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तापमान गिरने के साथ हाइपोथर्मिया व निमोनिया के बढ़ रहे मरीज, इन दिनों बच्चों-बुजुर्गों की सेहत का रखें ध्यान... - INCREASING PATIENTS

तापमान में गिरावट के साथ ओपीडी में रोगियों की संख्या बढ़ने लगी है.

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लखनऊ हाइपोथर्मिया व निमोनिया के बढ़ रहे मरीज (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 3 hours ago

लखनऊ : इम्युनिटी बढ़ाने के लिहाज से ठंड सबसे उपयुक्त मानी जाती है, लेकिन इस दौरान बच्चों और बुजुर्गों की परेशानी भी बढ़ती है. लिहाजा, ऐसे मौसम में नवजात शिशु, बच्चों और बुजुर्गों की सेहत को लेकर अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत होती है. अगर बच्चों व बुजुर्गों को सर्दी- जुकाम और खांसी लंबे समय तक हो तो नजर अंदाज न करें, बल्कि विशेषज्ञ डाक्टर से संपर्क करें. किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के बाल रोग विभाग की प्रो. डॉ. शालिनी त्रिपाठी ने कहा कि ऐसे मौसम में खासकर, बच्चों और बुजुर्गों में हाइपोथर्मिया व निमोनिया के मामले देखने को मिलते हैं. तापमान में गिरावट के साथ ओपीडी में ऐसे रोगियों की संख्या बढ़ने लगी है.

डॉ. शालिनी त्रिपाठी के अनुसार, नवजात शिशु की मां को अधिक ध्यान रखना है. जन्म से छह माह तक सिर्फ स्तनपान बच्चे की इम्युनिटी बढ़ाने में पूरी तरह सक्षम है. इसलिए महिलाएं शिशु को अपना दूध पिलाना बंद न करें. बच्चे के जन्म से लेकर 28 दिन तक की अवस्था को नवजात शिशु की श्रेणी में रखा गया है. बच्चे की सेहत की दृष्टि से यह अवधि बेहद संवेदनशील होती है. खास तौर से सर्दियों में जन्म लेने वाले बच्चों के प्रति अधिक एहतियात बरतना चाहिए.

सिविल अस्पताल के पीडियाट्रिक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि इस मौसम में नवजात व बच्चों को निमोनिया होने का खतरा अधिक होता है. यह बैक्टीरिया और वायरस से फैल सकता है. दोनों प्रकार का निमोनिया संक्रामक है. निमोनिया तब विकसित हो सकता है जब प्रतिरक्षा प्रणाली फेफड़ों की छोटी थैलियों में संक्रमण पर हमला करती है. इससे फेफड़े में सूजन हो जाती है और उनमें तरल पदार्थ का रिसाव होने लगता है. कई बैक्टीरिया, वायरस और कवक संक्रमण का कारण बन सकते हैं, जो निमोनिया की भी वजह बनते हैं. वहीं, इस मौके पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबंधक डा. सूर्यांश ओझा भी मौजूद रहें.

उन्होंने बताया कि हाइपोथर्मिया तब होता है जब शरीर उस गर्मी की तुलना में अधिक गर्मी गंवा देता है, जिसे व्यायाम के जरिए शरीर द्वारा उत्पन्न गर्मी की मात्रा में वृद्धि करके या बाहरी स्रोतों, जैसे आग या सूरज से गर्मी में वृद्धि कर बदले में पाया जा सकता है. हवा गर्मी खोने को बढ़ाती है, जैसे ठंडी सतह पर बैठने या लेटने या पानी में डूबे रहने से. बहुत ठंडे पानी में अचानक डूबने से 5 से 15 मिनट में घातक हाइपोथर्मिया हो सकता है. हालांकि, कुछ लोग, ज्यादातर शिशु और छोटे बच्चे, बर्फ के पानी में पूरी तरह से डूबने के बाद एक घंटे तक भी जीवित रहे हैं. झटका सभी प्रणालियों को बंद कर सकता है, अनिवार्य रूप से शरीर की रक्षा करता है (ठंडे पानी में डूबने के प्रभाव देखें) केवल मध्यम ठंडे पानी में लंबे समय तक रहने के बाद भी हाइपोथर्मिया हो सकता है.

ये लक्षण दिखें तो अस्पताल जाएं

  • सांस लेने और मां का दूध पीने में दिक्कत
  • सांस लेने पर घरघराहट की आवाज, खांसी व बलगम
  • बुखार आना या बच्चे का सुस्त रहना
  • शरीर का तापमान सामान्य से कम हो जाना
  • उल्टी या दस्त हो, पसली तेज चलना
  • बुखार, पसीना आना और कपकपी

    निमोनिया से बचाव
  • डाक्टर की सलाह से टीकाकरण कराएं.
  • बच्चों को गर्म तासीर के तेल से मसाज करें.
  • साफ-सफाई का ध्यान रखें.
  • युवा-बुजुर्ग धू्म्रपान से दूरी बनाएं.
  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं.
  • बच्चों व बुजुगों को पर्याप्त पोषण दें.
  • दो-तीन लेयर में गर्म कपड़े पहनाएं.

यह भी पढ़ें : रायबरेली गोशाला में हुई गोवंशों की मौत, जिलाधिकारी ने दिए जांच के आदेश

लखनऊ : इम्युनिटी बढ़ाने के लिहाज से ठंड सबसे उपयुक्त मानी जाती है, लेकिन इस दौरान बच्चों और बुजुर्गों की परेशानी भी बढ़ती है. लिहाजा, ऐसे मौसम में नवजात शिशु, बच्चों और बुजुर्गों की सेहत को लेकर अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत होती है. अगर बच्चों व बुजुर्गों को सर्दी- जुकाम और खांसी लंबे समय तक हो तो नजर अंदाज न करें, बल्कि विशेषज्ञ डाक्टर से संपर्क करें. किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के बाल रोग विभाग की प्रो. डॉ. शालिनी त्रिपाठी ने कहा कि ऐसे मौसम में खासकर, बच्चों और बुजुर्गों में हाइपोथर्मिया व निमोनिया के मामले देखने को मिलते हैं. तापमान में गिरावट के साथ ओपीडी में ऐसे रोगियों की संख्या बढ़ने लगी है.

डॉ. शालिनी त्रिपाठी के अनुसार, नवजात शिशु की मां को अधिक ध्यान रखना है. जन्म से छह माह तक सिर्फ स्तनपान बच्चे की इम्युनिटी बढ़ाने में पूरी तरह सक्षम है. इसलिए महिलाएं शिशु को अपना दूध पिलाना बंद न करें. बच्चे के जन्म से लेकर 28 दिन तक की अवस्था को नवजात शिशु की श्रेणी में रखा गया है. बच्चे की सेहत की दृष्टि से यह अवधि बेहद संवेदनशील होती है. खास तौर से सर्दियों में जन्म लेने वाले बच्चों के प्रति अधिक एहतियात बरतना चाहिए.

सिविल अस्पताल के पीडियाट्रिक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि इस मौसम में नवजात व बच्चों को निमोनिया होने का खतरा अधिक होता है. यह बैक्टीरिया और वायरस से फैल सकता है. दोनों प्रकार का निमोनिया संक्रामक है. निमोनिया तब विकसित हो सकता है जब प्रतिरक्षा प्रणाली फेफड़ों की छोटी थैलियों में संक्रमण पर हमला करती है. इससे फेफड़े में सूजन हो जाती है और उनमें तरल पदार्थ का रिसाव होने लगता है. कई बैक्टीरिया, वायरस और कवक संक्रमण का कारण बन सकते हैं, जो निमोनिया की भी वजह बनते हैं. वहीं, इस मौके पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबंधक डा. सूर्यांश ओझा भी मौजूद रहें.

उन्होंने बताया कि हाइपोथर्मिया तब होता है जब शरीर उस गर्मी की तुलना में अधिक गर्मी गंवा देता है, जिसे व्यायाम के जरिए शरीर द्वारा उत्पन्न गर्मी की मात्रा में वृद्धि करके या बाहरी स्रोतों, जैसे आग या सूरज से गर्मी में वृद्धि कर बदले में पाया जा सकता है. हवा गर्मी खोने को बढ़ाती है, जैसे ठंडी सतह पर बैठने या लेटने या पानी में डूबे रहने से. बहुत ठंडे पानी में अचानक डूबने से 5 से 15 मिनट में घातक हाइपोथर्मिया हो सकता है. हालांकि, कुछ लोग, ज्यादातर शिशु और छोटे बच्चे, बर्फ के पानी में पूरी तरह से डूबने के बाद एक घंटे तक भी जीवित रहे हैं. झटका सभी प्रणालियों को बंद कर सकता है, अनिवार्य रूप से शरीर की रक्षा करता है (ठंडे पानी में डूबने के प्रभाव देखें) केवल मध्यम ठंडे पानी में लंबे समय तक रहने के बाद भी हाइपोथर्मिया हो सकता है.

ये लक्षण दिखें तो अस्पताल जाएं

  • सांस लेने और मां का दूध पीने में दिक्कत
  • सांस लेने पर घरघराहट की आवाज, खांसी व बलगम
  • बुखार आना या बच्चे का सुस्त रहना
  • शरीर का तापमान सामान्य से कम हो जाना
  • उल्टी या दस्त हो, पसली तेज चलना
  • बुखार, पसीना आना और कपकपी

    निमोनिया से बचाव
  • डाक्टर की सलाह से टीकाकरण कराएं.
  • बच्चों को गर्म तासीर के तेल से मसाज करें.
  • साफ-सफाई का ध्यान रखें.
  • युवा-बुजुर्ग धू्म्रपान से दूरी बनाएं.
  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं.
  • बच्चों व बुजुगों को पर्याप्त पोषण दें.
  • दो-तीन लेयर में गर्म कपड़े पहनाएं.

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