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Jharkhand Election 2024: चुनाव लड़ने के लिए नहीं थे पैसे, अब तीन बार विधायक, जानिए एक शिक्षक से विधायक बनने की कहानी

खूंटी जिले के तोरपा से विधायक कोचे मुंडा की कहानी बेहद ही खास है. ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की.

Jharkhand Assembly Election
ईटीवी भारत ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 3 hours ago

खूंटी: कभी कंधे पर बैग लेकर बच्चों को पढ़ाने शिशु मंदिर स्कूल जाने वाला शिक्षक आज तोरपा के विधायक हैं. तोरपा सीट से तीन बार विधायक चुने जा चुके विधायक आज भी बैग लेकर चलते हैं. क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य पर बेहतर काम करने और जीतने के बाद अवैध बालू खनन पर लगाम लगाने का दावा करने वाले तोरपा विधायक कोचे मुंडा ने ईटीवी भारत से बातचीत की.

उन्होंने अपने राजनीति में आने और विधायक बनने का श्रेय लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष सह पद्मभूषण से सम्मानित कड़िया मुंडा को दिया है. तोरपा विधायक कोचे मुंडा ने कई मुद्दों को लेकर बातचीत की. उन्होंने कहा कि आज भी तोरपा के लोगों में शिक्षा का अभाव है, उन्हें शिक्षित करने की जरूरत है. सभी पीएचडी धारकों को समय के अनुसार प्रशिक्षित करना बहुत जरूरी है.

तोरपा विधायक कोचे मुंडा से संवाददाता सोनू अंसारी की खास बातचीत (ईटीवी भारत)

जनजातियों के लिए आरक्षित तोरपा विधानसभा क्षेत्र कभी झारखंड पार्टी (झाप) का गढ़ माना जाता था. आजादी के बाद झारखंड पार्टी ने सबसे ज्यादा विधायक तोरपा से दिए हैं. तोरपा से अब तक झारखंड पार्टी सात बार, भाजपा तीन बार और कांग्रेस व झामुमो दो-दो बार जीत चुकी है, लेकिन क्षेत्र का बुनियादी विकास नहीं हो सका. सड़क, पुल-पुलिया तो बन गए, लेकिन शिक्षा व स्वास्थ्य के मामले में यह क्षेत्र आज भी पिछड़ा हुआ है. यहां की अधिकांश आबादी उच्च शिक्षा व रोजगार के लिए रांची या अन्य राज्यों में जाती है.

'लोगों के लिए बालू करेंगे मुफ्त'

तोरपा के वर्तमान विधायक कोचे मुंडा ने ईटीवी से बातचीत में दावा किया है कि यहां रोजगार के लिए लोगों को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है और उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसके बाद उन्हें रोजगार भी मिलेगा. उन्होंने क्षेत्र में दशकों से चल रहे अवैध बालू खनन के मुद्दे पर सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि वर्तमान सरकार बालू की चोरी करवा रही है, उनका दावा है कि इस बार वे जीतेंगे तो बालू को अवैध नहीं बल्कि लोगों के लिए मुफ्त कर देंगे.

चुनाव लड़ने के लिए नहीं थे पैसे

कोचे मुंडा ने अपने कार्यकाल की कहानी बयां की और कहा कि मैं बच्चों को पढ़ाने के लिए बैग लेकर स्कूल जाता था, लेकिन अचानक कड़िया मुंडा ने उन्हें भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा दिया. उस समय उनके पास कुछ भी नहीं था, चुनाव लड़ने के लिए उनके पास पैसे भी नहीं थे, लेकिन 2000 के दशक में उन्होंने पहली बार चुनाव जीता और एक साल बाद झारखंड अलग राज्य बन गया. उस समय नक्सलवाद चरम पर था, फिर भी उन्होंने 2005 का चुनाव जीता और दूसरी बार विधायक बने.

गौरतलब हो कि 2009 में जेएमएम के पौलुस सुरीन ने कोचे मुंडा को हरा दिया. उस समय सुरीन जेल में रहते हुए चुनाव लड़े और जीते. 2014 के चुनाव में पौलुस सुरीन जेल से बाहर आए और फिर से भाजपा को हराकर चुनाव जीते, लेकिन जीत का अंतर सिर्फ 43 वोट था. हालांकि, 2019 के चुनाव में भाजपा के कोचे मुंडा ने जीत हासिल कर वापसी की.

यह भी पढ़ें:

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उन्होंने अपने राजनीति में आने और विधायक बनने का श्रेय लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष सह पद्मभूषण से सम्मानित कड़िया मुंडा को दिया है. तोरपा विधायक कोचे मुंडा ने कई मुद्दों को लेकर बातचीत की. उन्होंने कहा कि आज भी तोरपा के लोगों में शिक्षा का अभाव है, उन्हें शिक्षित करने की जरूरत है. सभी पीएचडी धारकों को समय के अनुसार प्रशिक्षित करना बहुत जरूरी है.

तोरपा विधायक कोचे मुंडा से संवाददाता सोनू अंसारी की खास बातचीत (ईटीवी भारत)

जनजातियों के लिए आरक्षित तोरपा विधानसभा क्षेत्र कभी झारखंड पार्टी (झाप) का गढ़ माना जाता था. आजादी के बाद झारखंड पार्टी ने सबसे ज्यादा विधायक तोरपा से दिए हैं. तोरपा से अब तक झारखंड पार्टी सात बार, भाजपा तीन बार और कांग्रेस व झामुमो दो-दो बार जीत चुकी है, लेकिन क्षेत्र का बुनियादी विकास नहीं हो सका. सड़क, पुल-पुलिया तो बन गए, लेकिन शिक्षा व स्वास्थ्य के मामले में यह क्षेत्र आज भी पिछड़ा हुआ है. यहां की अधिकांश आबादी उच्च शिक्षा व रोजगार के लिए रांची या अन्य राज्यों में जाती है.

'लोगों के लिए बालू करेंगे मुफ्त'

तोरपा के वर्तमान विधायक कोचे मुंडा ने ईटीवी से बातचीत में दावा किया है कि यहां रोजगार के लिए लोगों को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है और उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसके बाद उन्हें रोजगार भी मिलेगा. उन्होंने क्षेत्र में दशकों से चल रहे अवैध बालू खनन के मुद्दे पर सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि वर्तमान सरकार बालू की चोरी करवा रही है, उनका दावा है कि इस बार वे जीतेंगे तो बालू को अवैध नहीं बल्कि लोगों के लिए मुफ्त कर देंगे.

चुनाव लड़ने के लिए नहीं थे पैसे

कोचे मुंडा ने अपने कार्यकाल की कहानी बयां की और कहा कि मैं बच्चों को पढ़ाने के लिए बैग लेकर स्कूल जाता था, लेकिन अचानक कड़िया मुंडा ने उन्हें भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा दिया. उस समय उनके पास कुछ भी नहीं था, चुनाव लड़ने के लिए उनके पास पैसे भी नहीं थे, लेकिन 2000 के दशक में उन्होंने पहली बार चुनाव जीता और एक साल बाद झारखंड अलग राज्य बन गया. उस समय नक्सलवाद चरम पर था, फिर भी उन्होंने 2005 का चुनाव जीता और दूसरी बार विधायक बने.

गौरतलब हो कि 2009 में जेएमएम के पौलुस सुरीन ने कोचे मुंडा को हरा दिया. उस समय सुरीन जेल में रहते हुए चुनाव लड़े और जीते. 2014 के चुनाव में पौलुस सुरीन जेल से बाहर आए और फिर से भाजपा को हराकर चुनाव जीते, लेकिन जीत का अंतर सिर्फ 43 वोट था. हालांकि, 2019 के चुनाव में भाजपा के कोचे मुंडा ने जीत हासिल कर वापसी की.

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