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चलिए बिलासपुर की हॉकी गली, यहां बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक हैं हॉकी के शानदार प्लेयर - बिलासपुर हॉकी गली

Hockey Gali in Bilaspur: बिलासपुर में एक ऐसा इलाका है, जहां के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक हॉकी के खिलाड़ी है. यहां सभी एक से अधिक बार हॉकी का नेशनल खेल चुके हैं. आइए जानते हैं कैसे इस गली का नाम हॉकी गली पड़ा...

Hockey Gali in Bilaspur
बिलासपुर का हॉकी गली
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 26, 2024, 9:09 PM IST

Updated : Feb 26, 2024, 10:46 PM IST

बुजुर्ग तक हैं हॉकी के शानदार प्लेयर

बिलासपुर: मौजूदा समय में लोग क्रिकेट में अधिक रूचि रखते हैं. खासकर युवाओं का क्रेज क्रिकेट में अधिक देखने को मिलता है. हालांकि हॉकी ने आज भी अपनी जगह बरकरार रखी है. आज भी हॉकी खेलने वाले हॉकी से प्रेम करते हैं. आज हम आपको हॉकी गली के बारे में बताने जा रहे हैं. इस गली में बच्चे से लेकर बूढ़े तक हॉकी के दिवाने हैं.

20 से 22 प्लेयर खेल चुके हैं नेशनल: दरअसल, बिलासपुर के मसानगंज इलाके में महिला थाना के पीछे एक गली ऐसी है. इस गली को लोग हॉकी गली कहते हैं. यहां बुजुर्ग से लेकर बच्चे हॉकी के नेशनल प्लेयर हैं. यहां लगभग 18 से 20 ऐसे प्लेयर हैं, जो कई बार नेशनल हॉकी गेम्स में हिस्सा ले चुके हैं. इनमें कई ऐसे हॉकी प्लेयर हैं, जिनके दादा से लेकर पोता और पोते के बच्चे भी हॉकी खेलते हैं. यही कारण है कि इतनी बड़ी संख्या में यहां हॉकी प्लेयर होने की वजह से लोग इसे हॉकी गली के नाम से पुकारने लगे हैं. यह हॉकी गली लगभग 100 मीटर का है. यहां 20 से 22 प्लेयर नेशनल हॉकी में खेल चुके हैं. कई प्लेयर अब सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट में नौकरी कर रहे हैं. इनकी नौकरी भी इन्हें हॉकी खेल के बदौलत ही मिली है. इस गली में रहने वाले हर कोई हॉकी को ही सबसे बड़ा खेल मानते हैं.

पिता से लेकर पोता तक हैं हॉकी प्लेयर: हॉकी में 6 नेशनल खेल चुके शेख मोइनुद्दीन ने ईटीवी भारत को बताया कि, " मेरे पिता हॉकी प्लेयर थे. वह रेलवे में टीटीआई के पद पर कार्यरत रहे हैं. उनके बाद उनके चारों भाई हॉकी प्लेयर रहे हैं. इसके अलावा भाईयों के बच्चे और उनके भी बच्चे हॉकी खेलते हैं. हमारे घर में 5 सदस्य हॉकी प्लेयर हैं. सभी कई बार नेशनल गेम्स में भाग लिए हैं.जब पिता घर से हॉकी लेकर प्रेक्टिस करने निकलते थे तो उनको देख कर हॉकी खेलने का मन होने लगा. हमारी चार पुश्त में जन्मे सभी लड़के हॉली प्लेयर हैं. यही कारण है कि इस गली को हॉकी प्लेयर की गली या फिर हॉकी गली लोग कहने लगे हैं. हमारी गली में 20 ऐसे हॉकी प्लेयर हैं, जो नेशनल प्लेयर रहे हैं. अभी कुछ युवा नेशनल खेल रहे हैं."

6 साल से खेल रहा हूं हॉकी: शिक्षा विभाग से रिटायर्ड पीटीआई टीचर सैयद इंसान अली का कहना है कि, "मैं 6 साल की उम्र से हॉकी खेल रहा हूं. स्पोर्ट्स कोटे में मुझे नौकरी भी मिली थी. पीटीआई के पद से अब रिटायर हो चुका हूं, लेकिन हॉकी के प्रति प्रेम अभी कम नहीं हुआ है. हॉकी की बदौलत ही मैंने अपना जीवन गुजारा है. मेरी नजर में हॉकी दुनिया का सबसे अच्छा खेल है. इसमें बॉडी फिटनेस तो बनता है. साथ ही मानसिक तनाव दूर होता है. मैं चाहता हूं कि बिलासपुर में खत्म हो रहे हॉकी को दोबारा जिंदा किया जा सकता है. शहर के अंदर हॉकी ग्राउंड हो. यदि शहर के अंदर हॉकी ग्राउंड होगा तो नई नर्सरी तैयार होगी और बिलासपुर एक बार फिर से अपनी खोई हुई पहचान वापस हासिल कर लेगा."

हॉकी में 6 बार नेशनल खेल चुका हूं. अब उम्र अधिक हो गई है, लेकिन तमन्ना है कि मैं हॉकी खेलूं. रोजाना प्रेक्टिस तो करता हूं. हालांकि किसी प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लेता. -इमरान खान, नेशनल प्लेयर

बता दें कि बिलासपुर को कभी हॉकी खिलाड़ियों का शहर कहा जाता था. हालांकि सुविधाएं की कमी के कारण ये खेल धीरे-धीरे खत्म होने की कगार पर पहुंच रहा है. यहां के रहवासियों और हॉकी प्लेयर्स का कहना है कि जिले में अगर हॉकी के लिए व्यवस्थित ग्राउंड होगा तो खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ेगा. साथ ही फिर से जिले में हॉकी प्लेयर पहले की तरह नजर आएंगे.

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बुजुर्ग तक हैं हॉकी के शानदार प्लेयर

बिलासपुर: मौजूदा समय में लोग क्रिकेट में अधिक रूचि रखते हैं. खासकर युवाओं का क्रेज क्रिकेट में अधिक देखने को मिलता है. हालांकि हॉकी ने आज भी अपनी जगह बरकरार रखी है. आज भी हॉकी खेलने वाले हॉकी से प्रेम करते हैं. आज हम आपको हॉकी गली के बारे में बताने जा रहे हैं. इस गली में बच्चे से लेकर बूढ़े तक हॉकी के दिवाने हैं.

20 से 22 प्लेयर खेल चुके हैं नेशनल: दरअसल, बिलासपुर के मसानगंज इलाके में महिला थाना के पीछे एक गली ऐसी है. इस गली को लोग हॉकी गली कहते हैं. यहां बुजुर्ग से लेकर बच्चे हॉकी के नेशनल प्लेयर हैं. यहां लगभग 18 से 20 ऐसे प्लेयर हैं, जो कई बार नेशनल हॉकी गेम्स में हिस्सा ले चुके हैं. इनमें कई ऐसे हॉकी प्लेयर हैं, जिनके दादा से लेकर पोता और पोते के बच्चे भी हॉकी खेलते हैं. यही कारण है कि इतनी बड़ी संख्या में यहां हॉकी प्लेयर होने की वजह से लोग इसे हॉकी गली के नाम से पुकारने लगे हैं. यह हॉकी गली लगभग 100 मीटर का है. यहां 20 से 22 प्लेयर नेशनल हॉकी में खेल चुके हैं. कई प्लेयर अब सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट में नौकरी कर रहे हैं. इनकी नौकरी भी इन्हें हॉकी खेल के बदौलत ही मिली है. इस गली में रहने वाले हर कोई हॉकी को ही सबसे बड़ा खेल मानते हैं.

पिता से लेकर पोता तक हैं हॉकी प्लेयर: हॉकी में 6 नेशनल खेल चुके शेख मोइनुद्दीन ने ईटीवी भारत को बताया कि, " मेरे पिता हॉकी प्लेयर थे. वह रेलवे में टीटीआई के पद पर कार्यरत रहे हैं. उनके बाद उनके चारों भाई हॉकी प्लेयर रहे हैं. इसके अलावा भाईयों के बच्चे और उनके भी बच्चे हॉकी खेलते हैं. हमारे घर में 5 सदस्य हॉकी प्लेयर हैं. सभी कई बार नेशनल गेम्स में भाग लिए हैं.जब पिता घर से हॉकी लेकर प्रेक्टिस करने निकलते थे तो उनको देख कर हॉकी खेलने का मन होने लगा. हमारी चार पुश्त में जन्मे सभी लड़के हॉली प्लेयर हैं. यही कारण है कि इस गली को हॉकी प्लेयर की गली या फिर हॉकी गली लोग कहने लगे हैं. हमारी गली में 20 ऐसे हॉकी प्लेयर हैं, जो नेशनल प्लेयर रहे हैं. अभी कुछ युवा नेशनल खेल रहे हैं."

6 साल से खेल रहा हूं हॉकी: शिक्षा विभाग से रिटायर्ड पीटीआई टीचर सैयद इंसान अली का कहना है कि, "मैं 6 साल की उम्र से हॉकी खेल रहा हूं. स्पोर्ट्स कोटे में मुझे नौकरी भी मिली थी. पीटीआई के पद से अब रिटायर हो चुका हूं, लेकिन हॉकी के प्रति प्रेम अभी कम नहीं हुआ है. हॉकी की बदौलत ही मैंने अपना जीवन गुजारा है. मेरी नजर में हॉकी दुनिया का सबसे अच्छा खेल है. इसमें बॉडी फिटनेस तो बनता है. साथ ही मानसिक तनाव दूर होता है. मैं चाहता हूं कि बिलासपुर में खत्म हो रहे हॉकी को दोबारा जिंदा किया जा सकता है. शहर के अंदर हॉकी ग्राउंड हो. यदि शहर के अंदर हॉकी ग्राउंड होगा तो नई नर्सरी तैयार होगी और बिलासपुर एक बार फिर से अपनी खोई हुई पहचान वापस हासिल कर लेगा."

हॉकी में 6 बार नेशनल खेल चुका हूं. अब उम्र अधिक हो गई है, लेकिन तमन्ना है कि मैं हॉकी खेलूं. रोजाना प्रेक्टिस तो करता हूं. हालांकि किसी प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लेता. -इमरान खान, नेशनल प्लेयर

बता दें कि बिलासपुर को कभी हॉकी खिलाड़ियों का शहर कहा जाता था. हालांकि सुविधाएं की कमी के कारण ये खेल धीरे-धीरे खत्म होने की कगार पर पहुंच रहा है. यहां के रहवासियों और हॉकी प्लेयर्स का कहना है कि जिले में अगर हॉकी के लिए व्यवस्थित ग्राउंड होगा तो खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ेगा. साथ ही फिर से जिले में हॉकी प्लेयर पहले की तरह नजर आएंगे.

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Last Updated : Feb 26, 2024, 10:46 PM IST
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