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संजौली मस्जिद विवाद: हिंदू संगठनों का 11 सितंबर को कूच का आह्वान, प्रशासन के माथे पर चिंता की लकीरें - Sanjauli mosque case

Sanjauli mosque case: संजौली मस्जिद विवाद में हिंदू संगठन फिर से आंदोलन करने जा रहा है. कमिशनर कोर्ट में शनिवार को मामले में सुनवाई हुई थी. इस सुनवाई में कोई निष्कर्ष नहीं निकला था. डिटेल में पढ़ें खबर...

संजौली में मस्जिद विवाद
संजौली में मस्जिद विवाद (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 8, 2024, 6:17 PM IST

शिमला: अचानक से देश भर के मीडिया की सुर्खियों में आए शिमला के उपनगर संजौली मस्जिद विवाद को लेकर सरकार की चिंता कम नहीं हुई है. शनिवार को कमिश्नर कोर्ट में मामले की सुनवाई के बाद कोई निष्कर्ष न निकलने और सुनवाई के पांच अक्टूबर तक टलने के बाद हिंदू संगठन संतुष्ट नहीं हैं. अब हिंदू संगठनों ने बुधवार 11 सितंबर को संजौली कूच का आह्वान किया है.

हिंदू जागरण मंच के सोशल मीडिया पन्ने पर इस आह्वान का संदेश है. इसके अलावा अब सभी संगठनों ने हिंदू संघर्ष समिति के बैनर तले आंदोलन चलाने का फैसला लिया है. हिंदू जागरण मंच के पूर्व प्रांत महामंत्री कमल गौतम का कहना है कि मामले में वक्फ बोर्ड सामने आया है. उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ बोर्ड जमीन हड़पने वाली संस्था बनकर रह गई है. जब कमिश्नर कोर्ट में मस्जिद कमेटी के पूर्व प्रधान ये कह चुके हैं कि बाद में ढाई मंजिल किसने बनाई, उन्हें मालूम नहीं तो फिर तारीख पर तारीख देने का क्या मतलब है?

हिंदू संघर्ष समिति की चेतावनी के बाद चिंता में प्रशासन

हिंदू संघर्ष समिति की तरफ से संजौली कूच के बाद प्रशासन के माथे पर भी चिंता की लकीरें हैं. संजौली उपनगर में बाजार संकरा है साथ ही जिस स्थान पर मस्जिद में अवैध निर्माण हुआ है, वहां भी रास्ता तंग है. इसके अलावा संजौली बाजार से ही मस्जिद की तरफ जाने के तीन रास्ते हैं. नीचे से हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी की तरफ से भी मस्जिद की तरफ जाने के रास्ते हैं. ऐसे में सुरक्षाकर्मियों की परीक्षा होगी. भीड़ यदि अधिक हो गई तो सुरक्षा कर्मियों को उन्हें संभालने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी.

हालांकि पिछले प्रदर्शन के दौरान से ही संजौली में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी है, लेकिन 11 सितंबर को भारी संख्या में प्रदर्शनकारियों के पहुंचने की आशंका से चिंता बनी हुई है.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, 30 अगस्त को शिमला के उपनगर मल्याणा में दो समुदायों के बीच झगड़ा हो गया. उस झगड़े में विक्रम सिंह नामक युवक को सिर पर चोटें आई. आरोप है कि हमला करने वाले छह मुस्लिम युवाओं में से कुछ ने बाद में मस्जिद में आकर शरण ली. उसके बाद कांग्रेस के पार्षद नीटू ठाकुर सहित सैकड़ों लोगों ने मस्जिद के बाहर प्रदर्शन किया. उसके बाद खुलासा हुआ कि संजौली की मस्जिद में ऊपर की चार मंजिलों का निर्माण अवैध रूप से किया गया है.

इस दौरान विधानसभा में कांग्रेस सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सदन में कागजात रखते हुए दावा किया कि सरकारी जमीन पर मस्जिद बनी हुई है. जमीन सरकार की है. 14 साल में मामले में 44 पेशियां हो गईं, लेकिन कोई निर्णय नहीं आया.

मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने मस्जिद के अवैध निर्माण को गिराने की मांग भरे सदन में कर डाली. उसके बाद मामला राष्ट्रीय स्तर पर गूंज गया. शिमला में नेशनल मीडिया का भारी जमावड़ा हो गया. शनिवार को कोर्ट में लोकल रेजिडेंट्स की तरफ से वकील जगतपाल ठाकुर ने 20 पन्ने का आवेदन दाखिल कर उनका पक्ष सुने जाने की अपील की.

वहीं, कोर्ट में निगम के जेई निर्माण का रिकॉर्ड नहीं रख पाए साथ ही वक्फ बोर्ड के वकील बीएस ठाकुर भी निर्माण को लेकर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए. इसके अलावा मस्जिद कमेटी के पूर्व प्रधान मोहम्मद लतीफ भी ये नहीं बता पाए कि मस्जिद में अवैध मंजिलों का निर्माण किसने किया. न ही कोर्ट में ये बता पाए कि मस्जिद की अवैध मंजिलों के निर्माण के लिए फंडिंग किसने की. नगर निगम की कमिश्नर कोर्ट जिसे राजस्व अदालत कहा जाता है में निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्रि ने मामले की अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को तय की और उसमें जेई को मौके पर निर्माण की रिपोर्ट रखने के आदेश दिए. अगली सुनवाई में वक्फ बोर्ड की तरफ से भी निर्माण को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी.

निगम कमिश्नर ने बताई वस्तुस्थिति

इस बीच, नगर निगम के कमिश्नर भूपेंद्र अत्रि के अनुसार मस्जिद में निर्माण का मामला 2010 में उठा. मस्जिद कमेटी ने तब पिलर का निर्माण किया था. उस पर कमेटी को नोटिस दिया गया. ये मामला 2012 तक चलता रहा फिर मस्जिद कमेटी के प्रधान ने वक्फ बोर्ड से निर्माण के संबंध में एनओसी ले लिया.

ये एनओसी देते समय वक्फ बोर्ड ने कहा कि स्थानीय कमेटी अपने स्तर पर निर्माण का फैसला कर सकती है, बशर्ते वो निगम प्रशासन से जरूरी अनुमतियां ले कर कंस्ट्रक्शन करें. मस्जिद कमेटी ने एनओसी निगम में जमा किया साथ ही मैप भी जमा किया, लेकिन उसमें बहुत सी कमियां थीं.

निगम प्रशासन ने मस्जिद कमेटी को मैप की कमियां दूर करने के निर्देश दिए थे लेकिन बाद में न तो मस्जिद कमेटी और न ही वक्फ बोर्ड ने निगम में मैप को लेकर कोई रिप्रेजेंटेशन दी.

फिर 2015 से 2018 के बीच तीन साल में मस्जिद की अवैध मंजिलों का निर्माण किया गया फिर 2019 में मस्जिद कमेटी को संशोधित नोटिस दिया गया. बाद में गलत निर्माण को लेकर जुलाई 2023 में वक्फ बोर्ड को नोटिस दिया साथ ही मस्जिद कमेटी के पूर्व प्रधान मोहम्मद लतीफ को भी नोटिस दिया गया था, क्योंकि वक्फ से एनओसी उनके नाम जारी हुआ था.

शनिवार को इस मामले में सभी पक्ष अपीयर हुए हैं. अब इस मामले में 5 अक्टूबर को वक्फ बोर्ड, जेई आदि अपना पक्ष रखेंगे साथ ही स्थानीय नागरिकों के आवेदन को लेकर भी फैसला होगा कि उन्हें किस रूप में सुना जाए.

ये भी पढ़ें: संजौली मस्जिद के विवादित निर्माण को लेकर अब अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को, कमिश्नर कोर्ट में निर्माण की डिटेल नहीं दे पाया वक्फ बोर्ड

शिमला: अचानक से देश भर के मीडिया की सुर्खियों में आए शिमला के उपनगर संजौली मस्जिद विवाद को लेकर सरकार की चिंता कम नहीं हुई है. शनिवार को कमिश्नर कोर्ट में मामले की सुनवाई के बाद कोई निष्कर्ष न निकलने और सुनवाई के पांच अक्टूबर तक टलने के बाद हिंदू संगठन संतुष्ट नहीं हैं. अब हिंदू संगठनों ने बुधवार 11 सितंबर को संजौली कूच का आह्वान किया है.

हिंदू जागरण मंच के सोशल मीडिया पन्ने पर इस आह्वान का संदेश है. इसके अलावा अब सभी संगठनों ने हिंदू संघर्ष समिति के बैनर तले आंदोलन चलाने का फैसला लिया है. हिंदू जागरण मंच के पूर्व प्रांत महामंत्री कमल गौतम का कहना है कि मामले में वक्फ बोर्ड सामने आया है. उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ बोर्ड जमीन हड़पने वाली संस्था बनकर रह गई है. जब कमिश्नर कोर्ट में मस्जिद कमेटी के पूर्व प्रधान ये कह चुके हैं कि बाद में ढाई मंजिल किसने बनाई, उन्हें मालूम नहीं तो फिर तारीख पर तारीख देने का क्या मतलब है?

हिंदू संघर्ष समिति की चेतावनी के बाद चिंता में प्रशासन

हिंदू संघर्ष समिति की तरफ से संजौली कूच के बाद प्रशासन के माथे पर भी चिंता की लकीरें हैं. संजौली उपनगर में बाजार संकरा है साथ ही जिस स्थान पर मस्जिद में अवैध निर्माण हुआ है, वहां भी रास्ता तंग है. इसके अलावा संजौली बाजार से ही मस्जिद की तरफ जाने के तीन रास्ते हैं. नीचे से हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी की तरफ से भी मस्जिद की तरफ जाने के रास्ते हैं. ऐसे में सुरक्षाकर्मियों की परीक्षा होगी. भीड़ यदि अधिक हो गई तो सुरक्षा कर्मियों को उन्हें संभालने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी.

हालांकि पिछले प्रदर्शन के दौरान से ही संजौली में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी है, लेकिन 11 सितंबर को भारी संख्या में प्रदर्शनकारियों के पहुंचने की आशंका से चिंता बनी हुई है.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, 30 अगस्त को शिमला के उपनगर मल्याणा में दो समुदायों के बीच झगड़ा हो गया. उस झगड़े में विक्रम सिंह नामक युवक को सिर पर चोटें आई. आरोप है कि हमला करने वाले छह मुस्लिम युवाओं में से कुछ ने बाद में मस्जिद में आकर शरण ली. उसके बाद कांग्रेस के पार्षद नीटू ठाकुर सहित सैकड़ों लोगों ने मस्जिद के बाहर प्रदर्शन किया. उसके बाद खुलासा हुआ कि संजौली की मस्जिद में ऊपर की चार मंजिलों का निर्माण अवैध रूप से किया गया है.

इस दौरान विधानसभा में कांग्रेस सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सदन में कागजात रखते हुए दावा किया कि सरकारी जमीन पर मस्जिद बनी हुई है. जमीन सरकार की है. 14 साल में मामले में 44 पेशियां हो गईं, लेकिन कोई निर्णय नहीं आया.

मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने मस्जिद के अवैध निर्माण को गिराने की मांग भरे सदन में कर डाली. उसके बाद मामला राष्ट्रीय स्तर पर गूंज गया. शिमला में नेशनल मीडिया का भारी जमावड़ा हो गया. शनिवार को कोर्ट में लोकल रेजिडेंट्स की तरफ से वकील जगतपाल ठाकुर ने 20 पन्ने का आवेदन दाखिल कर उनका पक्ष सुने जाने की अपील की.

वहीं, कोर्ट में निगम के जेई निर्माण का रिकॉर्ड नहीं रख पाए साथ ही वक्फ बोर्ड के वकील बीएस ठाकुर भी निर्माण को लेकर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए. इसके अलावा मस्जिद कमेटी के पूर्व प्रधान मोहम्मद लतीफ भी ये नहीं बता पाए कि मस्जिद में अवैध मंजिलों का निर्माण किसने किया. न ही कोर्ट में ये बता पाए कि मस्जिद की अवैध मंजिलों के निर्माण के लिए फंडिंग किसने की. नगर निगम की कमिश्नर कोर्ट जिसे राजस्व अदालत कहा जाता है में निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्रि ने मामले की अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को तय की और उसमें जेई को मौके पर निर्माण की रिपोर्ट रखने के आदेश दिए. अगली सुनवाई में वक्फ बोर्ड की तरफ से भी निर्माण को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी.

निगम कमिश्नर ने बताई वस्तुस्थिति

इस बीच, नगर निगम के कमिश्नर भूपेंद्र अत्रि के अनुसार मस्जिद में निर्माण का मामला 2010 में उठा. मस्जिद कमेटी ने तब पिलर का निर्माण किया था. उस पर कमेटी को नोटिस दिया गया. ये मामला 2012 तक चलता रहा फिर मस्जिद कमेटी के प्रधान ने वक्फ बोर्ड से निर्माण के संबंध में एनओसी ले लिया.

ये एनओसी देते समय वक्फ बोर्ड ने कहा कि स्थानीय कमेटी अपने स्तर पर निर्माण का फैसला कर सकती है, बशर्ते वो निगम प्रशासन से जरूरी अनुमतियां ले कर कंस्ट्रक्शन करें. मस्जिद कमेटी ने एनओसी निगम में जमा किया साथ ही मैप भी जमा किया, लेकिन उसमें बहुत सी कमियां थीं.

निगम प्रशासन ने मस्जिद कमेटी को मैप की कमियां दूर करने के निर्देश दिए थे लेकिन बाद में न तो मस्जिद कमेटी और न ही वक्फ बोर्ड ने निगम में मैप को लेकर कोई रिप्रेजेंटेशन दी.

फिर 2015 से 2018 के बीच तीन साल में मस्जिद की अवैध मंजिलों का निर्माण किया गया फिर 2019 में मस्जिद कमेटी को संशोधित नोटिस दिया गया. बाद में गलत निर्माण को लेकर जुलाई 2023 में वक्फ बोर्ड को नोटिस दिया साथ ही मस्जिद कमेटी के पूर्व प्रधान मोहम्मद लतीफ को भी नोटिस दिया गया था, क्योंकि वक्फ से एनओसी उनके नाम जारी हुआ था.

शनिवार को इस मामले में सभी पक्ष अपीयर हुए हैं. अब इस मामले में 5 अक्टूबर को वक्फ बोर्ड, जेई आदि अपना पक्ष रखेंगे साथ ही स्थानीय नागरिकों के आवेदन को लेकर भी फैसला होगा कि उन्हें किस रूप में सुना जाए.

ये भी पढ़ें: संजौली मस्जिद के विवादित निर्माण को लेकर अब अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को, कमिश्नर कोर्ट में निर्माण की डिटेल नहीं दे पाया वक्फ बोर्ड

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