अजमेर. जिले के सरकारी स्कूल की छात्राओं से हम्माली करवाने का मामला सामने आया है. चूड़ी बाजार स्थित सेंट्रल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में 10 हजार किताबों से भरे मिनी ट्रक से किताबें स्कूल में रखवाने के लिए हमाल की व्यवस्था करने के बजाए स्कूली छात्राओं को किताबे के बंडल उठाने के काम पर स्कूल प्रशासन ने लगा दिया. जब मामला सामने आया तब स्कूल प्रचार्या ने श्रमदान कहकर जिम्मेदारी से मुंह मोड़ती हुई नजर आईं.
सरकारी स्कूलों में व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के दावे भले ही राज्य सरकार करती आई है, लेकिन वास्तविकता सरकार के दावों से परे है. सरकारी स्कूलों में व्यवस्थाएं नहीं होने पर यहां पढ़ने वाले बच्चों से काम लिया जाता है. अजमेर शहर के बीचो-बीच चूड़ी बाजार में स्थित सेंट्रल गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल का सामने आया है. यहां स्कूल में छात्राओं से ट्रक में आई 10 हजार किताबें उतरावा कर स्कूल के कमरे में रखवाई गई. स्कूल प्राचार्य से जब मामले की जानकारी ली गई तो सहजता से उन्होंने कह दिया कि इतनी बड़ी मात्रा में इन किताबों को उतारने के लिए हमाल की व्यवस्था नहीं हो पाई लिहाजा स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं से सहयोग लिया गया और ट्रक में आई किताबें स्कूल के भीतर कमरे में रखवाई गई.
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बच्चों से करवाया श्रमदान: गुरुवार को जब 10 हजार किताबों से भरा हुआ मिनी ट्रक स्कूल के गेट पर आकर खड़ा हो गया. ट्रक के साथ आए कर्मचारियों ने किताबें उतरवा कर स्कूल में रखने से साफ इनकार कर दिया और स्कूल प्रशासन को अपनी व्यवस्था करने के लिए कहा. स्कूल की प्राचार्य कविता अजवानी ने किताबों को उतरवाने के लिए हमाल की व्यवस्था नही हुई तो स्कूल की छात्राओं को काम पर लगा दिया. ट्रक से किताबें नीचे उतारने में ट्रक के साथ आए एक कर्मचारी ने मदद की. ट्रक से उतारकर स्कूल के भीतर किताबों के भारी भरकम बंडलों को छात्राओं ने पहुंचाया. कई नन्हीं छात्राओं से भारी भरकम किताबों के बंडल उठ नहीं रहे थे, लेकिन स्कूल की प्रधानाचार्य का आदेश था ऐसे में लाइन लगाकर बंडल उठाने पड़े. स्कूल प्रशासन चाहता तो हम्माल की व्यवस्था नहीं होने की स्थिति में ट्रक वापस भेज सकता था या फिर मजदूर की व्यवस्था कर सकता था.
यह बोलीं प्राचार्या: स्कूल की प्राचार्य कविता अजवानी ने बताया कि पुलिस लाइन से 10 हजार पुस्तकें मिनी ट्रक में स्कूल लाई गई थीं. ट्रक के साथ आए कर्मचारियों से कहा गया था कि वह पुस्तक भीतर रखवाने के लिए मजदूर उपलब्ध करवाए, क्योंकि किताबों की संख्या ज्यादा है. बीच बाजार में ट्रक खड़ा हुआ था ऐसे में ट्रैफिक जाम होने की भी संभावना थी. स्कूल में एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और एनएसएस की छात्राओं को इस कार्य के लिए लगाया गया. ट्रक से किताबों के बंडल छात्राओं की ओर से उतरने के सवाल पर प्राचार्य कविता अजवानी ने कहा कि कुछ छात्राओं ने ट्रक से बंडल उतरवाए होंगे, लेकिन काम ट्रक से उतरने का नहीं बल्कि ट्रक से उतारी गई किताबों को भीतर स्कूल में कमरे में रखवाना था. प्रिसिंपल ने कहा कि व्यवस्था के लिए संबंधित जिम्मेदार अधिकारी को पत्र लिखा गया है ताकि आगे से बच्चों को इन कामों में न लगाया जाए.
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श्रमदान के बहाने बच्चों से करवाया हम्माली : अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए प्राचार्य कविता अजवानी ने कहा कि मिनी ट्रक से किताबें सड़क पर उतार कर रख दी गई, ऐसे में छात्राओं से किताबों के बंडल भीतर रखवाने के लिए उनसे श्रमदान लिया गया. कतार लगवाकर किताबों के बंडल छात्राओं ने रखें. उन्होंने कहा कि छात्राओं का शोषण नहीं किया गया है केवल विद्यालय की व्यवस्था बनाने के लिए उनसे सहयोग लिया गया है.