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विलुप्त होने के कगार पर झारखंड की आदिम कला डोकरा और जादुपटिया, सरकार से संरक्षण और विकास की मांग - Dokra and Jadupatia art

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 2, 2024, 8:59 AM IST

Handicraft Skill Honor Competition Program. झारखंड की आदिम कला डोकरा और जादूपटिया कला विलुप्त होने के कगार पर है. इसके कारीगरों ने सरकार से इसके संरक्षण और विकास की मांग की है.

Handicraft Skill Honor Competition Program
डोकरा और जादुपटिया कला (ईटीवी भारत)

धनबाद: आईआईटी आईएसएम की ओर से हस्तशिल्प कौशल सम्मान प्रतियोगिता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में झारखंड समेत देशभर के अन्य राज्यों से प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. विलुप्त होने के कगार पर झारखंड की आदिम कलाओं में से एक डोकरा और जादूपटिया कला के कारीगर भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए. कारीगरों ने सरकार से इन कलाओं के संरक्षण और विकास की मांग की.

जानकारी देते संवाददाता नरेंद्र निषाद (ईटीवी भारत)

आपको बता दें कि झारखंड की आदिम कलाओं में से एक डोकरा और जादूपटिया कला विलुप्त होने के कगार पर है. आईआईटी आईएसएम की इस सम्मान प्रतियोगिता में इस कला से जुड़े कारीगरों ने भी हिस्सा लिया. इस कार्यक्रम में दुमका के दो गांवों के डोकरा और जादूपटिया के आदिवासी कलाकार शामिल हुए.

कलाकारों की व्यथा (ईटीवी भारत)

डोकरा के कलाकारों ने बताया कि वे पीढ़ी दर पीढ़ी इस कला को करते आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमने अपने दादा-दादी से यह कलाकृति बनाना सीखा है. यह हमारी आय का जरिया भी है. यह आदिम कलाओं में से एक है. लेकिन सरकार हमें देश के दूसरे हिस्सों में बाजार मुहैया नहीं कराती है. जिसके कारण इस कला को जीवित रखने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि यह एक कला है और सरकार को इसे बढ़ावा देने के लिए सबसे पहले बाजार उपलब्ध कराने की जरूरत है. कलाकारों ने सरकार से देश के विभिन्न हिस्सों में बाजार उपलब्ध कराने की मांग की है.

वहीं जादुपटिया पेंटिंग से जुड़े कलाकारों ने बताया कि जादुपटिया एक लोक चित्रकला शैली है. जो संथाल समाज की संस्कृति, लौकिक और अलौकिक गतिविधियों, धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं से जुड़ी है. यह मिथकों पर आधारित पेंटिंग है. लेकिन अब यह कला धीरे-धीरे विलुप्त होने के कगार पर है. सरकार को इसे विकसित करने के लिए पहल करने की जरूरत है.

डीसी माधवी मिश्रा ने कहा कि जादुपटिया पेंटिंग विलुप्त होने के कगार पर है. बहुत कम कलाकार बचे हैं. लेकिन राज्य सरकार उनके लिए पहल कर रही है. इनके संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. जिन जिलों में इनकी संख्या अधिक है, वहां जीआई टैगिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. अगर जीआई टैग की प्रक्रिया पूरी हो जाती है, तो कलाकारों को इसका अधिक लाभ मिलेगा. आईआईटी आईएसएम के निदेशक ने कहा कि हम इन कलाकारों को बाजार उपलब्ध कराने की पूरी कोशिश करेंगे ताकि वे जीवन में आगे बढ़ सकें.

यह भी पढ़ें:

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जानकारी देते संवाददाता नरेंद्र निषाद (ईटीवी भारत)

आपको बता दें कि झारखंड की आदिम कलाओं में से एक डोकरा और जादूपटिया कला विलुप्त होने के कगार पर है. आईआईटी आईएसएम की इस सम्मान प्रतियोगिता में इस कला से जुड़े कारीगरों ने भी हिस्सा लिया. इस कार्यक्रम में दुमका के दो गांवों के डोकरा और जादूपटिया के आदिवासी कलाकार शामिल हुए.

कलाकारों की व्यथा (ईटीवी भारत)

डोकरा के कलाकारों ने बताया कि वे पीढ़ी दर पीढ़ी इस कला को करते आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमने अपने दादा-दादी से यह कलाकृति बनाना सीखा है. यह हमारी आय का जरिया भी है. यह आदिम कलाओं में से एक है. लेकिन सरकार हमें देश के दूसरे हिस्सों में बाजार मुहैया नहीं कराती है. जिसके कारण इस कला को जीवित रखने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि यह एक कला है और सरकार को इसे बढ़ावा देने के लिए सबसे पहले बाजार उपलब्ध कराने की जरूरत है. कलाकारों ने सरकार से देश के विभिन्न हिस्सों में बाजार उपलब्ध कराने की मांग की है.

वहीं जादुपटिया पेंटिंग से जुड़े कलाकारों ने बताया कि जादुपटिया एक लोक चित्रकला शैली है. जो संथाल समाज की संस्कृति, लौकिक और अलौकिक गतिविधियों, धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं से जुड़ी है. यह मिथकों पर आधारित पेंटिंग है. लेकिन अब यह कला धीरे-धीरे विलुप्त होने के कगार पर है. सरकार को इसे विकसित करने के लिए पहल करने की जरूरत है.

डीसी माधवी मिश्रा ने कहा कि जादुपटिया पेंटिंग विलुप्त होने के कगार पर है. बहुत कम कलाकार बचे हैं. लेकिन राज्य सरकार उनके लिए पहल कर रही है. इनके संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. जिन जिलों में इनकी संख्या अधिक है, वहां जीआई टैगिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. अगर जीआई टैग की प्रक्रिया पूरी हो जाती है, तो कलाकारों को इसका अधिक लाभ मिलेगा. आईआईटी आईएसएम के निदेशक ने कहा कि हम इन कलाकारों को बाजार उपलब्ध कराने की पूरी कोशिश करेंगे ताकि वे जीवन में आगे बढ़ सकें.

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