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जागेश्वर धाम में भक्तों को परोसे जा रहे 56 भोग, इडली डोसा ने बनाया माहौल, स्थानीय लोगों ने जताई नाराजगी - Idli Dosa in Jageshwar Dham

Jageshwar Dham, Idli Dosa in Jageshwar Dham जागेश्वर धाम में भक्तों के लिए भंडारे में इडली, डोसा, पास्ता बन रहा है. भक्तों को भटूरे, इमरती, पानी पूरी, कटलेट आदि भी परोसा जा रहा है.स्थानीय लोगों के साथ ही व्यापार मंडल ने इस पर नाराजगी जताई है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 27, 2024, 7:52 PM IST

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जागेश्वर धाम में भक्तों को परोसे जा रहे 56 भोग (Etv Bharat)

अल्मोड़ा: विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम में श्रावणी मेले की धूम है. 15 अगस्त तक चलने वाले इस मेले में शिव भक्त श्रद्धाभाव से पहुंच रहे हैं. अल्मोड़ा के जागेश्वर धाम में शिव भक्तों की भीड़ लगी हुई है. देश के विभिन्न राज्यों से भक्त मंदिर में पार्थिव पूजा व जलाभिषेक कर भंडारा भी कर रहे हैं. जिसमें वह अपने क्षेत्र के व्यंजनों को भंडारे में प्रसाद के रूप में परोस रहे हैं, जो पुरानी परंपरा के बदलाव के रूप में देखा जा रहा है.

जागेश्वर शिव धाम में लोगों की अटूट आस्था है. प्रधानमंत्री मोदी के जागेश्वर धाम आने के बाद से भक्तों की संख्या में वृद्धि हुई है. उत्तराखंड के अलावा यूपी, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, केरल, बंगाल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश आदि राज्यों से भक्त बड़ी संख्या में पहुंचने लगे हैं. उनमें से अनेक भक्त जागेश्वर में भंडारा भी करा रहे हैं. किसी भी मंदिर क्षेत्र में भंडारे की बात होती है तो वहां भक्त परंपरागत रूप से पूरी, आलू की सब्जी, खीर, रायता, हलुआ परोस कर भक्तों को खिलाते हैं. इन दिनों जागेश्वर धाम में दूसरे राज्यों से आने वाले भक्त 56 प्रकार के व्यंजन बनाकर लोगों को खिला रहे हैं. दक्षिण भारत से आए भक्तों के भंडारे में इडली, डोसा, भटूरे, इमरती, पानी पूरी, कटलेट आदि भी परोसा जा रहा है.

विभिन्न राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं के कारण पकवानों में भी विविधता दिख रही है. वर्तमान में यहां हो रहे भंडारों में अब फल, चना, पूड़ी-सब्जी के साथ पनीर बटर मसाला, दालमखनी, चावल, तन्दुरी रोटी, खारे व बूंदी का रायता, सलाद, कढ़ाई दूध, जलेबी, पकौड़ी, फिंगर चिप्स, चाउमीन भी शामिल दिख रहे हैं.

ज्योतिर्लिंग जागेश्वर के मुख्य पुजारी पंडित हेमंत भट्ट ने कहा भंडारे के नाम पर अनावश्यक व्यंजन बनाना सही नहीं है. किसी भी मंदिर या धाम में परंपरागत पूरी, सब्जी, हलुआ, फल, खीर, बड़ा आदि का भंडारा ही उचित रहता है. इन दिनों बाहरी राज्यों के पकवान भी भंडारे में बनाए जा रहे हैं. इससे परंपरा खराब होने का अंदेशा बना है. इसे रोका जाना चाहिए.

व्यापार मंडल ने जताई नाराजगी: जागेश्वर व्यापार मंडल के अध्यक्ष मुकेश भट्ट ने कहा भंडारे की यह परंपरा गलत है. इससे स्थानीय होटल, रेस्टोरेंट व ढाबे का व्यवसाय चौपट हो गया है. इसके लिए मंदिर समिति को चाहिए कि वह जब भी भंडारे की बुकिंग करें तो उन्हें अपनी ओर से भंडारे का मंदिर परिसरों में चलने वाला मेन्यू उपलब्ध कराए ताकि परंपरा न बिगड़ सके.

मंदिर की भोग शाला में बनता है भगवान का भोग: मंदिर समिति की प्रबंधक ज्योत्सना पंत ने कहा भंडारे में इतने व्यंजन बन रहे हैं इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन भगवान शिव को प्रतिदिन दाल, चावल, टपकी (सब्जी), बड़ा का भोग एवम बटुक भैरव को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. यह भोग प्रतिदिन 9 बजे से 11 बजे के बीच लगता है. इस दौरान मंदिर के कपाट बंद रहते हैं. इस भोग को मंदिर के पुजारी मंदिर में स्थित भोगशाला में बनाते हैं. भगवान को भोग लगाने के बाद इसे परंपरानुसार नाथ समुदाय के लोग खाते हैं.

अल्मोड़ा: विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम में श्रावणी मेले की धूम है. 15 अगस्त तक चलने वाले इस मेले में शिव भक्त श्रद्धाभाव से पहुंच रहे हैं. अल्मोड़ा के जागेश्वर धाम में शिव भक्तों की भीड़ लगी हुई है. देश के विभिन्न राज्यों से भक्त मंदिर में पार्थिव पूजा व जलाभिषेक कर भंडारा भी कर रहे हैं. जिसमें वह अपने क्षेत्र के व्यंजनों को भंडारे में प्रसाद के रूप में परोस रहे हैं, जो पुरानी परंपरा के बदलाव के रूप में देखा जा रहा है.

जागेश्वर शिव धाम में लोगों की अटूट आस्था है. प्रधानमंत्री मोदी के जागेश्वर धाम आने के बाद से भक्तों की संख्या में वृद्धि हुई है. उत्तराखंड के अलावा यूपी, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, केरल, बंगाल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश आदि राज्यों से भक्त बड़ी संख्या में पहुंचने लगे हैं. उनमें से अनेक भक्त जागेश्वर में भंडारा भी करा रहे हैं. किसी भी मंदिर क्षेत्र में भंडारे की बात होती है तो वहां भक्त परंपरागत रूप से पूरी, आलू की सब्जी, खीर, रायता, हलुआ परोस कर भक्तों को खिलाते हैं. इन दिनों जागेश्वर धाम में दूसरे राज्यों से आने वाले भक्त 56 प्रकार के व्यंजन बनाकर लोगों को खिला रहे हैं. दक्षिण भारत से आए भक्तों के भंडारे में इडली, डोसा, भटूरे, इमरती, पानी पूरी, कटलेट आदि भी परोसा जा रहा है.

विभिन्न राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं के कारण पकवानों में भी विविधता दिख रही है. वर्तमान में यहां हो रहे भंडारों में अब फल, चना, पूड़ी-सब्जी के साथ पनीर बटर मसाला, दालमखनी, चावल, तन्दुरी रोटी, खारे व बूंदी का रायता, सलाद, कढ़ाई दूध, जलेबी, पकौड़ी, फिंगर चिप्स, चाउमीन भी शामिल दिख रहे हैं.

ज्योतिर्लिंग जागेश्वर के मुख्य पुजारी पंडित हेमंत भट्ट ने कहा भंडारे के नाम पर अनावश्यक व्यंजन बनाना सही नहीं है. किसी भी मंदिर या धाम में परंपरागत पूरी, सब्जी, हलुआ, फल, खीर, बड़ा आदि का भंडारा ही उचित रहता है. इन दिनों बाहरी राज्यों के पकवान भी भंडारे में बनाए जा रहे हैं. इससे परंपरा खराब होने का अंदेशा बना है. इसे रोका जाना चाहिए.

व्यापार मंडल ने जताई नाराजगी: जागेश्वर व्यापार मंडल के अध्यक्ष मुकेश भट्ट ने कहा भंडारे की यह परंपरा गलत है. इससे स्थानीय होटल, रेस्टोरेंट व ढाबे का व्यवसाय चौपट हो गया है. इसके लिए मंदिर समिति को चाहिए कि वह जब भी भंडारे की बुकिंग करें तो उन्हें अपनी ओर से भंडारे का मंदिर परिसरों में चलने वाला मेन्यू उपलब्ध कराए ताकि परंपरा न बिगड़ सके.

मंदिर की भोग शाला में बनता है भगवान का भोग: मंदिर समिति की प्रबंधक ज्योत्सना पंत ने कहा भंडारे में इतने व्यंजन बन रहे हैं इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन भगवान शिव को प्रतिदिन दाल, चावल, टपकी (सब्जी), बड़ा का भोग एवम बटुक भैरव को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. यह भोग प्रतिदिन 9 बजे से 11 बजे के बीच लगता है. इस दौरान मंदिर के कपाट बंद रहते हैं. इस भोग को मंदिर के पुजारी मंदिर में स्थित भोगशाला में बनाते हैं. भगवान को भोग लगाने के बाद इसे परंपरानुसार नाथ समुदाय के लोग खाते हैं.

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