रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 की रणभेरी बज चुकी है. झारखंड में दो चरणों में चुनाव होने हैं. पहले चरण में 13 नवंबर को मतदान है, जबकि दूसरे फेज में 20 नवंबर को मतदान होना है. नतीजे 23 नवंबर को घोषित कर दिए जाएंगे. लेकिन इस बार का चुनाव 2019 के विधानसभा चुनाव से काफी अलग है. इस चुनाव में क्या होगा खास जानिए इस रिपोर्ट में.
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में 43 सीटों पर वोटिंग होंनी है. जबकि दूसरे चरण में 38 सीटों पर मतदान होगा. पहले चरण के लिए अधिसूचना की तिथि 18 अक्टूबर है और नामांकन भरने की अंतिम तिथि 25 अक्टूबर है. जबति दूसरे चरण के लिए अधिसूचना की तिथि 22 अक्टूबर है और नामांकन भरने की अंतिम तिथि 29 अक्टूबर है. पहले चरण के लिए नाम वापस लेने की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर है और दूसरे चरण के लिए नाम वापस लेने की अंतिम तिथि 1 नवंबर है.
झारखंड विधानसभा में 81 सीट हैं ऐसे में किसी भी पार्टी या गठबंधन के लिए बहुमत का आंकड़ा 42 सीटों का है. 2019 विधानसभा की बात करें तो इस चुनाव में झामुमो मे शानदार प्रदर्शन किया था और 30 सीट हासिल कर सबसे बड़ी पार्टी बनी. झामुमो के साथ गठबंधन में कांग्रेस की 16 और राजद की 1 सीट हासिल किए थे. ऐसे में महागठबंधन ने आराम से सरकार बना ली थी.
2019 में बीजेपी ने अकेले लड़ा था चुनाव
दूसरी तरफ बीजेपी 2019 के विधानसभा चुनाव में अकेले ही गई थी. लेकिन उम्मीद का मुताबिक बीजेपी सीट हासिल नहीं कर पाई और 25 सीट पर जीत दर्ज करते हुए दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी. आज की तारीख में बीजेपी की सहयोगी आजसू पार्टी 2019 में अलग होकर चुनाव लड़ी थी और दो सीट जीतने में कामयाब रही. इसके अलावा जेवीएम को तीन सीट मिली थी. इसके अलावा एनसीपी और सीपीआईएमएल को भी एक-एक सीट मिले थे.2019 के चुनाव में दो निर्दलीय प्रत्याशी भी जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे.
2019 और 2024 में अंतर
2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव और 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा अंतर ये है कि पिछले चुनाव में बीजेपी सत्ता में थी आज झामुमो सत्ता में है. ऐसे में झामुमो को एंटी इनकंबेंसी का भी सामना करना पड़ेगा जो पिछली बार बीजेपी के साथ हुआ था. शहरी इलाकों में झामुमो के खिलाफ थोड़ी एंटी इनकंबेंसी दिखाई दे रही है. हालांकि ग्रामीण इलाकों के मतदाता हेमंत से नाराज नहीं हैं. इसके अलावा इस बार बीजेपी ने पिछली बार वाली गलती नहीं दोहराई है. पिछली बार आजसू पार्टी के साथ गठबंधन नहीं हुआ था, जिसकी वजह से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा था.
2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव इसलिए भी अलग हैं क्योंकि इस बार राज्य में झाविमो नाम की पार्टी का खात्मा हो गया है. झाविमो सुप्रिमो बाबूलाल मरांडी आज बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं. 2019 में बीजेपी का चेहरा रहे रघुवर दास आज ओडिशा के राज्यपाल हैं और एक्टिव पॉलिटिक्स से दूर हैं. वहीं दूसरी तरफ सोरेन परिवार के खास और कोल्हान टाइगर माने जाने वाले चंपाई सोरेन अब बीजेपी में हैं. यहीं नहीं दुर्गा सोरेन की पत्नी और हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन भी अब बीजेपी में हैं.
किसकी साख दांव पर
2024 का झारखंड विधानसभा चुनाव सीधे तौर पर इंडिया बनाम एनडीए है. लेकिन इसमें हेमंत सोरेन की साख भी दांव पर लगी है. दूसरी तरफ पूर्व सीएम चंपाई सोरेन को भी ये साबित करना होगा कि कोल्हान में उनकी धमक है. सीता सोरेन लोकसभा चुनाव में कुछ खास नहीं कर पाईं, ऐसे में उनके सामने भी अपने आप को साबित करने का आखिरी मौका है. इन सबके के अलावा बाबूलाल मरांडी की भी साख दांव पर है. बाबूलाल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं. उनके सामने भी अपनी सियासी रणनीति को साबित करने की चुनौती है.
ये भी पढ़ें:
झारखंड विधानसभा चुनाव में पार्टियों का रिपोर्ट कार्ड, झामुमो सबसे बेहतर प्रदर्शन
झारखंड विधानसभा का चुनावी रणः 2019 से अलग होगा इस बार का नजारा, नहीं दोहराएंगे पिछली गलती