नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में हर रोज लावारिस शवों के मिलने की सूचना पुलिस के पास आती है. अगर 1 जनवरी 2024 से अब तक के आंकड़े पर गौर करें तो दिल्ली में 705 लावारिस शव मिले हैं. पुलिस अज्ञात शव मिलने के बाद करीब एक सप्ताह तक शिनाख्त का प्रयास करती है. यदि इसके बाद भी शिनाख्त नहीं हो पाने पर शव को देखकर उसके धर्म की पहचान की जाती है और उसके बाद उसका उस धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाता है.
मृतक के धर्म के आधार पर किया जाता है अंतिम संस्कारः
शव के पास से बरामद वस्तुएं व डीएनए सुरक्षित रखा जाता है, जिससे शव की बाद में पहचान की जा सके. जिपनेट पर दिल्ली पुलिस द्वारा डाले गए आंकड़े देखें तो औसतन रोजाना 10 लावारिस शव दिल्ली में मिल रही हैं. पुलिस अधिकारियों से बात करने पर पता चला कि शव मिलने के बाद उसे मोर्चरी में रखा जाता हैं. इसके बाद शव की शिनाख्त का प्रयास किया जाता है. शव की फोटो व अन्य विवरण आसपास के पुलिस थानों में भेजा जाता है. यदि पहचान नहीं हुई तो अखबार में शव की फोटो और विवरण प्रकाशित कराया जाता है. जगह जगह पोस्टर भी चस्पा किए जाते हैं. जिपनेट पर भी डाला जाता है. यदि इसके बाद भी शव की शिनाख्त नहीं हो पाती है तो पुलिस अंतिम संस्कार करने की प्रक्रिया शुरू करती है.
शव के अंतिम संस्कार के लिए 2500 रुपये की मिलती है राशि
शव की शिनाख्त न होने पर पुलिस लावारिस शव को देखकर कपड़े, पहनावा व शारीरिक पार्ट के आधार पर धर्म की पहचान करती है. इसके शव को दफनाने या जलाने का निर्णय लिया जाता है. शव के धर्म के अनुसार पुलिस को अंतिम संस्कार करना होता है. पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक अंतिम संस्कार से पहले पोस्टमार्टम कराया जाता है. इससे मौत के कारणों का भी पता चल जाता है. इसके बाद पंचनामा भरा जाता है कि मौत कैसे हुई. शव के पास से क्या क्या मिला था. पहचान करने के लिए पुलिस ने क्या क्या प्रयास किए. इसके बाद अंतिम संस्कार किया जाता है. एक शव के अंतिम संस्कार के लिए 2500 रुपये मिलते हैं. आजकल विभिन्न संस्थाएं भी लावारिस शव के अंतिम संस्कार का काम करती हैं, जो पुलिस की लावारिस शव के अंतिम संस्कार में मदद करती हैं.
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अंतिम संस्कार के बाद भी होती है शिनाख्त
जिस शव की पहचान नहीं हो पाती है. शव की डीएनए रिपोर्ट, कपड़े, उसके पास से बरामद वस्तुएं, शव की फोटो आदि पुलिस अपने पास रखती है. यदि कोई शव के बारे में जानकारी के लिए आता है तो उसे दिखाया जाता है. जरूरत पड़ने पर घरवालों के डीएनए जांच से भी शव की शिनाख्त करने का प्रयास किया जाता है. इससे बाद में भी कई शवों की पहचान हो जाती है.
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