इंदौर: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी इंदौर और आईआईटी हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने मिलकर दो इको फ्रेंडली जियोग्रिड विकसित किए हैं. यह बाजार में मौजूद जियोग्रिड से ज्यादा मजबूत है और पर्यावरण के प्रति अनुकूल भी हैं. यह ताजमहल की वास्तुकला और कछुए की खोल पर उभरे पैटर्न से प्रेरित हैं. इस शोध का नेतृत्व आईआईटी इंदौर के डॉ. बाडिगा रामू और उनकी शोध टीम कर रही है. जिसमें सिविल इंजीनियरिंग विभाग के बीएस प्रवीण और पी साई मेघना तथा आईआईटी हैदराबाद के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर उमाशंकर बालुनैनी शामिल हैं.
इन क्षेत्रों में होता है प्रभावशाली उपयोग
मिट्टी को सुदृढ़ बनाने और निर्माण पर पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने की उनकी क्षमता के कारण जियोग्रिड स्थायी इंजीनियरिंग में महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं. सड़कों, तटबंधों, भूस्खलन और अन्य संरचनाओं की स्थायित्व और दक्षता में सुधार करके जियोग्रिड समुच्चय या मिट्टी की मोटी परतों की आवश्यकता को कम करने में मदद करते हैं. जिससे परियोजनाएं अधिक संसाधन कुशल बन जाती हैं. भार वितरण में उनकी भूमिका स्थानीय विफलताओं को कम करती है. फुटपाथ के विरूपण को कम करती है और दीर्घकालिक स्थिरता को बढ़ाती है. जो सामग्री के उपयोग और ऊर्जा की खपत को कम करके निर्माण के कार्बन पदचिह्न को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान देती है.
![INDORE ECO FRIENDLY GEOGRIDS](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/26-09-2024/22543746_saa.jpg)
जलवायु परिवर्तन और संसाधन की कमी का समाधान
आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी ने कहा, ''भारत अपने व्यापक सड़क नेटवर्क के साथ इस तरह के बुनियादी ढांचे के लिए आवश्यक भारी मात्रा में क्रश्ड स्टोन के समुच्चय के प्रबंधन में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करता है. यह तकनीकी विशेष रूप से वे जो नए अनुकूल और स्थायी बुनियादी ढांचे पर केंद्रित है. यह नई तकनीक जलवायु परिवर्तन संसाधनों की कमी और अपशिष्ट प्रबंधन की समस्याओं का समाधान करती है.''
![INDORE ECO FRIENDLY GEOGRIDS](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/26-09-2024/mp-ind-01-iit-jiyogrid-shodh-10018_26092024153640_2609f_1727345200_754.jpg)
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वर्तमान पद्धति से है बेहतर
शोधकर्ता डॉ. बाडिगा के अनुसार, ''हमने दो नए जियोग्रिड विकसित किए हैं जो बेहतर मजबूती के साथ बाजार में उपलब्ध वर्तमान जियोग्रिड से बेहतर हैं. ये जियोग्रिड जियोसिंथेटिक्स फैमिली से संबंधित हैं, जिसमें जियोटेक्सटाइल जियोसेल और अन्य शामिल हैं. इन दो नवाचारों की प्रेरणा प्रकृति से ली गई है. खासकर भारतीय स्टार कछुए और ताजमहल की वास्तुकला से ली है.
![Geogrid inspired by the Indian Star Tortoise](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/26-09-2024/mp-ind-01-iit-jiyogrid-shodh-10018_26092024153640_2609f_1727345200_413.jpg)
सिविल इंजीनियर को बुनियादी अनुकूल ढांचा प्रदान करना उद्देश्य
इस शोध का अंतिम लक्ष्य नए बेहतर जियोग्रिड प्रदान करना है. जो जलवायु-अनुकूल सिविल इंजीनियरिंग अनुप्रयोगों के लिए टिकाऊ हैं. खासकर कमजोर मिट्टी में इन नवाचारों का उद्देश्य सिविल इंजीनियरों को बदलती पर्यावरणीय परिस्थितियों में स्थिर पर्यावरण-अनुकूल बुनियादी ढांचा बनाने की चुनौती से निपटने में मदद करना है.