मंडी: सराज घाटी के अराध्य बड़ा देव मतलोड़ा ऋषि का वार्षिक होम जिसे जाग के नाम से भी जाना जाता है. इसका आयोजन 20 अक्टूबर की रात और 21 अक्टूबर को होगा. कार्तिक सक्रांति को ज्योतिष गणना के अनुसार देवता के होम के आयोजन का फैसला होता है.
सोमवार 21 अक्टूबर को सुबह करीब सवा 5 बजे देव मतलोड़ा का देवरथ हर साल की भांति इस बार भी मूल कोठी च्यौठ से अपने सात हार एवं अपने कारकरिंदों के साथ देव कांडा के लिए रवाना होगा. भव्य जलेब के साथ देव मतलोड़ा का रथ दो घंटे में मूल स्थान देव कांडा खरसू पहुंचेगा. यहां देवता लोगों की समस्यओं का निवारण करेंगे. साथ ही मूल स्थान देव कांडा में ही देवता के रथ का फूल मालाओं और गहनों के साथ श्रृंगार किया जाएगा.
सालों पुरानी परंपरा है देव होम
बता दें कि देवता मतलोड़ा का होम वर्षों पुरानी परंपरा है. साथ ही हर तीसरे साल के बाद शुद्धि के लिए गोदान किया जाता है. देव मतलोड़ा के पुजारी पंडित टिके राम शर्मा ने बताया कि, 'विश्व शांति और आम जनमानस देवता के भक्तजनों पर कोई विपदा न आए इसके लिए हर तीसरे साल देव मतलोड़ा के मूल स्थान देव कांडा खरशू में गौदान किया जाता है.'
एक दिन में होते हैं सैकड़ों मुंडन
देवता के होम में सैकड़ों मुंडन किए जाते हैं. ये इसकी खास विशेषता है. इस बार मुंडन देवता के मूल स्थान पर 21 अक्टूबर सोमवार को किए जाएंगे. देव मतलोड़ा के मुख्य कारदार बीरबल ठाकुर ने बताया कि होम की पहले से ही तैयारियां पूरी ली गई हैं. जिला मडी और कुल्लू जिला के लोगों की विष्णु स्वरूप देव मतलोड़ा के प्रति अटूट आस्था और विश्वास है. देव मतलोड़ा सराज और मण्डी जिला के एक मात्र देवता हैं, जिन्हें 7 हारो मे बांटा गया है, इसमें 40 ग्राम पंचायतों के करीब 8 हजार से ज्यादा परिवार उनके हारियन में शामिल हैं.
भगवान विष्णु का स्वरूप हैं देव मतलोड़ा
देव मतलोड़ा के मुख्य कारदार बीरबल ठाकुर ने बताया कि, 'बड़ा देव मतलोड़ा विष्णु भगवान का रूप हैं, जिला के सबसे ज्यादा भूमि के मालिक देव मतलोड़ा की पहले 14 हारें थी, जिसमे कि कुच्छ हार कुल्लू जिला से थीं. कुछ साल पहले देवता की 7 हारियों के कारदारों ने शिकावरी में अलग से दूसरे रथ का निमार्ण करवाया था. उन्होंने भी अपने देवता का नाम शिकारी मतलोड़ा रखा है.'
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