वाराणसी: जिले के आईएमएस BHU का ट्रॉमा सेंटर उत्तर भारत का पहला ऐसा ट्रॉमा सेंटर बना है, जहां पर हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी के जरिये मरीजों का इलाज किया जा रहा है. जी हां, अब गंभीर घाव, लंबे समय से एक्सीडेंटल चोट से जूझ रहे लोगों के लिए राहत भरी खबर है. उन्हें नई तकनीक के जरिए BHU का ट्रॉमा सेंटर में बेहतर इलाज दिया जाएगा, जिससे उनके घाव अब सहजता के साथ भरेंगे. बड़ी बात यह है कि अब तक 30 से ज्यादा लोग इसका लाभ भी ले चुके हैं.
बता दें कि BHU के ट्रामा सेंटर मे 6 जुलाई को हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी की शुरुआत की गई, जिसमें पुराने ठीक न होने वाले घाव, ऑस्ट्रियोरेडियोनेक्रोसिस, न्यूरोपैथिक दर्द, फैक्चर,मधुमेह से होने वाले गंभीर गांव का इलाज किया जाएगा. जुलाई से अब तक 300 सीटिंग में 30 मरीजों को इसका लाभ दिया जा चुका है. इसमें, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश,गोरखपुर, लखनऊ, कोलकाता और पूर्वांचल के जनपदों के मरीज शामिल है.
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थेरेपी से इन गंभीर बीमारियों का होगा इलाज: इस बारे में ट्रॉमा सेंटर इंचार्ज डॉ. सौरभ सिंह बताते हैं, कि हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी शरीर के रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है. विपरीत परिस्थिति में भी शुद्ध ऑक्सीजन को देता है. जिससे जल्द से जल्द घाव भरता है. उन्होंने बताया, कि हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी का प्रयोग कई चिकित्सकीय स्थितियों में किया जाता है. जिसमें ना ठीक होने वाले घाव, मधुमेह संबंधी अल्सर, गंभीर एनीमिया, मस्तिष्क में फोड़ा, जलन, कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्त, कुचलने वाली चोट,अचानक बहरापन,गैंग्रीन त्वचा या हड्डी का संक्रमण, त्वचा ग्राफ्ट या त्वचा फ्लॉप जैसी गंभीर बीमारियों को भी ठीक किया जा सकता है.
ऐसे करता है इलाज: इस ऑक्सीजन थेरेपी से हवा का दबाव सामान्य वायु दबाव से दो से तीन गुना बढ़ जाता है. इस परिस्थिति में व्यक्ति सामान्य शुद्ध वायु की तुलना में कहीं ज्यादा ऑक्सीजन एकत्र कर सकता है. इसके साथ ही यह बैक्टीरिया से भी लड़ने में मदद करता है, यह शरीर में स्टेम सेल नमक पदार्थ को भी ट्रिगर करता है जो उपचार को और बेहतर करता है.
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