रांची: मिनी मुंबई के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले जमशेदपुर को झारखंड की औद्योगिक नगरी भी कहा जाता है. लोकसभा सीट के रूप में इसका गठन 1957 में हुआ. देश में दूसरे लोकसभा चुनाव के साथ जमशेदपुर लोकसभा सीट पर पहला चुनाव हुआ था.
1957 में हुए पहली बार लोकसभा चुनाव
1957 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यहां से जीत दर्ज की थी. एमके घोष जमशेदपुर के पहले सांसद बने थे. इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 35.5 फ़ीसदी वोट मिले. जबकि झारखंड पार्टी को 29.5 फ़ीसदी मत प्राप्त हुए. जबकि निर्दलीय उम्मीदवार को 19 फीसदी वोट मिले.
1962 लोकसभा चुनाव के नतीजे
1962 के लोकसभा चुनाव में जमशेदपुर सीट पर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के खाते में चली गई. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार को यहां बदला था और एनसी मुखर्जी को अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन फिर कांग्रेस के हाथ से ये सीट निकल गई. 1962 के चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के उदयकर मिश्रा ने जमशेदपुर से जीत दर्ज की थी. उन्हें 41.3 फीसदी प्राप्त हुए थे, जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 30.4 फीसदी और झारखंड पार्टी को 16.3 फीसदी मत प्राप्त हुए थे.
1967 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की
1967 के लोकसभा चुनाव में फिर से यहां पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने जीत दर्ज की. इस बार भी कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार को बदला था और सुरेंद्र चंद्र प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया था. 1967 में जमशेदपुर सीट पर कांग्रेस को 35.5 फीसदी मत प्राप्त हुए थे, जबकि कम्युनिस्ट पार्टी को 16.5 फ़ीसदी और भारतीय जनसंघ को 12.6 फीसदी मत प्राप्त हुए थे.
1971 में कांग्रेस ने फिर जीता जमशेदपुर
1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपने उम्मीदवार में फिर बदलाव किया और सरदार सरवन सिंह को टिकट दिया. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को इस बार 26.6 फीसदी वोट मिले. जबकि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के केदारनाथ को 26.5 फीसदी वोट मिले. 1971 का यह चुनाव काफी दिलचस्प, था क्योंकि जीत हार का अंतर हजार वोटों से भी कम का था. ऑल इंडिया झारखंड पार्टी को 16.6 फीसदी जबकि भारतीय जनसंघ को 12.3 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे.
1977 के लोकसभा चुनाव का हाल
1977 के लोकसभा चुनाव में भारतीय लोक दल ने जमशेदपुर सीट पर जीत दर्ज की थी. रुद्र प्रताप सारंगी को भारतीय लोकदल ने टिकट दिया था. उन्हें कुल 48.7 फ़ीसदी वोट मिले थे. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 25.5 फ़ीसदी वोट मिले थे. इस बार भी कांग्रेस पार्टी ने अपना उम्मीदवार बदल दिया था और वीजी गोपाल को अपना उम्मीदवार बनाया था.
1980 में जनता पार्टी ने जीत की दर्ज
1980 के लोकसभा चुनाव में रुद्र प्रताप सिंह जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत दर्ज की. रुद्र प्रताप सिंह को 28.5 वोट मिले थे, जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 25.3 और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 23.8 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे.
1984 के चुनाव का हाल
1984 के लोकसभा चुनाव में फिर से कांग्रेस पार्टी ने सीट पर कब्जा किया. हालांकि इस बार भी कांग्रेस पार्टी ने अपना उम्मीदवार बदलते हुए गोपेश्वर कुमार को टिकट दिया था. उन्हें 44.4 फीसदी वोट मिले थे. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 29.5 फ़ीसदी वोट मिले. इस बार कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने टीकाराम मांझी को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया. भारतीय जनता पार्टी को 10.2 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे, जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा को 5.1 फीसदी वोट मिले थे.
1989 लोकसभा चुनाव
1989 के लोकसभा चुनाव में जमशेदपुर सीट पर फिर परिवर्तन हुआ और इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा ने जमशेदपुर लोकसभा सीट पर कब्जा किया. झारखंड मुक्ति मोर्चा के शैलेंद्र महतो ने 26.3 फीसदी वोट के साथ इस सीट पर कब्जा किया था, जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चंदन बागची को 24.7 फीसदी वोट मिले थे. इस बार भी कांग्रेस पार्टी ने यहां अपना उम्मीदवार बदला था. दूसरी तरफ रुद्र प्रताप सारंगी भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार थे, जिन्हें 22.3 फ़ीसदी वोट मिले थे, जबकि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 21.4 फीसदी रिपोर्ट प्राप्त हुए थे.
1991 लोकसभा चुनाव में फिर झामुमो ने हासिल की जीत
1991 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इस सीट पर कब्जा किया. झारखंड मुक्ति मोर्चा के शैलेंद्र महतो को 39.3 फ़ीसदी वोट मिले थे, जबकि भारतीय जनता पार्टी को 28.5 और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 16.8 फीसदी वोट मिले.
1996 में बीजेपी ने हासिल की जीत
1996 में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा किया. बीजेपी के भारद्वाज नीतीश जनार्दन ने इस सीट पर जीत दर्ज की. भारतीय जनता पार्टी को 32.9 फीसदी वोट मिले थे. हालांकि इस बार जनता दल से इस सीट पर झारखंड के बड़े कद्दावर नेता इंदर सिंह नामधारी चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें 24.7 फ़ीसदी वोट ही मिले. वही झारखंड मुक्ति मोर्चा के शैलेंद्र महतो को 19.5 साड़ी वोट मिले थे.
1998 लोकसभा चुनाव
1998 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपना उम्मीदवार बदला और आभा महतो को टिकट दिया. इसका फायदा भी पार्टी को मिली और भारतीय जनता पार्टी को 1998 के चुनाव में कुल 41 फ़ीसदी वोट हासिल कर जीत दर्ज की. वहीं, स्वतंत्र उम्मीदवार को 27.5 फ़ीसदी वोट मिले.
1999 में बीजेपी ने दर्ज की जीत
1999 की लोकसभा चुनाव में एक बार फिर आभा महतो ने भारतीय जनता पार्टी की सीट से जीत दर्ज की. उन्हें 44.9 फीसदी वोट प्राप्त हुए. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के घनश्याम महतो को 25.8 फ़ीसदी वोट मिले. इसके अलावा झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुनील कुमार महतो को 12.7 फ़ीसदी वोट प्राप्त हुए.
बंटवारे के बाद बदले समीकरण
झारखंड पटवारी के बाद 2004 में हुए हुए पहले लोकसभा चुनाव में जमशेदपुर की सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का कब्जा हुआ. यहां सुनील कुमार महतो ने जीत दर्ज की. इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा को इस सीट पर कुल 51 फीसदी वोट प्राप्त हुए. जबकि भारतीय जनता पार्टी को 37.4 फ़ीसदी वोट मिले.
2009 का लोकसभा चुनाव
2009 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर यहां परिवर्तन हुआ और जमशेदपुर सीट से बीजेपी उम्मीदवार अर्जुन मुंडा ने जीत दर्ज की. अर्जुन मुंडा को 45.3 फ़ीसदी वोट को मिले थे. इस चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा को 28.3 और झारखंड विकास मोर्चा को 11.2 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे.
2014 में मोदी लहर का दिखा असर
2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जमशेदपुर से अपने उम्मीदवार को बदला और विद्युत वरण महतो को चुनावी मैदान में उतारा. इस बार भारतीय जनता पार्टी को कुल 44.30 वोट प्राप्त हुए थे. जबकि झारखंड विकास मोर्चा को 34.7 फीसदी और झारखंड मुक्ति मोर्चा को 13.30 रिपोर्ट प्राप्त हुए.
2019 में फिर दिखा मोदी का जलवा
2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर यह सीट बीजेपी के खाते में गई और विद्युत वरण महतो दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी के जमशेदपुर से सांसद बने. 2019 के लोकसभा चुनाव में जमशेदपुर से भारतीय जनता पार्टी को कुल 59.4 फ़ीसदी वोट मिले. जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के चौपाई सुप्रीम को 33 फीसदी बोर्ड मिले थे. फिलहाल सभी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं. इस बार भी यहां से बीजेपी ने विद्युत वरण मतहो तो टिकट दिया है. अभ यहां से कौन जीत हासिल करेगा ये देखना काफी दिलचस्प होगा.
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