर्माण किया है, जिससे वातावरण में मौजूद वेस्ट एनर्जी को बिजली में करवर्ट किया जा सकेंगे.
आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ फिजिकल साइंस के प्रोफेसर डॉ. अजय सोनी ने अपने सहयोगियों डॉ. केवल सिंह राणा, आदित्य सिंह, निधि, अनिमेष भुई, डा. चंदन बेरा और प्रो. कनिष्क बिस्वास के साथ मिलकर बड़े यूनिट सेल मिनरल चाल्कोजेनाइड्स पर गहन अध्ययन किया है.
प्रोफेसर डॉ. अजय सोनी ने कहा, "हम रोजमर्रा के कार्यों के लिए ऐसी चीजों का इस्तेमाल करते हैं तो एनर्जी का उत्पादन करते हैं. इसमें घर में इस्तेमाल होने वाले पंखे, रेफ्रिजरेटर, कार या फिर छोटे-बड़े सभी प्रकार के उद्योग शामिल हैं. इनसे रोजाना वेस्ट एनर्जी निकलती है, जो ग्लोबल वॉर्मिंग का कारण बनती है. लेकिन अब इस वेस्ट एनर्जी को एडवांस्ड थर्मोइलेक्ट्रिक मटेरियल की मदद से दोबारा बिजली में कंवर्ट किया जा सकेगा. हालांकि इसके लिए अभी एक मॉडयूल का बनना बाकी है, जिसके बाद इस एनर्जी को बिजली में तबदील करके इस्तेमाल किया जा सकेगा. इस पर कार्य जारी है".
आईआईटी मंडी के शोधकर्ता डॉ. केवल सिंह राणा ने कहा, "जो शोध किया गया है, उससे दूरदराज के क्षेत्रों में बिजली उत्पादन में काफी ज्यादा मदद मिलेगी. क्योंकि वातावरण की वेस्ट एनर्जी का अभी तक कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है. अब इसके सही इस्तेमाल की तरफ जो प्रयास किए जा रहे हैं, उसके सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं".
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