छिन्दवाड़ा. इस साल होलिका दहन पर भद्रा और धुरेड़ी पर चंद्र ग्रहण का साया है. ऐसे में 24 मार्च को होलिका दहन के लिए केवल 1 घंटे 14 मिनट ही शुभ समय होगा. दरअसल, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भद्राकाल को शुभ नहीं माना जाता. इस दौरान पूजा-पाठ और किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं किए जाते, खासतौर पर भद्रा में होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है. 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से भद्राकाल की शुरुआत होगी और इसकी समाप्ति रात 11 बजकर 13 मिनट पर होगी.
ये है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
रविवार रात 11 बजकर 13 मिनट पर भद्राकाल की समाप्ति के बाद होलिका दहन का शुभ समय है. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त (Holika dahan shubh muhurat) रात 11 बजकर 14 मिनट से लेकर देर रात्रि 12 बजकर 20 मिनट तक होगा. पंडित आत्माराम मिश्रा शास्त्री ने बताया कि हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन होली का त्यौहार मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है. होलिका दहन से 8 दिन पहले ही होलाष्टक अष्टमी तिथि भी प्रारंभ हो जाती है इसलिए इस दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते. माना जाता है कि राजा हिरण्यकश्यप ने 8 दिन लगातार अपने पुत्र भक्त प्रह्लाद को यातनाएं दी थीं.
होली पर्व का क्या है वैज्ञानिक महत्व
होलिका दहन के पीछे धार्मिक मान्यताओं के साथ वैज्ञानिक महत्व भी जुड़ा हुआ है. शास्त्रों में बताया गया है कि पवित्र अग्नि जलाने से वातावरण की शुद्धि होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. साथ ही ऋतु परिवर्तन से जन्मी बीमारियां और कई कीटाणु भी नष्ट हो जाते हैं. होलिका दहन की अग्नि से नई ऊर्जा का प्रभाव वातावरण में फैल जाता है, जिसे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है.
धुरेड़ी के दिन चंद्र ग्रहण, पर भारत में मान्य नहीं
होलिका दहन पर जहां भद्रकाल का साया है, तो वहीं धुरेड़ी वाले दिन चंद्र ग्रहण होने जा रहा है. करीब 100 साल बाद होली पर चंद्रग्रहण लगने जा रहा है. हालांकि, यह चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा इसलिए इसका सूतक भी मान्य नहीं होगा.
होलिका पूजन के लिए सामग्री
गोबर से बनी होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं, माला, रोली, फूल, कच्चा सूत, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, पांच या सात प्रकार के अनाज जैसे नए गेहूं और अन्य फसलों की बालियां, एक कलश जल, बड़ी-फुलौरी, मीठे पकवान, मिठाइयां और फल. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि होलिका की पूजा करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा ही होना चाहिए.
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- पूजा सामग्री के साथ होलिका के पास गोबर से बनी ढाल भी रखी जाती है.
- होलिका दहन के शुभ मुहूर्त के समय चार मालाएं अलग से रख ली जाती हैं. इसमें एक माला पितरों के नाम की, दूसरी श्री हनुमान जी के लिए, तीसरी शीतला माता और चौथी घर परिवार के नाम की रखी जाती है.
- इसके पश्चात पूरी श्रद्धा से होली के चारों और परिक्रमा करते हुए सूत के धागे को लपेटा जाता है. होलिका की परिक्रमा 3 या 7 बार की जाती है.
- अंत में शुद्ध जल सहित अन्य पूजा सामग्रियों को एक-एक कर होलिका को अर्पित किया जाता है.