मंडी: हिमाचल प्रदेश के मंडी में हिंदू संगठनों ने धरना प्रदर्शन किया. मंडी शहर के जेल रोड स्थित मस्जिद में हुए अवैध निर्माण के विरोध में हिंदू संगठनों के लोग सड़क पर उतर आए. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने इस स्थान को मुक्त करवाने की मांग उठाई है. छोटी काशी देवभूमि संघर्ष समिति के बैनर तले आयोजित विरोध प्रदर्शन एवं रैली में हिमाचल प्रदेश के दूसरे जिलों से आए हिंदू नेताओं और संत समाज से जुड़े लोगों ने शिरकत की. छोटी काशी देवभूमि संघर्ष समिति ने शहर भर में एक रैली निकाली.
बिलासपुर से आए हिंदू नेता कमल गौतम ने कहा, "मंडी के जेल रोड में जो मस्जिद बनी है, वहां पर पहले देव स्थान हुआ करता था. 45 वर्ग मीटर जमीन हमारे पूर्वजों ने मुस्लिम समाज को दान में दी थी. हम दान में दी गई जमीन को वापस नहीं मांग रहे, लेकिन उसके अलावा खसरा नंबर 1280 पर जो अवैध कब्जा किया गया है. उसे मुक्त करवाने की मांग रख रहे हैं. सरकार और प्रशासन से पहले भी यह मांग रखी गई थी, लेकिन उसपर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसलिस हिंदू समाज के लोगों को फिर से सड़कों पर उतरना पड़ रहा है. इन्होंने सरकार और प्रशासन को चेताया कि अगर जल्द ही इस जमीन को एहल-ए-इस्लाम के कब्जे से मुक्त नहीं करवाया गया तो फिर भविष्य में हिंदू समाज के लोग बिना तारीख बताए अपने स्तर पर कार्रवाई करने को मजबूर हो जाएंगे".
कमल गौतम ने कहा, "राजस्व रिकॉर्ड में इस बात के पूरे प्रमाण हैं कि उस जमीन पर पहले देवस्थान था और एहल-ए-इस्लाम ने वहां पर कब्जा करके रखा है. इस बात को दूसरे पक्ष के वकील ने टीसीपी कोर्ट में भी स्वीकार किया है. राजस्व रिकॉर्ड एक प्रमाणित रिकॉर्ड होता है और हर जगह उसकी प्रमाणिकता होती है. इन्होंने कहा कि प्रशासन और सरकार इस पर क्या निर्णय लेते हैं. इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं. यदि प्रशासन और सरकार समय रहते कुछ नहीं करते तो फिर स्थानीय लोगों के साथ विचार-विमर्श करके आगामी रणनीति बनाई जाएगी".
इस प्रदर्शन को देखते हुए मंडी जिला पुलिस ने भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे. हालांकि, पूरा प्रदर्शन शांतिपूर्वक संपन्न हो गया. लोगों ने हल्की-फुल्की नारेबाजी भी की. उधर, जेल रोड स्थित मस्जिद स्थल के पास भी पुलिस ने कड़ा पहरा बैठा रखा था. लेकिन प्रदर्शनकारी उस तरफ नहीं गए. सभी प्रदर्शनकारियों ने यही चेताने का प्रयास किया कि यह सांकेतिक धरना है. यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो फिर भविष्य में आंदोलन की रूपरेखा और भी उग्र हो सकती है.
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