पानीपत: हरियाणा के पानीपत में निजी अस्पताल द्वारा बरती गई बड़ी लापरवाही का मामला मानव अधिकार आयोग तक पहुंच गया है. आयोग ने कहा कि यदि खबर में सच्चाई है, तो इससे चिकित्सा लापरवाही के कारण पीड़ित के जीवन और स्वास्थ्य के अधिकारों की उल्लंघना जैसे गंभीर मुद्दे उठते हैं. आयोग ने हरियाणा के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को मामले संबंधी नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तलब करने को कहा है.
'अधिकारी जवाबदेही से नहीं बच सकते': नोटिस में बताने को कहा गया है कि अपराधियों के प्रति क्या कार्रवाई की गई और मरीज को मुआवजा दिया गया है या नहीं. NHRC ने कहा कि ऐसे निजी अस्पतालों जहां मरीजों का शोषण किया जाता है, या मरीजों के साथ क्रूर व्यवहार और अमानवीय व्यवहार किया जाता है, उन पर नजर रखने के अपने दायित्व को निभाने में विफल रहने वाले अधिकारी जवाबदेही से बच नहीं सकते.
'अधिकारियों पर लिया जाएगा कड़ा एक्शन': हरियाणा के पानीपत के एक अस्पताल में मरीज के दाहिने घुटने की बजाय कथित तौर पर बायें घुटने का ऑपरेशन किए जाने की खबरों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने प्रदेश सरकार और राज्य पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी किया है. आयोग ने कहा कि खबरों के मुताबिक, अस्पताल ने आयुष्मान-भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभार्थी होने के बावजूद भी मरीज से शुल्क वसूला. आयोग ने इस खबर का संज्ञान लिया कि पानीपत में एक अस्पताल में मरीज के चोटिल दाहिने घुटने की बजाय उसके बाएं घुटने का कथित रूप से ऑपरेशन कर दिया.
पीड़ित ने बयां कि दर्द: वहीं, पीड़ित रणवीर ने बताया कि वह पानीपत में गांव वैसर का रहने वाला है. वह राजमिस्त्री का कार्य करता था. वह घर में काम करते समय गिर गया था. जिससे उसके दाहिने घुटने में गंभीर चोट लग गई थी. जिसकी वजह से उसे चलने-फिरने में भी परेशानी आती थी. कई डॉक्टरों से घुटने की जांच करवाई थी. उन्होंने घुटने के ऑपरेशन की बात कही थी. इसी दौरान उसका एक जानकार मनोज निवासी गांव शेरा, जोकि एंबुलेंस चालक है. वह उससे मिला. जिसने उसे कहा कि उसकी ऑस्कर अस्पताल में काफी अच्छी जान-पहचान है. वह उसे 13 मई 2024 को अस्पताल लेकर चला गया.
अस्पताल प्रशासन ने मानी अपनी गलती: डॉक्टर हर्ष व विवेक पांडे ने रणवीर की जांच की और दाएं पैर के घुटने के ऑपरेशन के लिए कहा. 13 मई को उसे वहीं पर भर्ती कर लिया गया. 14 मई की रात को उसका ऑपरेशन किया गया. जब उसे होश आया तो उसने देखा कि उसका दाहिना पैर तो ऐसे ही था. जबकि बाएं पैर के घुटने का ऑपरेशन कर दिया. ये देख कर उसके परिजन भी दंग रह गए. जिसके बाद डॉक्टर को ऑपरेशन गलत होने की बात बताई. जिस पर खुद डॉक्टर हैरान रह गए और मौके पर उन्होंने अपनी गलती स्वीकार कर ली.
'अस्पताल प्रशासन ने खर्च उठाने का दिया था आश्वासन': साथ ही डॉक्टर ने कहा कि वे दाहिने घुटने का भी ऑपरेशन कर देंगे. परिजनों ने पूछा कि अब इसका खर्च कौन उठाएगा. तो डॉक्टर ने कहा कि वे खर्च कि चिंता न करें. जो भी खर्च होगा, वे खुद से भर देंगे. साथ ही कहा कि अगर वह ठीक नहीं हुआ तो उसे घर बैठे पूरा खर्च दिया जाएगा. इसके तुरंत 1 घंटे बाद उसके दाएं पैर का भी ऑपरेशन कर दिया. इसके बाद 5 मई को उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी. अब वह न तो चल पाता है और न कोई काम कर पाता है.
'पीड़ित का परिवार हादसे में हो चुका है खत्म': पीड़ित रणबीर ने बताया कि 23 जनवरी 2006 में एक हादसे में उसका पूरा परिवार खत्म हो गया था. अस्पताल ने जब आश्वासन दिया तो वह अस्पताल से चला गया था. जिसके बाद अस्पताल से कोई नहीं आया और न ही उसकी दवा का खर्च तो भूखे रहने की नौबत आ गई. जिसके चलते उसने प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है. हालांकि मामला दबाने की नीयत से अस्पताल प्रशासन की ओर से कहा गया था कि उसका पूरा खर्च वही उठाएंगे. जब वह उसके घर पर देख-रेख करने तक नहीं पहुंचे इसके बाद पीड़ित ने अपनी शिकायत दी है.
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