पटनाः लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को होगा. प्रचार समाप्त होने में कुछ ही दिन शेष रह गये हैं. 24 अप्रैल तक चुनाव प्रचार होना है. दूसरे चरण में सीमांचल की तीन लोकसभा सीट पर चुनाव होने हैं. ये हैं पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 अप्रैल को पूर्णिया के रंगभूमि मैदान में चुनावी रैली को संबोधित कर चुके हैं. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे किशनगंज और कटिहार में चुनावी रैली कर चुके हैं. पूर्णिया में तेजस्वी यादव प्रचार किया. 20 अप्रैल को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भागलपुर से सीमांचल के उम्मीदवारों के लिए भी प्रचार किया. असदुद्दीन ओवैसी भी सक्रिय हैं. इसके बाद सीमांचल की लड़ाई बेहद दिलचस्प हो गयी है.
"सीमांचल में लड़ाई बेहद दिलचस्प है. किशनगंज और अररिया पर सब की निगाहें टिकी है. तेजस्वी यादव की अग्नि परीक्षा होगी तो असदुद्दीन ओवैसी का भी लिटमस टेस्ट होगा. नीतीश कुमार के लिए भी परीक्षा की घड़ी होगी. पूर्णिया सीट पर पप्पू यादव के साथ दूसरे दलों का मुकाबला है तो कटिहार में आमने-सामने की लड़ाई है. किशनगंज सीट पर त्रिकोणात्मक लड़ाई दिख रही है. ररिया लोकसभा सीट पर भाजपा और राजद आमने-सामने होगा."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक
पप्पू यादव ने उड़ायी नींदः पूर्णिया में पप्पू यादव की मजबूत उपस्थिति ने राजनीतिक दलों के नींद उड़ा दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्णिया में चुनावी सभा कर चुके हैं. अब नीतीश कुमार वहां जदयू प्रत्याशी के लिए वोट मांगेंगे. पूर्णिया लोकसभा सीट तेजस्वी यादव के लिए प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ है. जदयू की ओर से संतोष कुशवाहा मैदान में है. राष्ट्रीय जनता दल ने जदयू से पाला बदलकर आयी रुपौली विधायक बीमा भारती को मैदान में उतारा है. पप्पू यादव भी मुकाबले में हैं.
चार विधानसभा सीट पर एनडीए का कब्जाः जदयू की ओर से सीटिंग सांसद संतोष कुशवाहा मैदान में है. संतोष कुशवाहा पिछले लोकसभा चुनाव में 263000 वोटों से चुनाव जीता था. पूर्णिया में 6 विधानसभा सीट है. पूर्णिया और कोढ़ा विधानसभा पर भाजपा का कब्जा है. रुपौली और धमदाहा विधानसभा जदयू के खाते में है. कस्बा और बनमनखी सीट पर कांग्रेस के विधायक हैं. इस तरह से 6 में से चार विधानसभा सीट पर एनडीए का कब्जा है तो दो महागठबंधन के पास है.
ओवैसी के उम्मीदवार भी मुकाबला मेंः किशनगंज लोकसभा सीट पर लड़ाई दिलचस्प है. असदुद्दीन ओवैसी ने भी किशनगंज में प्रत्याशी खड़े किए हैं. एएमआईएम के टिकट पर अख्तरुल इमान चुनाव लड़ रहे हैं तो जदयू ने मास्टर मुजाहिद आलम को उम्मीदवार बनाया है. महागठबंधन की ओर से मोहम्मद जावेद फिर से कांग्रेस की टिकट पर भाग्य आजमा रहे हैं. असदुद्दीन ओवैसी ने सबसे पहले किशनगंज सीट पर अपने उम्मीदवार का ऐलान किया था. AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान किशनगंज से चुनाव लड़ रहे हैं. किशनगंज में महागठबंधन के पांच विधायक हैं. बहादुरगंज, ठाकुरगंज, कोचाधामन और बायसी में राजद के विधायक हैं. सिर्फ अमौर AIMIM के पास है.
हिंदू वोटर निर्णायक होते हैंः एनडीए गठबंधन के पास एक भी विधानसभा सीट नहीं है. पिछले लोकसभा चुनाव में मोहम्मद जावेद 34466 वोटों से चुनाव जीते थे. कांग्रेस पार्टी ने 2009, 2014 और 2019 में जीतकर हैट्रिक लगाया है. किशनगंज सीट जम्मू कश्मीर के बाद दूसरी सर्वाधिक मुस्लिम आबादी वाली सीट मानी जाती है. किशनगंज लोकसभा क्षेत्र में 65% वोटर मुस्लिम हैं, जबकि 32 प्रतिशत आबादी हिंदू वोटर की है. क्योंकि किशनगंज सीट पर तीनों उम्मीदवार मुस्लिम हैं और त्रिकोणात्मक मुकाबले के आसार हैं. ऐसे में हिंदू वोटर निर्णायक साबित होते हैं.
कटिहार में कड़ा मुकाबलाः कटिहार लोकसभा सीट पर एनडीए और महागठबंधन के बीच आमने-सामने की लड़ाई है. कांग्रेस के टिकट पर तारिक अनवर चुनाव लड़ रहे हैं तो जदयू की ओर से दुलाल चंद्र गोस्वामी मैदान में है. कटिहार लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीट है, जिसमें कि कटिहार और प्राणपुर पर भाजपा का कब्जा है. कदवा और मनिहारी कांग्रेस के खाते में है. बरारी सीट जदयू के पास है, तो बलरामपुर सीट पर माले का कब्जा है. इस तरह से 6 में से तीन विधानसभा पर एनडीए और तीन पर महागठबंधन का कब्जा है. इस लिहाज से भी कटिहार लोकसभा सीट पर कड़ा मुकाबला है.
कटिहार में मुस्लिम मतदाता की संख्या अधिकः महागठबंधन की ओर से कांग्रेस प्रत्याशी तारिक अनवर चुनाव मैदान में हैं. तारिक अनवर भी कटिहार लोकसभा सीट पर सांसद रह चुके हैं. अगर जातीय समीकरण की बात करें तो कटिहार लोकसभा सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है. कटिहार लोकसभा क्षेत्र में लगभग 41% मुस्लिम वोटर, 18% पिछड़ा, अति पिछड़ा वोटर 16%, वैश्य 11%, यादव 6%, अनुसूचित जाति जनजाति और सामान्य वर्ग के 8% वोटर हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 21 अप्रैल को कटिहार में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे.
शाहनवाज का मुकाबला प्रदीप सेः अररिया लोकसभा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल की ओर से शाहनवाज आलम को मैदान में उतारा गया है. शाहनवाज आलम मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के पुत्र हैं. बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. शाहनवाज आलम का मुकाबला भाजपा नेता और सीटिंग सांसद प्रदीप कुमार के साथ है. 1967 से पहले अररिया, पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हुआ करता था. परिसीमन के बाद 1967 में अररिया पृथक लोकसभा क्षेत्र बना. 1967 से 2009 तक अररिया लोकसभा एससी आरक्षित सीट थी. सामान्य सीट होने के बाद हुए 2009 के चुनाव में यहां से भाजपा के प्रदीप सिंह सांसद बने. 2009 के चुनाव में प्रदीप सिंह ने करीबी मुक़ाबले में लोजपा के जाकिर हुसैन ख़ान को हराया था.
तस्लीमुद्दीन के बेटे को हरायाः 2014 के चुनाव में पहली बार तस्लीमुद्दीन ने अररिया से लोकसभा चुनाव लड़ा और प्रदीप सिंह को हराने में कामयाब रहे. सांसद रहते 17 सितंबर, 2017 को तस्लीमुद्दीन का निधन हो गया. 2018 में हुए उपचुनाव में यहां तस्लीमउद्दीन के पुत्र सरफराज आलम राजद के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते. 2019 के आम लोकसभा चुनाव में प्रदीप सिंह ने सीमांचल के नेता मो.तस्लीमुद्दीन के बेटे को 1,37,241 वोटों के बड़े अंतर से शिकस्त दी थी और फिर से अररिया के सांसद बने.
अररिया में भाजपा का कब्जाः अररिया लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय के लोगों की आबादी लगभग 45 प्रतिशत है. बाकी हिन्दू समुदाय के लोग हैं. चुनाव में मुस्लिम समुदाय अपना बेहतर प्रदर्शन करता है. इसके बाद, पिछड़ा, अत्यंत पिछड़ा, दलित महादलित समुदायों के संख्या अधिक है. लोकसभा चुनाव में जातीय समीकरण बहुत मायने रखता है, लेकिन इनके बावजूद इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है. 26 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अररिया पहुंच रहे हैं और भाजपा प्रत्याशी प्रदीप सिंह के लिए चुनाव प्रचार करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अल्पसंख्यक मतदाताओं को भी साधने की कोशिश करेंगे.
"राष्ट्रीय जनता दल को अल्पसंख्यक वोट बैंक बढ़ाने की चुनौती है, तो असदुद्दीन ओवैसी के समक्ष ताकत दिखाने की चुनौती होगी. सीमांचल में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पास चार में से तीन सीट है. एनडीए नेता चाहेंगे कि चारों सीटों पर जीत हासिल कर 40 के आंकड़े को छू लें. सीमांचल में तमाम बड़े नेता राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और असदुद्दीन ओवैसी की अग्नि परीक्षा भी होगी."- प्रवीण बागी, वरिष्ठ पत्रकार
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