ETV Bharat / state

चुनाव से पहले ही हॉट सीट बनी ईचागढ़, आजसू और भाजपा में खींचतान शुरू, जेबीकेएसएस की इंट्री ने बिगाड़ा समीकरण, झामुमो की चुनौती बढ़ी - Jharkhand Assembly election 2024 - JHARKHAND ASSEMBLY ELECTION 2024

Ichagarh assembly seat. झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए ईचागढ़ अभी से ही हॉट सीट बनी हुई है. उम्मीदवारी को लेकर आजसू और भाजपा में खींचतान शुरू है. वहीं जेबीकेएसएस की इंट्री ने पूरा समीकरण बिगाड़ दिया है. इससे झामुमो की चुनौती बढ़ गई है.

Ichagarh assembly seat
ईटीवी भारत ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत)
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 13, 2024, 9:57 AM IST

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले सभी पार्टियां अपने-अपने प्रभाव वाली सीटों को साधने में जुट गई हैं. फिलहाल, एक तरफ एनडीए ब्लॉक में भाजपा और आजसू हैं तो दूसरी तरफ इंडिया ब्लॉक में झामुमो, कांग्रेस, राजद और भाकपा माले. संभव है कि आने वाले समय में जदयू और चिराग पासवान की पार्टी लोजपा के आने से एनडीए का कुनबा और बड़ा हो जाए. ऐसा होता है तो सीटों की संख्या को लेकर कॉम्प्रोमाइज ही एकमात्र विकल्प होगा. लेकिन कुछ सीटें ऐसी हैं जहां भाजपा और आजसू का अपना-अपना जनाधार है, जो खींचतान का कारण बनने लगा है. आज बात करेंगे ईचागढ़ सीट की. यह क्षेत्र सरायकेला-खरसांवा जिला में है. लेकिन रांची संसदीय सीट का हिस्सा है.

ईचागढ़ पर आजसू ठोक चुका है दावा

दिलचस्प बात यह है कि इस सीट पर आजसू की पैनी नजर है. आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने पिछले माह चांडिल प्रखंड के भादुडीह में विधानसभा स्तरीय चूल्हा प्रमुख सम्मेलन में कह दिया है कि इस सीट पर नाम वाला नहीं बल्कि हरेलाल महतो जैसा काम वाला विधायक चाहिए. इतना कहना भर था कि भाजपा ने आंखे तरेड़ दी. खटपट शुरू हो गई. क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा यहां से अरविंद कुमार सिंह उर्फ मलखान सिंह को प्रोजेक्ट कर रही है.

दरअसल, अरविंद कुमार सिंह इस सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं. एक बार भाजपा की टिकट पर भी जीते हैं. 2009 में जेवीएम की टिकट पर चुनाव जीते थे. लेकिन 2019 में साधुचरण महतो को टिकट मिलने पर बतौर निर्दलीय चुनाव लड़े और हार गये.

आजसू-भाजपा के टकराव से झामुमो को फायदा

2019 में भाजपा से तालमेल नहीं बनने पर आजसू ने हरेलाल महतो को मैदान में उतारा था. लेकिन भाजपा के साधु चरण, आजसू के हरेलाल और अरविंद कुमार सिंह के निर्दलीय मैदान में उतरने का सीधा फायदा झामुमो की सबीता महतो उठा ले गईं. उस चुनाव में सबीता को 57,546 वोट, आजसू के हरेलाल को 38,836 वोट, भाजपा के साधुचरण महतो को 38,485 वोट और निर्दलीय अरविंद सिंह को 32,206 वोट मिले थे. अगर आजसू, भाजपा और अरविंद सिंह के वोट को जोड़ दिया जाए तो झामुमो की सबीता महतो कहीं नहीं टिकतीं.

अरविंद पर मरांडी और संजय सेठ की कृपा

अब साधु चरण का निधन हो चुका है. लिहाजा, अरविंद कुमार सिंह भाजपा से टिकट की आस में उम्मीदें बांधे बैठे हैं. इसकी वजह भी है. इनको बाबूलाल मरांडी का भी करीबी कहा जाता है. कहा जाता है कि बाबूलाल मरांडी के पहल पर ही इसी साल फरवरी में वह भाजपा में शामिल हुए. रांची के सांसद सह केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ से भी इनकी अच्छी नजदीकी है. जानकारों का कहना है कि पिछले लोकसभा चुनाव में इनके कैडर वोट ने संजय सेठ का साथ दिया था.

ईचागढ़ सीट पर कुर्मी वोटर का दबदबा

ईचागढ़ विधानसभा सीट पर हार-जीत का फैसला कुर्मी वोटर तय करते हैं. यहां महतो वोट की संख्या करीब 90 हजार है. दूसरे स्थान पर आदिवासी और तीसरे स्थान पर ओबीसी की भूमिका होती है. यहां सामान्य वोट का प्रतिशत महज 2 से 3 प्रतिशत है. इसके बावजूद तीन बार अरविंद कुमार सिंह चुनाव जीते.

वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार के मुताबिक अरविंद कुमार सिंह यहां लंबे समय से सक्रिय रहे हैं. उन्होंने अपना कैडर तैयार कर रखा है. हर समाज में इनकी पैठ है. जमशेदपुर में सबसे बड़ा दुर्गा पूजा का आयोजन अरविंद कुमार सिंह उर्फ मलखान सिंह की समिति ही आयोजित कराती है. उनके साथ बड़ी संख्या युवा जुड़े हुए हैं. रही बात आजसू के हरेलाल महतो की तो उनका नाम बालू के अवैध खनन को लेकर सामने आता रहा है. उनके नक्सलियों से कनेक्शन की भी बात सामने आती रही है. वह जेल भी जा चुके हैं.

मुकाबले को रोचक बनाते दिख रहे हैं जयराम

इस बार के विधानसभा चुनाव में जेबीकेएसएस यानी झारखंडी भाषा-खतियानी संघर्ष समिति के ताल ठोंकने से जयराम महतो को कुर्मी वोटर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं. उन्होंने लोकसभा चुनाव में ट्रेलर भी दिखा दिया था. रांची संसदीय सीट से खड़े जेबीकेएसएस उम्मीदवार देवेंद्रनाथ महतो को ईचागढ़ में 38,564 वोट मिले थे. पिछले दिनों जयराम महतो कह चुके हैं कि ईचागढ़ में यहीं का स्थानीय चुनाव लड़ेगा. लेकिन जानकारों का कहना है कि ईचागढ़ में कुर्मी वोट बैंक अलग-अलग पार्टियों में बंटा हुआ है. जीत के लिए जरूरी है आदिवासी और अन्य ओबीसी वोटर को अपने साथ जोड़ना.

कुर्मी को आदिवासी का दर्जा देना झामुमो की चुनौती

मानसून सत्र के दौरान विधानसभा में आजसू नेता लंबोदर महतो सदन में कुर्मी को आदिवासी का दर्जा देने को लेकर सवाल उठा चुके हैं. उन्होंने कहा था कि कुर्मी को आदिवासी का दर्जा मिलना चाहिए. उनकी दलील है कि पूर्व में कुर्मी को आदिवासी का दर्जा था लेकिन बाद में साजिश के तहत हटा दिया गया. उन्होंने भाषा, संस्कृति का भी हवाला दिया. तब सदन में ही सीएम हेमंत सोरेन ने कहा था कि क्या कीजिएगा आदिवासी बनकर. आदिवासी की हालत तो आप देख ही रहे हैं.

लिहाजा, हालिया समीकरण बता रहे हैं कि ईचागढ़ सीट पर इसबार का चुनाव बेहद दिलचस्प होगा. देखना होगा कि कुर्मी वोटर आदिवासी के दर्जे की मांग को लेकर गोलबंद होते हैं या कैडर की भूमिका में. सारा खेल भाजपा और आजसू की एकता पर निर्भर करेगा.

यह भी पढ़ें:

बीजेपी के पास 35 साल का सूखा खत्म करने का मौका, क्या नलिन सोरेन के चुनाव न लड़ने से बदलेंगे हालात, क्या होगी जेएमएम की रणनीति - Shikaripara Assembly seat

क्या है राजद के बंद लिफाफा का राज! कौन-कौन होंगे प्रत्याशी, लालू यादव के एनओसी का इंतजार - Jharkhand Assembly Election 2024

रांची विधानसभा सीट पर दो नए चेहरे! क्या लगातार छह बार जीतने वाले सीपी सिंह को किया जाएगा रिप्लेस - Jharkhand Assembly Election

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले सभी पार्टियां अपने-अपने प्रभाव वाली सीटों को साधने में जुट गई हैं. फिलहाल, एक तरफ एनडीए ब्लॉक में भाजपा और आजसू हैं तो दूसरी तरफ इंडिया ब्लॉक में झामुमो, कांग्रेस, राजद और भाकपा माले. संभव है कि आने वाले समय में जदयू और चिराग पासवान की पार्टी लोजपा के आने से एनडीए का कुनबा और बड़ा हो जाए. ऐसा होता है तो सीटों की संख्या को लेकर कॉम्प्रोमाइज ही एकमात्र विकल्प होगा. लेकिन कुछ सीटें ऐसी हैं जहां भाजपा और आजसू का अपना-अपना जनाधार है, जो खींचतान का कारण बनने लगा है. आज बात करेंगे ईचागढ़ सीट की. यह क्षेत्र सरायकेला-खरसांवा जिला में है. लेकिन रांची संसदीय सीट का हिस्सा है.

ईचागढ़ पर आजसू ठोक चुका है दावा

दिलचस्प बात यह है कि इस सीट पर आजसू की पैनी नजर है. आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने पिछले माह चांडिल प्रखंड के भादुडीह में विधानसभा स्तरीय चूल्हा प्रमुख सम्मेलन में कह दिया है कि इस सीट पर नाम वाला नहीं बल्कि हरेलाल महतो जैसा काम वाला विधायक चाहिए. इतना कहना भर था कि भाजपा ने आंखे तरेड़ दी. खटपट शुरू हो गई. क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा यहां से अरविंद कुमार सिंह उर्फ मलखान सिंह को प्रोजेक्ट कर रही है.

दरअसल, अरविंद कुमार सिंह इस सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं. एक बार भाजपा की टिकट पर भी जीते हैं. 2009 में जेवीएम की टिकट पर चुनाव जीते थे. लेकिन 2019 में साधुचरण महतो को टिकट मिलने पर बतौर निर्दलीय चुनाव लड़े और हार गये.

आजसू-भाजपा के टकराव से झामुमो को फायदा

2019 में भाजपा से तालमेल नहीं बनने पर आजसू ने हरेलाल महतो को मैदान में उतारा था. लेकिन भाजपा के साधु चरण, आजसू के हरेलाल और अरविंद कुमार सिंह के निर्दलीय मैदान में उतरने का सीधा फायदा झामुमो की सबीता महतो उठा ले गईं. उस चुनाव में सबीता को 57,546 वोट, आजसू के हरेलाल को 38,836 वोट, भाजपा के साधुचरण महतो को 38,485 वोट और निर्दलीय अरविंद सिंह को 32,206 वोट मिले थे. अगर आजसू, भाजपा और अरविंद सिंह के वोट को जोड़ दिया जाए तो झामुमो की सबीता महतो कहीं नहीं टिकतीं.

अरविंद पर मरांडी और संजय सेठ की कृपा

अब साधु चरण का निधन हो चुका है. लिहाजा, अरविंद कुमार सिंह भाजपा से टिकट की आस में उम्मीदें बांधे बैठे हैं. इसकी वजह भी है. इनको बाबूलाल मरांडी का भी करीबी कहा जाता है. कहा जाता है कि बाबूलाल मरांडी के पहल पर ही इसी साल फरवरी में वह भाजपा में शामिल हुए. रांची के सांसद सह केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ से भी इनकी अच्छी नजदीकी है. जानकारों का कहना है कि पिछले लोकसभा चुनाव में इनके कैडर वोट ने संजय सेठ का साथ दिया था.

ईचागढ़ सीट पर कुर्मी वोटर का दबदबा

ईचागढ़ विधानसभा सीट पर हार-जीत का फैसला कुर्मी वोटर तय करते हैं. यहां महतो वोट की संख्या करीब 90 हजार है. दूसरे स्थान पर आदिवासी और तीसरे स्थान पर ओबीसी की भूमिका होती है. यहां सामान्य वोट का प्रतिशत महज 2 से 3 प्रतिशत है. इसके बावजूद तीन बार अरविंद कुमार सिंह चुनाव जीते.

वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार के मुताबिक अरविंद कुमार सिंह यहां लंबे समय से सक्रिय रहे हैं. उन्होंने अपना कैडर तैयार कर रखा है. हर समाज में इनकी पैठ है. जमशेदपुर में सबसे बड़ा दुर्गा पूजा का आयोजन अरविंद कुमार सिंह उर्फ मलखान सिंह की समिति ही आयोजित कराती है. उनके साथ बड़ी संख्या युवा जुड़े हुए हैं. रही बात आजसू के हरेलाल महतो की तो उनका नाम बालू के अवैध खनन को लेकर सामने आता रहा है. उनके नक्सलियों से कनेक्शन की भी बात सामने आती रही है. वह जेल भी जा चुके हैं.

मुकाबले को रोचक बनाते दिख रहे हैं जयराम

इस बार के विधानसभा चुनाव में जेबीकेएसएस यानी झारखंडी भाषा-खतियानी संघर्ष समिति के ताल ठोंकने से जयराम महतो को कुर्मी वोटर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं. उन्होंने लोकसभा चुनाव में ट्रेलर भी दिखा दिया था. रांची संसदीय सीट से खड़े जेबीकेएसएस उम्मीदवार देवेंद्रनाथ महतो को ईचागढ़ में 38,564 वोट मिले थे. पिछले दिनों जयराम महतो कह चुके हैं कि ईचागढ़ में यहीं का स्थानीय चुनाव लड़ेगा. लेकिन जानकारों का कहना है कि ईचागढ़ में कुर्मी वोट बैंक अलग-अलग पार्टियों में बंटा हुआ है. जीत के लिए जरूरी है आदिवासी और अन्य ओबीसी वोटर को अपने साथ जोड़ना.

कुर्मी को आदिवासी का दर्जा देना झामुमो की चुनौती

मानसून सत्र के दौरान विधानसभा में आजसू नेता लंबोदर महतो सदन में कुर्मी को आदिवासी का दर्जा देने को लेकर सवाल उठा चुके हैं. उन्होंने कहा था कि कुर्मी को आदिवासी का दर्जा मिलना चाहिए. उनकी दलील है कि पूर्व में कुर्मी को आदिवासी का दर्जा था लेकिन बाद में साजिश के तहत हटा दिया गया. उन्होंने भाषा, संस्कृति का भी हवाला दिया. तब सदन में ही सीएम हेमंत सोरेन ने कहा था कि क्या कीजिएगा आदिवासी बनकर. आदिवासी की हालत तो आप देख ही रहे हैं.

लिहाजा, हालिया समीकरण बता रहे हैं कि ईचागढ़ सीट पर इसबार का चुनाव बेहद दिलचस्प होगा. देखना होगा कि कुर्मी वोटर आदिवासी के दर्जे की मांग को लेकर गोलबंद होते हैं या कैडर की भूमिका में. सारा खेल भाजपा और आजसू की एकता पर निर्भर करेगा.

यह भी पढ़ें:

बीजेपी के पास 35 साल का सूखा खत्म करने का मौका, क्या नलिन सोरेन के चुनाव न लड़ने से बदलेंगे हालात, क्या होगी जेएमएम की रणनीति - Shikaripara Assembly seat

क्या है राजद के बंद लिफाफा का राज! कौन-कौन होंगे प्रत्याशी, लालू यादव के एनओसी का इंतजार - Jharkhand Assembly Election 2024

रांची विधानसभा सीट पर दो नए चेहरे! क्या लगातार छह बार जीतने वाले सीपी सिंह को किया जाएगा रिप्लेस - Jharkhand Assembly Election

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.