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IIT कानपुर का नया अविष्कार: देश की हर नदी में प्रदूषण और भारी तत्वों की खोज करेगी NSVS मशीन - IIT Kanpur expert NSVS machine - IIT KANPUR EXPERT NSVS MACHINE

आईआईटी कानपुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर बिशाख भट्टाचार्य के गाइडेंस में टीम ने एनएसवीएस मशीन बनायी है. यह मशीन देश की हर नदी में प्रदूषण और भारी तत्वों को खोज निकालेगी. इसको तैयार करने में करीब 3 लाख रुपये खर्च हुए.

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Etv Bharat IIT कानपुर का नया अविष्कार: देश की हर नदी में प्रदूषण और भारी तत्वों की खोज करेगी NSVS मशीन
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 5, 2024, 7:04 PM IST

आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर बिशाख भट्टाचार्य

कानपुर: देश में जो गंगा समेत अन्य प्रमुख नदियां हैं, उनमें प्रदूषण का दाग हमेशा लगा रहता है. कभी औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले दूषित उत्प्रवाह से नदियां प्रदूषित होती हैं, तो कभी अन्य कारणों से. हालांकि, नदियों में प्रदूषण कितना है, पानी में किस तरह के भारी तत्व मौजूद हैं, अभी तक इन्हें पता लगाना आसान नहीं था. मगर, अब यह जानकारी हर घंटे मिल सकेगी.

दरअसल, आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर बिशाख भट्टाचार्य ने तीन अन्य प्रोफेसरों संग मिलकर एक एनएसवीएस नाम से मशीन तैयार कर दी है. जिसे नदियों में ही मौजूद रखने के बाद उनमें प्रदूषण, पानी का तापमान, पानी में सांद्रता व पानी में मौजूद भारी तत्वों की मात्रा का पता लगाया जा सकेगा.

शोध कार्य में लगे चार साल, अमेरिका की मिसीसिपी नदी में इसी तरह की मशीन से होता काम: प्रो.बिशाख भट्टाचार्य ने इस मामले पर विशेष रूप से बात करते हुए बताया, कि इस शोध कार्य में उन्हें चार साल लग गए. सबसे पहले उन्होंने तीन अन्य प्रोफेसरों के साथ मिलकर अमेरिका की मिसीसिपी नदी पर स्टडी की. वहां इसी तरह की मशीन से हर घंटे नदी की मॉनीटरिंग की जाती है. इसके लिए अमेरिका के एक निजी इंस्टीट्यूट से ऑटो सैम्पलर व अन्य तकनीकों की मदद ली.

फिर आईआईटी कानपुर में करीब तीन लाख रुपये की लागत वाली एनएसवीएस (निराकरा स्वयंशासित वेधशाला) मशीन को तैयार कर दिया. प्रो.बिशाख भट्टाचार्य ने बताया, कि मशीन का परीक्षण करने के लिए कर्णप्रयाग से लेकर गंगा बैराज तक विभिन्न स्थानों पर पानी के नमूने लिए गए और उसमें प्रदूषण की मात्रा को देखा गया.

केंद्र तक पहुंची मशीन की जानकारी, जल्द मिल सकती उपयोग के लिए हरी झंडी: प्रो.बिशाख भट्टाचार्य ने बताया, कि इस मशीन की जानकारी केंद्र सरकार को दी जा चुकी है. पूरी उम्मीद है, कि सरकार की ओर से मशीन के उपयोग को लेकर जल्द ही हरी झंडी मिल जाएगी. इसके बाद देशभर की नदियों में प्रदूषण की मात्रा समेत अन्य जानकारी एकत्रित करने के लिए हम मशीन का उपयोग कर सकेंगे. उन्होंने दावा किया, कि अभी तक इस तरह की कोई भी मशीन भारत में तैयार नहीं की गई है.

ये भी पढ़ें- नए डॉक्टरों को 2 साल सरकारी अस्पतालों में करना होगा काम, नहीं माने तो देने होंगे 10 लाख रुपये

आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर बिशाख भट्टाचार्य

कानपुर: देश में जो गंगा समेत अन्य प्रमुख नदियां हैं, उनमें प्रदूषण का दाग हमेशा लगा रहता है. कभी औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले दूषित उत्प्रवाह से नदियां प्रदूषित होती हैं, तो कभी अन्य कारणों से. हालांकि, नदियों में प्रदूषण कितना है, पानी में किस तरह के भारी तत्व मौजूद हैं, अभी तक इन्हें पता लगाना आसान नहीं था. मगर, अब यह जानकारी हर घंटे मिल सकेगी.

दरअसल, आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर बिशाख भट्टाचार्य ने तीन अन्य प्रोफेसरों संग मिलकर एक एनएसवीएस नाम से मशीन तैयार कर दी है. जिसे नदियों में ही मौजूद रखने के बाद उनमें प्रदूषण, पानी का तापमान, पानी में सांद्रता व पानी में मौजूद भारी तत्वों की मात्रा का पता लगाया जा सकेगा.

शोध कार्य में लगे चार साल, अमेरिका की मिसीसिपी नदी में इसी तरह की मशीन से होता काम: प्रो.बिशाख भट्टाचार्य ने इस मामले पर विशेष रूप से बात करते हुए बताया, कि इस शोध कार्य में उन्हें चार साल लग गए. सबसे पहले उन्होंने तीन अन्य प्रोफेसरों के साथ मिलकर अमेरिका की मिसीसिपी नदी पर स्टडी की. वहां इसी तरह की मशीन से हर घंटे नदी की मॉनीटरिंग की जाती है. इसके लिए अमेरिका के एक निजी इंस्टीट्यूट से ऑटो सैम्पलर व अन्य तकनीकों की मदद ली.

फिर आईआईटी कानपुर में करीब तीन लाख रुपये की लागत वाली एनएसवीएस (निराकरा स्वयंशासित वेधशाला) मशीन को तैयार कर दिया. प्रो.बिशाख भट्टाचार्य ने बताया, कि मशीन का परीक्षण करने के लिए कर्णप्रयाग से लेकर गंगा बैराज तक विभिन्न स्थानों पर पानी के नमूने लिए गए और उसमें प्रदूषण की मात्रा को देखा गया.

केंद्र तक पहुंची मशीन की जानकारी, जल्द मिल सकती उपयोग के लिए हरी झंडी: प्रो.बिशाख भट्टाचार्य ने बताया, कि इस मशीन की जानकारी केंद्र सरकार को दी जा चुकी है. पूरी उम्मीद है, कि सरकार की ओर से मशीन के उपयोग को लेकर जल्द ही हरी झंडी मिल जाएगी. इसके बाद देशभर की नदियों में प्रदूषण की मात्रा समेत अन्य जानकारी एकत्रित करने के लिए हम मशीन का उपयोग कर सकेंगे. उन्होंने दावा किया, कि अभी तक इस तरह की कोई भी मशीन भारत में तैयार नहीं की गई है.

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