गोपालगंज: बिहार में एचआईवी एड्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग को हिला देने वाली खबर ये आई है कि गोपालगंज में 3000 से ज्यादा एड्स मरीज की संख्या हो गई गई. एड्स पीड़ितों की वृद्धि के कारण स्वास्थ्य विभाग भी चिंतित है. वहीं एक आंकड़ों के माने तो अब तक लिए गए संदिग्ध लोगों की जांच में तीन हजार से ज्यादा स्त्री पुरुष एसीआईवी से पॉजिटिव पाए गए है. फिलहाल इन पीड़ित मरीजों का इलाज एआरटी सेंटर द्वारा किया जा रहा है, जिन्हें आवश्यक दवाईयां भी उपलब्ध कराई जा रही है.
स्वास्थ्य विभाग की उड़ी नींद: दरअसल, गोपालगंज जिले में एड्स मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी ने स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा दी है. यहां कुल एचआइवी पॉजिटिव मरीजों की संख्या 3000 है. सदर अस्पताल के एआरटी सेंटर द्वारा कुल 16647 सामान्य पुरुष और महिला की जब जांच की गई तो उसमें से 283 लोग पॉजिटिव पाए गए. जबकि 11980 गर्भवती महिला की जांच की गई तो उसमें से 27 महिला पॉजिटिव पाई गई. वही थर्ड जेंडर की बाते करें तो 17 लोगो में से तीन लोग पॉजिटिव पाए गए. जबकि अब तक के आंकड़ों को देखे तो कुल 3100 पॉजिटिव मरीजों की संख्या हो गई है.
"पिछले साल के अपेक्षा इस साल एड्स पॉजिटिव की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. इसका कारण यह है कि लोग जागरुक नहीं हो पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि हालिया आंकड़े की अगर बात करें तो 16647 लोगों की जब जाए स्क्रीनिंग की गई तो उसमें 243 लोग पॉजिटिव पाए गए. इसके जागरूकता के लिए अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर एक प्रोग्राम लॉन्च किया गया है. यह प्रोग्राम चयनित गांव में किया जाएगा. उन्होंने बताया कि जागरूकता और शिक्षा ही इसका एकमात्र निदान है और यह दोनों चीज का कमी हमारे यहां है." -पूनम, एआरटी सेंटर काउंसलर सह प्रभारी
डरा रहा है एचआईवी का आंकड़ा: एआरटी सेंटर काउंसलर सह प्रभारी पूनम ने बताया कि लोग बाहर जाकर यौन संबंध बनाते हैं और सावधानी नहीं रख पाते हैं. जिसके कारण इस तरह की समस्याएं देखने को मिल रही है. पिछले वर्ष 2022 से 23 के आंकड़ों की बात करें तो 10279 का स्क्रीनिंग किया गया था. जिसमें 279 लोग पॉजिटिव पाए गए थे. इसमें 5711 पुरुष की स्क्रीनिंग में 200 पॉजिटिव जबकि 4557 गर्भवती महिलाओं की जांच में 78 पॉजिटिव के साथ एक थर्ड जेंडर भी पॉजिटिव पाया गया था.
जानिए क्या है एआरटी: दरअसल, एड्स की ऐसी दवाइयां अब उपलब्ध हैं, जिन्हें एआरटी यानी एंटी रिवर्स ट्रांसक्रिप्ट एंजाइम वायरल थैरेपी और एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी दवाइयों के नाम से जाना जाता है. सिपला की ट्रायोम्यून जैसी यह दवाइयां महंगी हैं, प्रति व्यक्ति सालाना खर्च तकरीबन 15 हजार रुपए होता है. यह रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जरूरी डब्ल्यूबीसी की संख्या में नियंत्रित कर एड्स पीड़ित को स्वस्थ बनाए रखती है. यह हर जगह आसानी से नहीं मिलती है.
एचआईवी से कैसे बचा जाए?: HIV का संक्रमण फैलने का सबसे ज्यादा खतरा असुरक्षित यौन संबंध से होता है. भारत में भी HIV का पहला मामला सेक्स वर्कर्स में ही सामने आया था. इसलिए यौन संबंध बनाते समय प्रिकॉशन जरूर इस्तेमाल करें. इसके अलावा इंजेक्शन से ड्रग्स लेने वालों से भी दूर रहना चाहिए. अगर HIV का पता चल जाए तो घबराने की बजाय तुरंत एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी शुरू करें, क्योंकि HIV शरीर को बहुत कमजोर बना देता है और धीरे-धीरे दूसरी बीमारियां भी घेरने लगती हैं. अभी तक इसका इलाज भले ही नहीं है, लेकिन दवाओं के जरिए इससे बचा जा सकता है.
क्या है एचआईवी?: एड्स एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जो मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु संक्रमण के बाद होती है. एचआईवी संक्रमण के बाद मानवीय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है. एड्स का पूर्ण रूप से उपचार अभी तक संभव नहीं हो सका है. एचआईवी संक्रमित व्यक्ति में एड्स की पहचान संभावित लक्षणों के दिखने के पश्चात ही हो पाती है. एचआईवी संक्रमण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को इस हद तक कम कर देता है कि इसके बाद शरीर अन्य संक्रमणों से लड़ पाने में अक्षम हो जाता है.
एड्स और एचआईवी में अंतर: एचआईवी एक अतिसूक्ष्म विषाणु है, जिसकी वजह से एड्स हो सकता है.यह वायरस 8 से 10 साल के बाद शरीर में एड्स में परिवर्तित हो जाती है। एड्स स्वयं में कोई रोग नहीं है बल्कि एक संलक्षण है। यह अन्य रोगों से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता को घटा देता हैं। प्रतिरोधक क्षमता को नुकसान पहुंचाता है.
ये भी पढ़ें
विश्व एड्स दिवस पर शेखपुरा सदर अस्पताल से निकाली गई जागरूकता रैली, सिविल सर्जन ने दिखाई हरी झंडी
HIV मरीजों के दवा के मामले पर HC में सुनवाई, राज्य सरकार और BSACS को तीन हफ्ता में जवाब देने को कहा
कैमूर: विश्व एड्स दिवस पर निकाली गई जागरुकता रैली, लोगों को किया गया जागरूक