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कानपुर IIT के वैज्ञानिकों ने रीठा से डिटर्जेंट बनाया; पर्यावरण, पानी और मिट्टी का प्रदूषण बचाएगा, किसानों की इनकम बढ़ेगी - IIT Kanpur herbal detergent

आईआईटी के विशेषज्ञों ने हर्बल डिटर्जेंट तैयार किया है. इससे आदिवासी किसानों की आय बढ़ रही है. आमजन इसके इस्तेमाल के दौरान पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगे.

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आईआईटी के विशेषज्ञों ने किया हर्बल डिटर्जेंट तैयार (photo credit- Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 24, 2024, 1:36 PM IST

Updated : Aug 24, 2024, 4:36 PM IST


कानपुर: देश और दुनिया में अपने नवाचारों से आएदिन ही सुर्खियों में रहने वाले आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने एक और कमाल कर दिया है. हर घर, कार्यालय, संस्थानों आदि में उपयोग किए जाने वाले डिटर्जेंट की महती आवश्यकता को देखते हुए, एक ऐसा हर्बल डिटर्जेंट बना दिया. जिससे तीन राज्यों के 100 से अधिक आदिवासी किसानों की आय दोगुना तक पहुंच चुकी है. यही नहीं, जो हर्बल डिटर्जेंट बनाया गया. उसमें विशेषज्ञों द्वारा रीठा (एक तरह का फल) का प्रयोग किया गया. जिससे दावा है, कि आमजन इसके इस्तेमाल के दौरान पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगे. इसके साथ-साथ यह पानी में अन्य नामचीन डिटर्जेंट उत्पादों की तुलना में 20 गुना अधिक बायोडिग्रेडेबल (घुलता) है. इससे जो झाग उत्पन्न होता है, उससे कपड़े पूरी तरह से बैक्टीरिया मुक्त हो जाएंगे. जिन तीन राज्यों के किसानों को आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने अपने साथ जोड़ा उनमें ओडिशा, उत्तराखंड और कर्नाटक के आदिवासी किसान शामिल हैं.

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आईआईटी के विशेषज्ञों ने रीठा का प्रयोग कर तैयार किया प्रोडक्ट (photo credit- etv bharat)

इसे भी पढ़े-हैकर्स से गोपनीय डाटा की सुरक्षा करेगा यह सॉफ्टवेयर, जानिए IIT कानपुर के आई-मिराज की क्या है खासियत - IIT Kanpur developed new software

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आदिवासी किसानों की आय हो रही दोगुना (photo credit- etv bharat)

बाजार में मौजूद उत्पाद: इस पूरे मामले को लेकर हार्वेस्ट वाइल्ड प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक और बेंगलुरु निवासी मानस नंदा ने बताया, कि कुछ समय पहले ही उनकी कंपनी को आईआईटी कानपुर के साथ इंक्यूबेट किया गया. मानस ने कहा, कि जब हमने अपना प्लान आईआईटी कानपुर के मेंटर्स को बताया, तो सभी को यह आइडिया बहुत पसंद आया. मानस ने कहा, कि हमने रिसर्च के दौरान देखा जो बाजार में नामचीन ब्रांड्स वाले डिटर्जेंट बिक रहे हैं. उनसे कपड़े तो साफ हो रहे थे. लेकिन, उनमें मौजूद सल्फेट और फॉस्फेट जैसे केमिकल्स हमारे लिए बहुत खतरनाक हैं. इसलिए तय किया, कि सालों पुराने फल रीठा को उपयोग कर हर्बल डिटर्जेंट बनाएंगे. बस, आईआईटी कानपुर के एक्सपर्ट का साथ मिला.

...इसलिए भी रीठा को ही चुना: मानस नंदा ने बताया, कि सालों पहले सिल्क के कपड़े और कश्मीर की चर्चित पशमीना शॉल और अन्य उत्पादों को केवल रीठा से ही साफ किया जाता था. इसके कई फायदे हैं. इससे झाग बहुत अधिक बनता है, कपड़े पूरी तरह से साफ होते हैं. आमजन की स्किन पर किसी तरह के रैशेज या निशान नहीं आते. यह पूरी तरह से प्रकृति का फल है. जिसका कोई नुकसान नहीं है. अगर, रीठा वाले डिटर्जेंट का पानी नहर, नदी, नालों में जा रहा तो उस पानी पर भी कोई प्रभाव नहीं होगा. इन सब बातों के साथ ही एक बड़ी बात यह भी थी, कि हमने जो उत्पाद बनाया उससे किसानों की आय को दोगुना तक पहुंचा दिया. मानस ने बताया, कि 1250 रुपये में पांच लीटर का पैक बाजार में मौजूद है.


यह भी पढ़े-आईआईटी कानपुर के एक्सपर्ट बनाएंगे खेती के आधुनिक उत्पाद, जीबी पंत विवि से हुआ करार - Initiative of IIT Kanpur


कानपुर: देश और दुनिया में अपने नवाचारों से आएदिन ही सुर्खियों में रहने वाले आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने एक और कमाल कर दिया है. हर घर, कार्यालय, संस्थानों आदि में उपयोग किए जाने वाले डिटर्जेंट की महती आवश्यकता को देखते हुए, एक ऐसा हर्बल डिटर्जेंट बना दिया. जिससे तीन राज्यों के 100 से अधिक आदिवासी किसानों की आय दोगुना तक पहुंच चुकी है. यही नहीं, जो हर्बल डिटर्जेंट बनाया गया. उसमें विशेषज्ञों द्वारा रीठा (एक तरह का फल) का प्रयोग किया गया. जिससे दावा है, कि आमजन इसके इस्तेमाल के दौरान पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगे. इसके साथ-साथ यह पानी में अन्य नामचीन डिटर्जेंट उत्पादों की तुलना में 20 गुना अधिक बायोडिग्रेडेबल (घुलता) है. इससे जो झाग उत्पन्न होता है, उससे कपड़े पूरी तरह से बैक्टीरिया मुक्त हो जाएंगे. जिन तीन राज्यों के किसानों को आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने अपने साथ जोड़ा उनमें ओडिशा, उत्तराखंड और कर्नाटक के आदिवासी किसान शामिल हैं.

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आईआईटी के विशेषज्ञों ने रीठा का प्रयोग कर तैयार किया प्रोडक्ट (photo credit- etv bharat)

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आदिवासी किसानों की आय हो रही दोगुना (photo credit- etv bharat)

बाजार में मौजूद उत्पाद: इस पूरे मामले को लेकर हार्वेस्ट वाइल्ड प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक और बेंगलुरु निवासी मानस नंदा ने बताया, कि कुछ समय पहले ही उनकी कंपनी को आईआईटी कानपुर के साथ इंक्यूबेट किया गया. मानस ने कहा, कि जब हमने अपना प्लान आईआईटी कानपुर के मेंटर्स को बताया, तो सभी को यह आइडिया बहुत पसंद आया. मानस ने कहा, कि हमने रिसर्च के दौरान देखा जो बाजार में नामचीन ब्रांड्स वाले डिटर्जेंट बिक रहे हैं. उनसे कपड़े तो साफ हो रहे थे. लेकिन, उनमें मौजूद सल्फेट और फॉस्फेट जैसे केमिकल्स हमारे लिए बहुत खतरनाक हैं. इसलिए तय किया, कि सालों पुराने फल रीठा को उपयोग कर हर्बल डिटर्जेंट बनाएंगे. बस, आईआईटी कानपुर के एक्सपर्ट का साथ मिला.

...इसलिए भी रीठा को ही चुना: मानस नंदा ने बताया, कि सालों पहले सिल्क के कपड़े और कश्मीर की चर्चित पशमीना शॉल और अन्य उत्पादों को केवल रीठा से ही साफ किया जाता था. इसके कई फायदे हैं. इससे झाग बहुत अधिक बनता है, कपड़े पूरी तरह से साफ होते हैं. आमजन की स्किन पर किसी तरह के रैशेज या निशान नहीं आते. यह पूरी तरह से प्रकृति का फल है. जिसका कोई नुकसान नहीं है. अगर, रीठा वाले डिटर्जेंट का पानी नहर, नदी, नालों में जा रहा तो उस पानी पर भी कोई प्रभाव नहीं होगा. इन सब बातों के साथ ही एक बड़ी बात यह भी थी, कि हमने जो उत्पाद बनाया उससे किसानों की आय को दोगुना तक पहुंचा दिया. मानस ने बताया, कि 1250 रुपये में पांच लीटर का पैक बाजार में मौजूद है.


यह भी पढ़े-आईआईटी कानपुर के एक्सपर्ट बनाएंगे खेती के आधुनिक उत्पाद, जीबी पंत विवि से हुआ करार - Initiative of IIT Kanpur

Last Updated : Aug 24, 2024, 4:36 PM IST
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