मेरठ: सीता अशोक एक दुर्लभ पेड़ है जो भारत, श्रीलंका और आसपास के देशों में पाया जाता है. इसका इस्तेमाल हम सजावट के रूप में भी करते हैं. धार्मिक दृष्टी से भी इसका काफी महत्व है. औषधीय पौधे के रूप में भी इसका उपयोग होता है.
पत्ते और फूल का पाउडर या काढ़ा कई रोगों से मुक्ति दिलाने की शक्ति रखता है. इस पेड़ के पुष्पों को जहां धार्मिक अनुष्ठान में इस्तेमाल करते हैं और मंदिरों में साज-सज्जा भी की जाती है, वहीं इसमें मिलने वाली प्रॉपर्टीज तो इसे बिल्कुल ही अलग और विशेष बना देती हैं.
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग विज्ञान विभाग के एचओडी विजय मलिक ने बताया कि सीता अशोक बेहद ही उपयोगी और गुणकारी पेड़ है.
किडनी स्टोन होने पर सीता अशोक के पत्तों का काढ़ा उपयोग में लेने से समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है.
इसकी पत्तियों का पाउडर बनाकर भी इस्तेमाल में ले सकते हैं. इसके साथ ही यह गायनी यानी महिलाओं से संबंधित समस्याओं में भी लाभकारी है. सीता अशोक पेड़ के पत्तों और छाल व इस पर आने वाले बेहद ही सुंदर फूलों का विभिन्न प्रकार से इस्तेमाल किया जा सकता है.
किन-किन बीमारियों में लाभकारी है सीता अशोक का पेड़
- मूत्र विकार संबंधित समस्याओं में बेहद फायदेमंद.
- महिलाओं से संबंधित समस्याओं का निवारण.
- किडनी स्टोन जैसी समस्या का रामबाण इलाज.
- त्वचा रोगों का इलाज संभव.
- चर्मरोग, मुहांसे, अल्सर, याददास्त बढ़ाने, बदन दर्द आदि दूर करने में सहायक.
- सांस लेने में परेशानी हो रही है तो सीता अशोक बीज का चूर्ण देता है लाभ.
- प्रदर रोग, टूटी हुई हड़्डी में अशोक का छाल को दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने तथा इसका लेप करने से टूटी हुई हड्डी जल्द जुड़ जाती.
- बवासीर गंभीर रूप ले ले तब अशोक की छाल का काढ़ा बनाकर पिलाने से फायदा होता है.
प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य बृजभूषण शर्मा कहते हैं कि रावण को आयुर्वेद का ज्ञाता कहा जाता है. उनकी अशोक वाटिका में वन औषधियों की भरमार थी. उस अशोक वाटिका में एक से बढ़कर एक औषधीय पेड़ पौधे थे.
रावण ने अशोक वाटिका में उन्होंने तमाम वन औषधियों को लगा रखा था. उसी वाटिका में यह सीता अशोक का पेड़ भी था. आयुर्वेद में इस पेड़ के बारे में विस्तार से वर्णन है.
रामायण काल में तीर-कमान, भाले समेत अन्य नाना प्रकार के अस्त्र शस्त्रों का उपयोग हुआ करता था. ऐसे में जब चोट लग जाती थी तो इस पेड़ के पत्तों के अर्क और छाल से तैयार होने वाले नुस्खे से ही उपचार किया जाता था.
ऐसा भी माना जाता है कि सीता अशोक रावण की लंका का दुर्लभ पेड़ था. लंका में माता सीता इस पेड़ की ही छांव के तले बैठा करती थीं. इस पेड़ पर जब फूल आते हैं तो उनकी महक भी बेहद ही लाजवाब होती है. पेड़ पर वसंत ऋतु में पुष्प आते हैं और तमाम औषधियां इससे आयुर्वेद कम्पनियां बनाती हैं.
प्रोफेसर विजय मलिक कहते हैं कि इस पेड़ की मेडिसिनल वैल्यू तो है ही. अगर इसे अपने घर के आसपास लगाएंगे तो यह संरक्षित भी होगा और तमाम समस्याओं का समाधान भी करेगा.
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