धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड का प्लस टू का रिजल्ट सोमवार को घोषित किया गया. प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन हेमराज बैरवा ने रिजल्ट घोषित करते हुए बताया कि "प्लस टू की परीक्षा में तीनों संकायों में 85,777 परीक्षार्थी बैठे थे, जिनमें से 63,092 विद्यार्थी पास हुए हैं, जबकि 9103 परीक्षार्थी फेल हुए और 13,276 स्टूडेंट्स की कम्पार्टमेंट आई है. इस तरह परीक्षा परिणाम 73.76 फीसदी रहा है". बोर्ड के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस साल परीक्षा परिणाम एक महीने पहले घोषित कर दिया गया है. बोर्ड की ओर से उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन महज 25 दिन में पूरा किया गया है. जो कि एक रिकॉर्ड है. इन दोनों उपलब्धियों पर बोर्ड अपनी पीठ थपथपा रहा है लेकिन सवाल है कि हिमाचल बोर्ड का 12वीं का रिजल्ट क्यों गिर रहा है ?
बीते 4 साल का रिजल्ट
पिछले 4 साल के परीक्षा परिणाम पर नजर डालें तो इस बार का परीक्षा परिणाम सबसे खराब कहा जा सकता है. हालांकि इस साल पिछले 3 साल के मुकाबले कम छात्रों ने परीक्षा दी थी. बोर्ड की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2021 के सत्र में कुल 1,16,784 छात्रों ने 12वीं की परीक्षा दी थी, जिनमें से 92.77 फीसदी छात्र पास हुए थे. वहीं मार्च 2022 के सत्र में 90375 छात्र परीक्षा में बैठे थे जिनमें से 93.90 छात्र पास हुए. लेकिन मार्च 2023 में पास प्रतिशत करीब 14 फीसदी गिर गया. उस साल कुल 91,440 परिक्षार्थियों में से 79.4% छात्र ही पास हुए. जबकि इस साल कुल 85777 परिक्षार्थियों में से 73.76% छात्र पास हुए.
क्यों गिर रहा है रिजल्ट ?
शिक्षाविद् दौलत राम डोगरा के मुताबिक रिजल्ट के गिरने की वजह कोरोना भी है. दौलत राम डोगरा कहते हैं कि कोरोना ने पढ़ाई का माहौल और तरीका पूरी तरह से बदल दिया. पढ़ाई ऑनलाइन हो रही थी और कोरोना काल में जो बैच 10वीं में था, उसी बैच ने इस बार 12वीं की परीक्षा दी है. कोरोना का असर स्टडी पर हुआ, जो रिजल्ट पर दिखना लाजमी है.
वहीं गणित के शिक्षक राणा बख्तावर सिंह के मुताबिक छात्रों की पढ़ाई ऑनलाइन होने से शिक्षक और छात्र के बीच संवाद पर गहरा असर पड़ा है. संवाद कम हुआ है और प्रॉब्लम पूछने के साथ उसको सॉल्व करने के चलन भी ऑनलाइन माध्यम में क्लासरूम के मुकाबले कम हुआ है.
सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य पवन शर्मा का कहना है कि 12वीं के परीक्षा परिणाम में कमी आने की एक वजह शिक्षकों की कमी भी है. जिसके चलते बच्चों का अध्यापन कार्य सही से नहीं हो पा रहा है. इसके अलावा सरकारी शिक्षकों पर अन्य कई प्रकार के कार्य भी थोपे गए हैं. जिसके चलते अध्यापक पूरी तरह से पढ़ाने पर फोकस नहीं कर पाते हैं. जिसकी एक झलक जमा दो के परीक्षा परिणाम में भी देखने को मिल रही है.
कुछ शिक्षाविदों की राय है कि कई बार कुछ बैच बहुत अच्छे होते हैं. 10वीं में औसत रूप से अच्छे छात्रों का रिजल्ट 12वीं क्लास में भी बेहतर होता है. वहीं कुछ एक्सपर्ट के मुताबिक स्कूल में अध्ययन दिवसों का सदुपयोग होना बहुत जरूरी है और इसके लिए शिक्षकों को भी आत्मचिंतन की जरूरत है. प्रॉब्लम सॉल्विंग एबिलिटी को बढ़ाना और छात्र के साथ-साथ शिक्षकों को भी बोर्ड परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए ही पढ़ना और पढ़ाना चाहिए.
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